यह अध्ययन दिखता है कि गर्मियों में ताजे भूजल के बहने से कार्बनिक कार्बन और कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा निकलती है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

आर्कटिक में भूजल पहले की अपेक्षा भारी मात्रा में कार्बन समुद्र में छोड़ रहा है: शोध

भूजल से गर्मियों में ब्यूफोर्ट सागर के लगभग 2,000 किलोमीटर के तटीय क्षेत्र में हर दिन लगभग 230 टन कार्बनिक कार्बन पहुंच रही है।

Dayanidhi

एक नए शोध में कहा गया है कि अलास्का के टुंड्रा से होकर बहने वाले भूजल की बहुत कम मात्रा समुद्र में भारी मात्रा में कार्बन छोड़ रही है, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन में बढ़ोतरी के आसार बढ़ गए हैं। शोध की अगुवाई ऑस्टिन स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के द्वारा की गई है।

शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पाया है कि हालांकि भूजल समुद्र में छोड़े जाने वाले पानी का केवल एक अंश है, लेकिन यह गर्मियों में ब्यूफोर्ट सागर के लगभग 2,000 किलोमीटर के तटीय क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 230 टन कार्बनिक कार्बन छोड़ता है। कार्बन की यह मात्रा उस मात्रा के बराबर है जो गर्मियों के महीनों में क्षेत्र में बहने वाली नदियों द्वारा छोड़ी जाती है।

यह अध्ययन दिखता है कि गर्मियों में ताजे भूजल के बहने से कार्बनिक कार्बन और कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा निकलती है। यह शोध जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है

जैसे-जैसे टुंड्रा पिघलता जा रहा है और पानी के नीचे भूजल का प्रवाह बढ़ता जा रहा है, किनारे से समुद्र की ओर कार्बन का बाहर से बहने का प्रभावी रूप से समुद्र की सतह के पानी को वायुमंडल में कार्बन का स्रोत बना सकता है। भूजल के माध्यम से जारी सीओ2 भी समुद्र के अम्लीकरण के लिए जिम्मेवार है

यह अध्ययन प्रत्यक्ष अवलोकन का उपयोग करके यह दिखाने वाला पहला अध्ययन है, जहां भूजल के ताजे पानी के माध्यम से समुद्र में कार्बन जा रही है और यह फिर वातावरण में जारी हो रही है। इस शोध से पहले, आर्कटिक के इस क्षेत्र में ताजा भूजल के बहने का अस्तित्व बहुत सीमित माना जाता था।

यह अध्ययन कुल भूजल के निकलने से ताजे पानी को अलग करने वाला पहला अध्ययन भी है जो बारिश के पानी, बर्फ पिघलने, पिघली हुई उथली जमीन की बर्फ और पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से बना हो सकता है। आर्कटिक में भूजल निकलने के पिछले अध्ययनों में दोबारा खारे पानी को शामिल किया गया था, जो तट से जमीन में रिसता था।

शोध में प्रत्यक्ष अवलोकन, संख्यात्मक मॉडलिंग, थर्मल और हाइड्रोलिक तकनीकों का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्मियों के दौरान, अलास्का के उत्तर में ब्यूफोर्ट सागर में प्रवेश करने वाला ताजा भूजल उस क्षेत्र की तीन प्रमुख नदियों से निकलने के तीन से सात फीसदी के बराबर है।

शोध के अनुसार, पानी की यह मात्रा बहुत अधिक है, यह निचले अक्षांशों के समशीतोष्ण क्षेत्रों में ताजे भूजल निकलने की मात्रा के बराबर है। हालांकि भूजल की मात्रा समग्र नदी प्रवाह के अनुपात में कम है, लेकिन इसमें कार्बन की तुलनीय मात्रा है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि पानी की उस छोटी से मात्रा में, भूजल नदियों के बराबर ही कार्बनिक कार्बन और नाइट्रोजन ले जाता है।

भूजल सतह के नीचे मिट्टी और तलछट के माध्यम से बहता है क्योंकि यह तट तक पहुंचता है, बहने के दौरान कार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक पदार्थ और पोषक तत्वों को ले जाता है। जब यह पर्माफ्रॉस्ट के साथ संपर्क करता है, तो यह विशेष रूप से बड़ी मात्रा में कार्बन हासिल कर सकता है।

पर्माफ्रॉस्ट एक भूमिगत मुहाना जैसा है, जिसमें बड़ी मात्रा में पानी और कार्बनिक पदार्थ होते हैं। जब बर्फ पिघलती है और भूजल प्रवाह का हिस्सा बन जाती है, तो यह अपने साथ भारी मात्रा में कार्बन ला सकती है।

शोध में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि आर्कटिक तट हमारी आंखों के सामने बदल रहा है। जब पर्माफ्रॉस्ट पिघलता है, तो यह तटीय और जलभृतों में बदल जाता है। इस पिघले के बिना भी, अध्ययन ऐसे जलभृतों के अस्तित्व को सीधे दिखाने वाले पहले अध्ययनों में से हैं।

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन में बढ़ोतरी करने के अलावा, कार्बन और नाइट्रोजन के इस विशाल प्रवाह का आर्कटिक तटीय पारिस्थितिकी पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, महासागर के अम्लीकरण से समुद्र तल पर और उसके नीचे रहने वाले कुछ जीवों, जैसे क्रस्टेशियन, क्लैम और घोंघे को खतरा बढ़ सकता है।

शोध के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण जैसे-जैसे पर्माफ्रॉस्ट पिघलता जाएगा, भूमिगत समुद्र में जाने वाले ताजे पानी की मात्रा में वृद्धि होगी, जिससे तटीय जल में और भी अधिक ग्रीनहाउस गैसें पहुंच जाएंगी