सूखे से प्राकृतिक संसाधन घटते हैं, जिससे वन्यजीव मानव क्षेत्रों की ओर बढ़ते हैं और संघर्ष बढ़ते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

जलवायु परिवर्तन से बढ़ा मानव-वन्यजीव संघर्ष: सूखे के कारण संघर्ष में 57% वृद्धि की आशंका

सूखा प्राकृतिक संसाधनों को घटाकर वन्यजीवों को मानव बस्तियों की ओर धकेलता है, जिससे संघर्ष बढ़ता है और संरक्षण की चुनौतियां गहराती हैं।

Dayanidhi

  • सूखे से प्राकृतिक संसाधन घटते हैं, जिससे वन्यजीव मानव क्षेत्रों की ओर बढ़ते हैं और संघर्ष बढ़ते हैं।

  • कैलिफोर्निया में बारिश में 25 मिमी की कमी पर संघर्ष की घटनाएं लगभग दो फीसदी बढ़ीं।

  • मांसाहारी प्रजातियां - जैसे बॉबकैट, कोयोट और माउंटेन लायन सूखे से सबसे अधिक प्रभावित दिखीं।

  • गर्मी और सूखे के महीनों (मई से अक्टूबर) में संघर्ष सबसे तेजी से बढ़े।

  • मानव जनसंख्या घनत्व, पेड़ कवर और आय स्तर भी संघर्ष बढ़ाने वाले महत्वपूर्ण कारक पाए गए

जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इसका प्रभाव केवल मानव समाज पर ही नहीं, बल्कि वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों पर भी गहराई से पड़ रहा है। विशेष रूप से सूखे की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता उन परिस्थितियों को जन्म दे रही है, जिनमें लोगों और वन्यजीवों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है

हाल ही में साइंस एडवांसेज नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह समझने का प्रयास किया कि सूखा किस प्रकार से मानव–वन्यजीव संघर्ष पर असर डालता है और किन प्रजातियों पर इसका प्रभाव सबसे अधिक होता है।

सूखे का वन्यजीवों पर प्रभाव

सूखे के दौरान प्राकृतिक संसाधनों - जैसे पानी, घास, छोटे शिकार, फलों और अन्य खाद्य पदार्थों की उपलब्धता कम हो जाती है। वन्यजीवों को जीवित रहने के लिए अधिक दूर तक भटकना पड़ता है और कई बार यह उनकी यात्रा उन्हें मानव बस्तियों, खेतों, बगीचों या कचरा स्थलों के पास ले आती है।

लोगों की बसाहट में अक्सर ऐसे संसाधन उपलब्ध होते हैं जो सूखे से कम प्रभावित होते हैं, जैसे सिंचाई का पानी, पशुधन, फसलें या कचरे के ढेर। यही आकर्षण संघर्ष की आशंका को बढ़ाता है।

अध्ययन बताता है कि हालांकि सूखे और संघर्ष के बीच मजबूत संबंध दिखाई देते हैं, परंतु यह जरूरी नहीं कि सूखे के चलते वन्यजीवों का व्यवहार सीधे तौर पर बदल रहा हो। कई बार यह संबंध केवल इसलिए दिखाई देता है क्योंकि सूखे के दौरान मानव गतिविधियां और रिपोर्टिंग व्यवहार भी बदल जाते हैं।

अध्ययन में उपयोग किए गए आंकड़े

यह शोध कैलिफोर्निया के वाइल्डलाइफ इंसीडेंट रिपोर्टिंग (डब्ल्यूआईआर) डेटाबेस पर आधारित था, जिसमें साल 2017 से 2023 के बीच दर्ज लगभग 31,904 रिपोर्टें शामिल थीं। ये रिपोर्टें चार मुख्य श्रेणियों में विभाजित थीं -

मानव संघर्ष के आसार

शोधकर्ताओं ने इन सूचनाओं को 50 गुणा 50 किलोमीटर के ग्रिड में विभाजित कर प्रत्येक क्षेत्र में दर्ज घटनाओं की तुलना वर्षा, मौसम, मानव जनसंख्या घनत्व, पेड़ों की मात्रा और आय स्तर जैसे पर्यावरणीय व सामाजिक कारकों से की।

