चीन में औसतन युवा पीढ़ी 1.21 से 2.93 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन करती है क्योंकि वे अधिक अमीर हैं, जो अधिक खपत करते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

चीन की तीन बच्चों वाली नीति से भविष्य में और बढ़ेगा कार्बन उत्सर्जन, चरम होगा जलवायु परिवर्तन

चीन का सालाना प्रति व्यक्ति उत्पादित कार्बन की औसत मात्रा लगभग 2.34 टन है जो मेक्सिको के समान है और भारत से लगभग तीन गुना ज्यादा है।

Dayanidhi

एक नए अध्ययन के अनुसार, परिवार के आकार में इजाफा करने की चीन की रणनीति से साल 2060 तक उसके कार्बन पर लगाम लगाने का लक्ष्य हासिल करना अधिक कठिन हो जाएगा। शोध में चीन की जनसंख्या नीतियों के आधार पर उसके भविष्य के कार्बन उत्सर्जन पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।

शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रजनन नीतियों के तहत चीन की अनुमानित जनसंख्या के कार्बन पदचिह्न का अनुमान लगाया। जिसमें इसकी पूर्व दो-बच्चों की नीति, वर्तमान तीन-बच्चों की नीति शामिल है, जो देश की जनसंख्या को अनिश्चित काल तक लगभग 1.4 अरब के वर्तमान स्तर पर बनाए रखेगी।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा कि अपनी प्रजनन नीतियों में ढील देने और अधिक बच्चों को जन्म देने की अनुमति से चीन की भविष्य की आबादी और उससे जुड़े कार्बन पदचिह्न पहले से कहीं अधिक होगा, जिससे 2060 तक कार्बन न्यूट्रल होने के अपने घोषित लक्ष्य को हासिल करना कठिन हो जाएगा।

शोधकर्ता ने शोध में कहा, चीन सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है और दुनिया में सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जकों में से भी एक है। देश की भविष्य की आबादी और कार्बन उत्सर्जन पर प्रजनन नीतियों के प्रभावों को समझना इसके सतत विकास के लिए जरूरी है।

सीमित संसाधनों पर दबाव को कम करने के लिए 1979 में लागू की गई चीन की एक बच्चे वाली नीति ने देश की जनसंख्या वृद्धि को काफी हद तक सीमित कर दिया था। इसका असर समय के साथ देश की जनसांख्यिकी पर भी पड़ा जहां युवाओं की आबादी कम और वृद्धों की आबादी बढ़ गई।

इस एक बच्चे वाली नीति को अक्टूबर 2015 में दो-बच्चों वाली नीति से बदल दिया गया और फिर मई 2021 में इसकी वर्तमान तीन-बच्चों वाली नीति वृद्ध आबादी से निपटने के लिए बनाई गई।

चीन की प्रजनन दर 2020 में प्रति महिला 1.3 जन्म थी, जो इसकी जनसंख्या को बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रति महिला 2.1 जन्म के "बदलाव के स्तर" से कम है।

इसके कारण जनसंख्या में वृद्धों की संख्या बढ़ गई, जहां 65 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या का अनुपात 2000 में सात फीसदी से दोगुना होकर 2020 में 14 फीसदी हो गया। इसके अलावा साल 2022 में चीन की जनसंख्या में 8.5 लाख की गिरावट आई, जो छह दशकों में पहली बार इतनी गिरावट देखी गई।

शोधकर्ताओं ने पाया कि मौजूदा तीन बच्चों की नीति के तहत भी, चीन की जनसंख्या 2060 तक लगभग 1.3 अरब तक सिकुड़ जाएगी क्योंकि सभी लोग परिवार शुरू नहीं करेंगे और सभी परिवारों में अधिकतम तीन बच्चे नहीं होंगे। पहले की दो-बच्चों की नीति के तहत, 2060 तक जनसंख्या लगभग 1.15 अरब तक सिकुड़ जाएगी, जबकि देश के बदलने के स्तर पर पहुंचने पर यह 1.39 अरब बनी रहेगी।

इन अनुमानों का उपयोग करते हुए, 65 साल से अधिक आयु के लोगों का प्रतिशत दो-बच्चों वाली नीति के तहत जनसंख्या का 42 फीसदी, तीन बच्चों वाली नीति के तहत 37 फीसदी और बदलाव के स्तर के तहत 35 फीसदी तक बढ़ जाएगा।

भविष्य में जनसंख्या का कार्बन उत्सर्जन पर प्रभाव

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से बताया कि 2060 तक तीन अलग-अलग जनसंख्या नीतियों के तहत अलग-अलग अनुमानित जनसांख्यिकी से अनुमानित कार्बन पदचिह्नों का विश्लेषण किया गया, जबकि इस अवधि में चीन को कार्बन पर पूरी तरह लगाम लगाने का लक्ष्य हासिल करना है।

दुनिया भर में पहले ही चीन सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है, लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति उत्पादित कार्बन की मात्रा विकसित देशों की तुलना में कम है। चीन में औसत व्यक्ति सालाना अमेरिका के किसी व्यक्ति की तुलना में लगभग छठा हिस्सा और यूके या जापान के किसी व्यक्ति की तुलना में लगभग एक तिहाई घरेलू कार्बन पैदा करता है। चीन का प्रति व्यक्ति औसत लगभग 2.34 टन सीओ2 मेक्सिको के समान है और यह भारत से लगभग तीन गुना ज्यादा है।

औसतन युवा पीढ़ी 1.21 से 2.93 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का उत्पादन करती है क्योंकि वे अधिक अमीर होते हैं, जो अधिक खपत करते हैं। चीन के अधिक औद्योगिक इलाके वाले उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी प्रांतों में रहने वाले लोग भी प्रति व्यक्ति अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन करते हैं।

युवाओं के घर में कार्बन फुटप्रिंट उनके बुजुर्गों की तुलना में अधिक होता है, जिसका मुख्य कारण अधिक धन होना है, जिससे अधिक खपत होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अब जबकि आधिकारिक नीति चीन में तीन बच्चों तक की अनुमति देती है और युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गों की तुलना में अधिक अमीर है, इसलिए चीन को कार्बन उत्सर्जन में बड़ी वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।

नेचर क्लाइमेट चेंज में पॉलिसी ब्रीफ के रूप में प्रकाशित शोध में चीन के भविष्य के कार्बन पदचिह्न पर देरी से सेवानिवृत्ति नीतियों के प्रभावों का भी अनुमान लगाया गया है। सितंबर 2024 में चीन ने अगले 15 सालों में धीरे-धीरे सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने की योजना की घोषणा की है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से इसके कार्बन पदचिह्न में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, लेकिन इससे निर्भरता अनुपात में काफी कमी आएगी और बढ़ती उम्र की आबादी के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले उम्मीद जताई है कि चीन की आबादी के कार्बन पदचिह्न के भविष्य के बारे में यह बेहतर समझ उन नीतियों को बनाने में मदद कर सकती है जो युवाओं को अधिक टिकाऊ जीवन शैली जीने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जैसे कि खपत कम करना, सार्वजनिक यातायात का उपयोग करना और लंबे समय तक चलने वाले सामानों को खरीदना आदि।