जलवायु

इंडिया क्लाइमेट 2025: साल के पहले नौ महीनों में भारत ने 99% दिन झेली ‘चरम मौसम’ की मार

सीएसई और डाउन टू अर्थ की नई रिपोर्ट में खुलासा: पिछले चार वर्षों में चरम मौसमी घटनाओं में होने वाली मौतों में 48 फीसदी, जबकि फसलों के नुकसान में 400 फीसदी तक इजाफा हुआ है

Richard Mahapatra, Kiran Pandey

  • 2025 में भारत ने जनवरी से सितंबर के बीच 270 दिन चरम मौसमी घटनाओं का सामना किया, जो देश के हर कोने में फैल गई हैं।

  • सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां 217 दिन चरम मौसम दर्ज किया गया। यह जलवायु संकट का स्पष्ट संकेत है।

  • रिपोर्ट के मुताबिक, यह चरम घटनाएं न केवल बढ़ रही हैं, बल्कि अब देश के हर कोने में फैल गई हैं। सभी 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में चरम मौसमी घटनाएं दर्ज हुई हैं, जो पिछले चार सालों में पहली बार हुआ है।

1957 के बाद से इंसानों द्वारा वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के किए जा रहे उत्सर्जन में अब तक का सबसे बड़ा इजाफा दर्ज किया गया है। इसका सीधा असर हमारी धरती पर भी दिख रहा है। दुनिया के कई ऐसे इलाकों में, जहां कभी असामान्य मौसम नहीं देखा गया, अब चरम मौसमी घटनाएं तेजी से अपने पैर पसार रही हैं।

इनका असर भारत पर भी बेहद स्पष्ट है। 2025 में जनवरी से सितंबर के बीच भारत में हर दिन करीब किसी न किसी हिस्से में चरम मौसमी घटनाएं दर्ज की गईं।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ ने अपनी नई रिपोर्ट 'क्लाइमेट इंडिया 2025' में खुलासा किया है कि साल के पहले नौ महीनों में देश 273 में से 270 दिन चरम मौसमी घटनाओं से प्रभावित रहा है। इनमें लू, शीत लहर, आंधी-तूफान, भारी बारिश, बाढ़, भू-स्खलन और बिजली गिरने जैसी घटनाएं शामिल हैं।

बदलती जलवायु का कड़वा सच

संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी जलवायु पैनल (आईपीसीसी) के मुताबिक, चरम मौसमी घटनाएं वो घटनाएं हैं जो किसी विशेष स्थान और समय पर असामान्य रूप से होती हैं।

हालांकि भारत में इसकी कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है, लेकिन भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘स्टेटमेंट ऑफ क्लाइमेट ऑफ इंडिया’ में आंधी-तूफान, भारी से बहुत भारी बारिश, बर्फबारी, बिजली गिरना, लू-शीत लहर, चक्रवात, धूल, ओलावृष्टि और तूफान जैसी घटनाओं को चरम मौसम की श्रेणी में रखता है।

इसके साथ ही आईएमडी ने इन सभी मौसमी घटनाओं की परिभाषाएं अपनी वेबसाइट ‘क्लाइमेट हजार्डस एंड वल्नेरेबिलिटी एटलस ऑफ इंडिया’ (जनवरी 2022 में लॉन्च) और अन्य दस्तावेजों में दी हैं।

'क्लाइमेट इंडिया' की सालाना रिपोर्ट इन चरम घटनाओं की आवृत्ति जानने के लिए सरकारी आंकड़ों और मीडिया रिपोर्टों का इस्तेमाल करती है। सीएसई-डाउन टू अर्थ डेटा सेंटर इन घटनाओं को रोजाना ट्रैक करता है और महीने व मौसम के हिसाब से उनका विश्लेषण तैयार करता है। इस बार की यह ताजा रिपोर्ट जनवरी से सितंबर 2025 की अवधि को कवर करती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह चरम घटनाएं न केवल बढ़ रही हैं, बल्कि अब देश के हर कोने में फैल गई हैं। सभी 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में चरम मौसमी घटनाएं दर्ज हुई हैं, जो पिछले चार सालों में पहली बार हुआ है।

सबसे ज्यादा प्रभावित रहा हिमाचल प्रदेश

रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि 2025 के पहले नौ में से सात महीनों (फरवरी, अप्रैल से सितम्बर) में देश भर में हर दिन चरम मौसमी घटनाएं सामने आई हैं। वहीं 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में यह घटनाएं लगातार आठ महीने (फरवरी से सितम्बर) दर्ज की गईं।

इस दौरान हिमाचल प्रदेश सबसे प्रभावित राज्य रहा, जहां 273 में से 217 दिन चरम मौसमी घटनाएं रिकॉर्ड की गई। इसके बाद केरल में 147 दिन और मध्य प्रदेश ने 144 दिन इन आपदाओं का दंश झेला है।

क्षेत्रवार देखा जाए तो उत्तर-पश्चिम भारत में सबसे ज्यादा दिन चरम मौसमी घटनाएं दर्ज हुई, जब 273 में से 257 दिन इन घटनाओं का कोप जारी रहा। ‘क्लाइमेट इंडिया 2025’ रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं।

रिपोर्ट इस बात का साफ संकेत देती है कि भारत में जलवायु संकट तेजी से गहरा रहा है और चरम मौसम अब केवल मौसमी असामान्यता नहीं, बल्कि रोजमर्रा का हिस्सा बन गया है।