बढ़ती गर्मी का कहर अब भारत जैसे देशों तक ही सीमित नहीं है, यूरोप में भी यह बड़े पैमाने पर बच्चों को प्रभावित कर रहा है; फोटो: आईस्टॉक 
जलवायु

यूरोप, मध्य एशिया में बढ़ती गर्मी की चपेट में आए 9 करोड़ से अधिक बच्चे, यूनिसेफ ने चेताया

Lalit Maurya

यूरोप और मध्य एशिया में बच्चों पर बढ़ते गर्मी और लू के कहर को उजागर करते हुए यूनिसेफ ने अपने नए विश्लेषण में कहा है कि इस क्षेत्र में करीब आधे यानी 9.2 करोड़ बच्चे पहले ही लू और गर्म हवाओं के संपर्क में हैं। इस नई रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्र में गर्मी का कहर सालाना 377 बच्चों की जान ले रहा है।

बीट द हीट: चाइल्ड हेल्थ एमिड हीटवेव्स इन यूरोप एंड सेंट्रल एशिया” नामक इस रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से आधे बच्चे अपना पहला जन्मदिवस भी नहीं मना पाए। इनकी मौत की वजह भीषण गर्मी और उससे जुड़ी बीमारियां थी। रिपोर्ट में यह ही कहा है कि इनमें से ज्यादातर मौते गर्मियों के दौरान हुई थी।

यह रिपोर्ट यूरोप और मध्य एशिया के 23 देशों से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।    गौरतलब है कि यह वो क्षेत्र है जहां तापमान दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।

यूरोप और मध्य एशिया के लिए नियुक्त यूनिसेफ की क्षेत्रीय निदेशक रेजिना डी डोमिनिकिस ने इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि, "बढ़ता तापमान विशेष रूप से छोटी उम्र के बच्चों में स्वास्थ्य सम्बन्धी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।" उनके मुताबिक थोड़े समय में भी भीषण गर्मी का संपर्क बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

यूनिसेफ के अनुसार, गर्मी के संपर्क में आने से बच्चों में जन्म से पहले ही गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। इसमें समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन, मृत बच्चों का जन्म या जन्मजात विसंगतियां हो सकती हैं।

बढ़ते तापमान से पूरी दुनिया पर पड़ रहा है असर

इतना ही नहीं गर्मी की वजह से होने वाला तनाव सीधे तौर पर मृत्यु की वजह बन सकता है। इसकी वजह से शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है और उनमें अनेक बीमारियां घर कर सकती हैं। यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि भीषण गर्मी के कारण इस क्षेत्र में बच्चों और किशोरों के स्वस्थ जीवन के 32,000 से अधिक वर्षों का नुकसान हो रहा है।

गौरतलब है कि 2024 में बढ़ता तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इस साल के सारे महीने जलवायु इतिहास के अब तक के सबसे गर्म महीने रहे हैं। वहीं लगातार 13 महीनों में से कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने रिकॉर्ड न बनाया हो।

ऐसे में यूनिसेफ ने यूरोप और मध्य एशियाई देशों से गर्मी से बचाव की कार्य योजनाओं और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश का आग्रह किया है, ताकि गर्मी का शिकार बच्चों को पर्याप्त सहायता दी जा सके।

इसके साथ ही यूनिसेफ ने गर्मी से बचाव के लिए चेतावनी प्रणाली, खेल के मैदानों को ठंडा रखने की व्यवस्था करने और पेयजल में निवेश करने का भी आह्वान किया है। इन उपायों में विशेष रूप से गर्मी के प्रभावों को कम करने के लिए रणनीतियां तैयार करना शामिल है।