एआई की मदद से किए नए अध्ययन से पता चला है कि दुनिया के कई हिस्सों में तापमान पिछले अनुमान से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।
अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं, उनके मुताबिक 2040 या उससे पहले ही दुनिया के अधिकांश भू-भागों में तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर सकता है। वहीं कुछ क्षेत्रों में तो वैश्विक तापमान 2060 तक तीन डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो सकता है, जो कि पिछले अनुमानों से कहीं जल्दी है।
बता दें कि अप्रैल 2022 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि सदी के अंत तक दुनिया में बढ़ता तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) द्वारा जारी 'ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट' ने भी माना है कि जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
इसी तरह विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने भी आशंका जताई थी कि पांच वर्षों में 2023 से 2027 के बीच वैश्विक तापमान में होती वृद्धि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगी।
यह नया अध्ययन दुनिया के तीन प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। उन्होंने अपने इस अध्ययन में बढ़ते तापमान की गणना करने के लिए वैश्विक जलवायु मॉडलों के साथ-साथ एआई की भी मदद ली है।
इस अध्ययन के नतीजे जर्नल एनवायरनमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुए हैं।
बता दें कि कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) से जुड़े वैज्ञानिकों ने बढ़ते तापमान को लेकर खुलासा किया है कि यह करीब-करीब तय है कि साल 2024 दर्ज जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म साल होगा। इससे पहले 2023 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज है, जब बढ़ता तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था।
वैज्ञानिकों ने इस बात की भी आशंका जताई है कि 2024 में बढ़ता तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर सकता है। औद्योगिक पैमाने पर जीवाश्म ईंधन का उपयोग शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब बढ़ता तापमान इस सीमा तक पहुंचेगा।
अपने इस नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस बात की भी आशंका जताई है कि दक्षिण एशिया, भूमध्य सागर, मध्य यूरोप और उप-सहारा अफ्रीका के कुछ हिस्सों में तापमान तेजी से बढ़ सकता है, जिससे संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र और कमजोर समुदायों के लिए खतरा बढ़ जाएगा।
यह अध्ययन कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एलिजाबेथ बार्न्स, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नोआ डिफेंबॉग और ईटीएच-ज्यूरिख की प्रोफेसर सोनिया सेनेविरत्ने के नेतृत्व में किया गया है।
अपने शोध में जलवायु मॉडलों और अवलोकनों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए उन्होंने एआई तकनीक का भी उपयोग किया है। इससे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए अधिक सटीक अनुमान लगाने में मदद मिली है।
अध्ययन से पता चला है कि 2040 तक 34 क्षेत्रों में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच सकता है। वहीं इनमें से 31 क्षेत्रों में तापमान इस अवधि के दौरान दो डिग्री सेल्सियस की सीमा तक पहुंच सकता है। वहीं आशंका है कि 26 क्षेत्रों में 2060 तक बढ़ता तापमान तीन डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो सकता है।
प्रेस को जारी एक बयान में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता नोआ डिफेंबॉग ने कहा, "हमें न केवल वैश्विक, बल्कि स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर भी तापमान में होते बदलाव पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।"
उनके मुताबिक यह जानकारी कि क्षेत्रीय तापमान में वृद्धि कब होगी, लोगों और पारिस्थितिकी तंत्रों पर इसके विशिष्ट प्रभावों का बेहतर और सही समय पर स्पष्ट पूर्वानुमान लगाने में मददगार साबित हो सकती है।
हालांकि उनके मुताबिक क्षेत्रीय जलवायु में आने वाले बदलावों का पूर्वानुमान कठिन होता है, क्योंकि जलवायु प्रणाली स्वाभाविक रूप से छोटे स्थानिक पैमानों पर अधिक अप्रत्याशित होती है। वहीं वातावरण, महासागर और भूमि के बीच अंतर्क्रियाएं इस अनिश्चितता को और बढ़ा देती हैं। ऐसे में यह अनुमान लगाना कठिन हो जाता है कि कोई क्षेत्र बढ़ते तापमान पर कैसे प्रतिक्रिया करेगा।