आंकड़ों की मानें तो जनवरी से अगस्त के बीच कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा, जब बढ़ते तापमान ने नया रिकॉर्ड न बनाया हो; फोटो: आईस्टॉक 
जलवायु

जलवायु इतिहास का दूसरा सबसे गर्म सितम्बर था पिछला महीना, सामान्य से 1.54 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा तापमान

वैश्विक स्तर पर बढ़ते तापमान के लिए हम इंसान ही जिम्मेवार हैं, जो जलवायु परिवर्तन की कड़वी सच्चाई को जानते हुए भी बढ़ते प्रदूषण और उत्सर्जन की रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं

Lalit Maurya

हर गुजरते दिन के साथ तापमान बढ़ने का सिलसिला जारी है। इसका असर अब आम लोगों द्वारा भी महसूस किया जाने लगा है। कभी अक्टूबर का महीना आते-आते मौसम में गुलाबी सर्दियों का आगमन शुरू हो जाता था, लेकिन अब भी मौसम में गर्मी की चुभन बाकी है।

यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने भी अपने ताजा रुझानों में बढ़ते तापमान की पुष्टि की है, जिसके मुताबिक सितम्बर 2024 का महीना जलवायु इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे गर्म सितम्बर का महीना था। जब बढ़ता तापमान औद्योगिक काल (1850 से 1900) से पहले की तुलना में 1.54 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।

बता दें कि साल 2023 में अब तक का सबसे गर्म सितम्बर का महीना दर्ज किया गया था। यूरोपियन कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस यूरोपियन यूनियन के अर्थ ऑब्जरवेशन प्रोग्राम का हिस्सा है।

कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि सितंबर 2024 में वैश्विक स्तर पर सतह का औसत तापमान 16.17 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। ऐसे में यदि 1991 से 2020 के बीच सितंबर में दर्ज औसत तापमान से तुलना करे तो पिछले महीन तापमान 0.73 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

वहीं आंकड़ों के मुताबिक इस साल के पहले आठ महीनों में से कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने नया रिकॉर्ड न बनाया हो। वहीं यदि पिछले 15 महीनों में यह 14वीं बार है जब वैश्विक तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है।

इतिहास के सबसे गर्म वर्ष होने की राह पर 2024

वैश्विक स्तर पर इस बढ़ते तापमान के लिए काफी हद तक हम इंसान ही जिम्मेवार हैं, जो जलवायु परिवर्तन की कड़वी सच्चाई को जानते हुए भी बढ़ते प्रदूषण और उत्सर्जन की रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।

वहीं यदि अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच पिछले 12 महीनों को देखें तो यह दूसरा मौका है, जब तापमान इतना अधिक दर्ज किया गया है। मतलब की यदि इन 12 महीनों की तुलना 1991 से 2020 के औसत तापमान से करें तो वो 0.74 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। वहीं यदि औद्योगिकरण से पहले के समय से तुलना करें तो यह तापमान 1.62 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

वहीं यदि पिछले 12 महीनों की बात करें तो अगस्त ने बढ़ते तापमान का एक नया रिकॉर्ड बनाया था जब तापमान सामान्य से 1.27 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। कहीं न कहीं बढ़ते तापमान के यह रिकॉर्ड इस बात का भी सबूत हैं कि हमारी धरती में जो बदलाव आ रहे हैं, वो जलवायु परिवर्तन के बिना तो कतई भी मुमकिन नहीं है।

बढ़ते तापमान के यह आंकड़े इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि 2024 सबसे गर्म वर्ष होने की राह में बस कुछ कदम दूर है मतलब कि यह काफी हद तक स्पष्ट हो चुका है कि 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा। वैज्ञानिकों ने भी इस बात की 97 फीसदी आशंका जताई है कि साल 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा।

कहीं न कहीं यह रुझान इस बात का सबूत हैं कि हमारी धरती बड़ी तेजी से गर्म हो रही है और इस पर जल्द ध्यान ने दिया गया तो सामने आने वाले परिणाम कहीं ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।