सूखे का संघर्ष बढ़ाने में योगदान

अध्ययन के सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक यह था कि प्रति 25 मिलीमीटर बारिश में कमी आने पर मानव-वन्यजीव संघर्ष लगभग 2.11 फीसदी बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि जितना अधिक सूखा पड़ेगा, उतना ही ज्यादा वन्यजीव मानव क्षेत्रों की ओर आकर्षित होंगे और संघर्ष की घटनाएं बढ़ेंगी।

खास बात यह रही कि संघर्ष में बढ़ोतरी केवल किसी एक प्रकार की घटना में नहीं दिखी। शिकार से जुड़ी घटनाएं, उपद्रव वाली शिकायतें और मानव सुरक्षा से जुड़ी संभावित घटनाएं शामिल हैं। सभी में बारिश कम होने पर वृद्धि दर्ज की गई।

कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित?

अध्ययन में पाया गया कि जिन क्षेत्रों में घने पेड़ों का कवर, अधिक जनसंख्या घनत्व और उच्च मध्यम घरेलू आय ये तीनों मौजूद हैं। वहां संघर्ष की रिपोर्टें अधिक थीं। संभव है कि इन क्षेत्रों में मनुष्य वन्यजीवों को देखने या रिपोर्ट करने में अधिक सक्रिय हों, साथ ही शहरी संरचना और हरियाली वन्यजीवों को भी आकर्षित कर सकती है।

कौन से जानवर सूखे से सबसे अधिक प्रभावित?

अध्ययन में अलग-अलग प्रजातियों पर सूखे के प्रभाव को भी परखा गया। मांसाहारी जानवरों इस प्रभाव से सबसे ज्यादा प्रभावित पाए गए। कारण स्पष्ट है कि सूखे के दौरान उनके प्राकृतिक शिकार कम हो जाते हैं, जिससे वे पशुधन या पालतू जानवरों की ओर बढ़ने लगते हैं।

चार प्रजातियां सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित बताई गई -

  • बॉबकैट में 2.97 फीसदी की वृद्धि

  • अमेरिकन ब्लैक बियर की 2.56 फीसदी

  • कोयोट में 2.21 फीसदी

  • माउंटेन लायन में 2.11 फीसदी

यह दर्शाता है कि सभी मांसाहारी प्रजातियां समान रूप से प्रभावित नहीं हुई, बल्कि कुछ में इसका प्रभाव बहुत अधिक दिखाई दिया।

मौसमी प्रभाव सबसे स्पष्ट

मई से अक्टूबर तक, जब कैलिफोर्निया में गर्मी और सूखा चरम पर होता है संघर्ष की घटनाएं सबसे तेजी से बढ़ीं। यह बढ़ोतरी सालाना बारिश के स्तर से स्वतंत्र पाई गई। इसका मतलब है कि चाहे साल कितना भी शुष्क या नम क्यों न हो, गर्मियों में संघर्ष अपने आप बढ़ते हैं। यह कई कारणों से होता है -

  • पानी और भोजन की और अधिक कमी

  • वन्यजीवों की बढ़ी हुई आवाजाही

  • मनुष्यों की आउटडोर गतिविधियों का बढ़ना

  • वन्यजीवों की दृश्यता में वृद्धि

संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण संकेत

अध्ययन का सबसे बड़ा संदेश यह है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानव–वन्यजीव संघर्ष भविष्य में और बढ़ने वाला है। यह नीति-निर्माताओं, वन विभागों और स्थानीय समुदायों के लिए चेतावनी है कि सूखे के प्रभावों को समझकर ही संघर्ष नियंत्रण की योजनाएं बनाई जानी चाहिए।

  • पानी के कृत्रिम स्रोतों का प्रबंधन

  • वन्यजीवों के आवागमन के सुरक्षित मार्ग

  • समुदायों में जागरूकता

  • पशुधन सुरक्षा उपाय

संघर्ष की घटनाओं की वैज्ञानिक निगरानी इन सबकी मदद से आने वाले सालों में इस समस्या को कम किया जा सकता है।