हिमाचल में मौसम में आए अचानक बदलाव के कारण भारी बर्फबारी हुई है। फोटो: रोहित पराशर 
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हिमाचल: जहां था सूखा, भारी बारिश से वहां अचानक आई बाढ़ , भारी नुकसान

27 फरवरी 2025 से अचानक बदले मौसम ने हिमाचल प्रदेश में लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं

Rohit Prashar

मात्र तीन दिन पहले तक हिमाचल प्रदेश में सूखे की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन 27 फरवरी 2025 को अचानक मौसम ने पलटी मारी। एक ओर जहां कांगड़ा जिले में बादल फटने और भारी बारिश के कारण अचानक बाढ़ आ गई। वहीं, लाहौल के तिंदी में और किन्नौर के जंगी नाला में भारी हिमस्खलन हुआ है।

पिछले 24 घंटों में किन्नौर के कल्पा में 46 सेंटीमीटर, कोठी में 120, खदराला 115, कोकसर 112, केलांग में 75 और कुकुमसेरी में 38 सेंटीमीटर बर्फबारी दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने 28 फरवरी को 2 बजे के बाद लाहौल स्पीति, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और शिमला जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी की है।

कांगड़ा जिले के छोटा भंगाल घाटी में स्थित लुवाई गांव में मलबे में चार वाहन दब गए, जबकि 14 घर और एक स्थानीय मिडिल स्कूल की इमारत बुरी तरह प्रभावित हुई।

मौसम विभाग के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक आनंद शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि उत्तर भारत के राज्यों में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय था, जिसके चलते हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू के कुछ स्थानों में भारी बारिश और बर्फबारी देखने को मिली है।

अब धीरे-धीरे यह विक्षोभ वापस लौट रहा है और आने वाले दिनों में मौसम साफ रहने की संभावना है। जिन क्षेत्रों में ज्यादा बर्फबारी हुई है, उन क्षेत्रों में हिमस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है ऐसे में इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।

मौसम में आए अचानक इस बदलाव से जहां बागवानी और कृषि क्षेत्र को संजीवनी मिली है वहीं इससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कुल्लू जिला के संपर्क मार्ग बाधित हैं और जिला प्रशासन ने लोगों को नदी नालों से दूर रहने की एडवायजरी जारी की है। लाहौल-स्पीति जिला के कई क्षेत्रों में कई घंटों से बिजली आपूर्ति ठप्प है जिसके चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के जियोग्राफी विभाग के विभागाध्यक्ष देवदत शर्मा ने बताया कि दिसंबर व जनवरी माह में जो बर्फ पड़ती है वह लंबे समय तक जमी रहती है। लेकिन इस बार दिसंबर में बहुत कम बर्फबारी हुई थी और जनवरी व फरवरी माह भी बर्फ नहीं पड़ी थी।

उन्होंने कहा कि जनवरी और फरवरी में धीरे-धीरे तापमान बढ़ जाता है या कहें तो मौसम गर्म हो जाता है। ऐसे में जैसे ही बर्फबारी शुरू होती है तो पुरानी व ताजा बर्फ के बीच तापमान में अंतर के कारण ऊपरी बर्फ पिघलकर पानी बन जाती है। पुरानी व ताजा बर्फ के बीच इक्कठा हुए पानी से ऊपरी बर्फ फिसलने लगती है, जिसकी चपेट में ठोस हो चुकी पुरानी बर्फ भी आ जाती है और हिमस्खलन का रूप ले लेती है।