वायु प्रदूषण की तुलना में भीषण तापमान स्वास्थ्य के लिए एक अधिक बड़ा खतरा बन रहा है फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

यूं ही बढ़ती रही गर्मी और वायु प्रदूषण तो साल 2100 तक हर साल तीन करोड़ लोगों की जा सकती है जान

सदी के अंत तक, दुनिया की आबादी के पांचवें हिस्से के लिए तापमान से संबंधित खतरे वायु प्रदूषण से जुड़े खतरों से अधिक होने के आसार हैं

Dayanidhi

एक नए शोध में कहा गया है कि वायु प्रदूषण और बेहताशा गर्मी के कारण होने वाली मृत्यु दर एक बड़ी चिंता का विषय है और भविष्य में इसके और बढ़ने की आशंका जताई गई है।

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिस्ट्री के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया कि, सदी के अंत तक वायु प्रदूषण और अत्यधिक तापमान से जुड़ी सालाना मृत्यु दर के तीन करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं।

यह शोध एडवांस न्यूमेरिकल सिमुलेशन पर आधारित है, जो एक चिंताजनक प्रवृत्ति को दिखाता है, प्रदूषण से संबंधित मौतों में पांच गुना वृद्धि होने के आसार हैं। जबकि तापमान से संबंधित मृत्यु दर सात गुना बढ़ सकती है, जो दुनिया की कम से कम 20 फीसदी आबादी के लिए वायु प्रदूषण की तुलना में अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करती है।

यह गणना 2000 से 2090 तक के अनुमानों पर आधारित है, जिसका विश्लेषण दस साल के अंतराल में किया गया। निष्कर्ष नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, साल 2000 से हर साल लगभग 16 लाख लोग भीषण गर्मी व ठंड के कारण मरते आए हैं। सदी के अंत तक, सबसे संभावित परिदृश्य में, यह आंकड़ा 1.08 करोड़ तक पहुंच जाएगा, जो लगभग सात गुना की वृद्धि है।

वायु प्रदूषण के कारण साल 2000 में सालाना मृत्यु दर लगभग 41 लाख थी। सदी के अंत तक इस संख्या के बढ़कर 1.95 करोड़ पहुंच गई, जो पांच गुना की वृद्धि है।

अध्ययन भविष्य की मृत्यु दर में भारी क्षेत्रीय अंतर दिखाता है। दक्षिण और पूर्वी एशिया में सबसे ज्यादा वृद्धि होने के आसार हैं, जो जनसंख्या की उम्र बढ़ने के कारण है, जिसमें वायु प्रदूषण अभी भी एक अहम भूमिका निभा रहा है।

इसके विपरीत, उच्च आय वाले क्षेत्रों में - जैसे पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और एशिया प्रशांत - अत्यधिक तापमान से संबंधित मौतों के वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों से अधिक होने के आसार हैं। इन क्षेत्रों के कुछ देशों में, जैसे अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान और न्यूजीलैंड में, यह बदलाव पहले से ही हो रहा है।

शोधकर्ताओं ने इस असमानता के बढ़ने की आशंका जताई है, क्योंकि मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों (जैसे, पोलैंड और रोमानिया) और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों (जैसे, अर्जेंटीना और चिली) में वायु प्रदूषण की तुलना में भीषण तापमान स्वास्थ्य के लिए एक अधिक बड़ा खतरा बन रहा है।

सदी के अंत तक, दुनिया की आबादी के पांचवें हिस्से के लिए तापमान से संबंधित खतरे वायु प्रदूषण से जुड़े खतरों से अधिक होने के आसार हैं, जो इस बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरों को कम करने के लिए व्यापक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को सामने लाता है।

शोधकर्ता ने शोध में कहा, जलवायु परिवर्तन केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक सीधा खतरा है। ये निष्कर्ष भविष्य में जीवन को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए निर्णायक शमन उपायों को लागू करने के महत्व को सामने लाते हैं।