आज दुनिया हर साल 1,000 ग्लेशियर खो रही है, लेकिन 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने पर 2041 तक 2,000 ग्लेशियर प्रति वर्ष गायब होंगे। फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

दुनिया से हर साल 1,000 ग्लेशियर हो रहे हैं गायब: गंभीर चेतावनी

अध्ययन में कहा गया है कि इसी तरह चलता रहा तो साल 2041 तक हर साल करीब 2,000 ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं।

Dayanidhi

  • आज दुनिया हर साल 1,000 ग्लेशियर खो रही है, लेकिन 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने पर 2041 तक 2,000 ग्लेशियर प्रति वर्ष गायब होंगे।

  • सरकारी नीतियों के अनुसार 2.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ने पर 2040-2060 के बीच हर साल लगभग 3,000 ग्लेशियर पिघल सकते हैं।

  • सबसे खराब स्थिति चार डिग्री सेल्सियस बढ़ने में, हर साल 4,000 ग्लेशियर गायब होंगे, और 2100 तक केवल 18,288 ग्लेशियर (नौ फीसदी) बचे रहेंगे।

  • तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर, साल 2100 तक लगभग 95,957 ग्लेशियर बचे रहेंगे, यानी आधे ग्लेशियर।

  • छोटे ग्लेशियर वाले क्षेत्र जैसे आल्प्स और एंडीज, अगले 20 वर्षों में 50 फीसदी ग्लेशियर खो सकते हैं, स्थानीय जीवन प्रभावित होगा।

जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। दुनिया भर में मौजूद हजारों ग्लेशियर आने वाले दशकों में तेजी से खत्म हो सकते हैं। एक नए वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, अगर वैश्विक तापमान को नियंत्रित नहीं किया गया, तो इस सदी के अंत तक दुनिया के ज्यादातर ग्लेशियर गायब हो जाएंगे।

यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोध में बताया गया है कि आज दुनिया हर साल लगभग 1,000 ग्लेशियर खो रही है, लेकिन आने वाले सालों में यह संख्या और बढ़ेगी। सरकारों की जलवायु नीतियां तय करेंगी कि भविष्य में हर साल 2,000 ग्लेशियर गायब होंगे या 4,000।

वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के 2,11,490 ग्लेशियरों के उपग्रह चित्रों का अध्ययन किया। उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि इस सदी में हर साल कितने अलग-अलग ग्लेशियर पूरी तरह खत्म हो सकते हैं। इसे उन्होंने “पीक ग्लेशियर एक्सटिंक्शन” यानी ग्लेशियरों के सबसे तेज विनाश का समय कहा है।

तापमान बढ़ने का असर

अध्ययन में अलग-अलग तापमान बढ़ने की स्थितियों को देखा गया। अगर वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाता है, तो भी हालात गंभीर रहेंगे। इस स्थिति में साल 2041 तक हर साल करीब 2,000 ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं। इसके बावजूद, साल 2100 तक दुनिया के लगभग आधे ग्लेशियर बचे रहेंगे।

लेकिन संयुक्त राष्ट्र पहले ही चेतावनी दे चुका है कि दुनिया 1.5 डिग्री की सीमा को पार करने की ओर बढ़ रही है। मौजूदा सरकारी नीतियों के अनुसार तापमान लगभग 2.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इस स्थिति में 2040 से 2060 के बीच हर साल करीब 3,000 ग्लेशियर गायब होंगे। सदी के अंत तक केवल 20 प्रतिशत ग्लेशियर ही बच पाएंगे।

अगर हालात और बिगड़ते हैं और तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, तो स्थिति बेहद भयावह होगी। तब 2050 के दशक में हर साल करीब 4,000 ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं। साल 2100 तक केवल नौ प्रतिशत ग्लेशियर ही धरती पर बचे रहेंगे।

छोटे ग्लेशियरों का बड़ा महत्व

हालांकि छोटे ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र के स्तर पर बहुत बड़ा असर नहीं पड़ता, लेकिन उनका स्थानीय जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। ये ग्लेशियर आसपास के इलाकों को पानी देते हैं, पर्यटन को बढ़ावा देते हैं और कई जगहों पर लोगों की संस्कृति और पहचान से जुड़े होते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि हर एक ग्लेशियर का खत्म होना स्थानीय लोगों के लिए बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। स्विट्जरलैंड और एंडीज जैसे क्षेत्रों में कई छोटे ग्लेशियर अगले 20 वर्षों में ही गायब हो सकते हैं।

भावनात्मक और सांस्कृतिक नुकसान

इस अध्ययन से जुड़े एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया कि ग्लेशियरों का नुकसान केवल वैज्ञानिक समस्या नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक भी है। उन्होंने 2019 में स्विट्जरलैंड के पिजोल ग्लेशियर के लिए एक प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार में भाग लिया था। यह दिखाता है कि ग्लेशियरों का खत्म होना लोगों के दिलों को भी छूता है।

भविष्य अभी भी हमारे हाथ में

वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया कि हर स्थिति में एक समय ऐसा आएगा जब ग्लेशियरों के खत्म होने की गति धीमी हो जाएगी। लेकिन ऐसा इसलिए नहीं होगा क्योंकि हालात सुधर गए हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि तब तक ज्यादातर ग्लेशियर खत्म हो चुके होंगे। उदाहरण के लिए, यूरोपीय आल्प्स में सदी के अंत तक ग्लेशियरों का नुकसान लगभग शून्य हो जाएगा, क्योंकि वहां शायद ही कोई ग्लेशियर बचेगा।

यह अध्ययन हमें एक साफ संदेश देता है - अगर अभी ठोस और सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियां दुनिया के ज्यादातर ग्लेशियर केवल तस्वीरों और किताबों में ही देख पाएंगी।

जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सरकारों, उद्योगों और आम लोगों सभी को मिलकर काम करना होगा। ग्लेशियरों को बचाना केवल बर्फ को बचाना नहीं है, बल्कि पानी, संस्कृति और जीवन को बचाना है।