वायु

डब्ल्यूएचओ के मानकों पर खरी नहीं है भारत के किसी भी शहर की हवा, बर्नीहाट सबसे प्रदूषित शहर

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने पिछले छह महीनों के दौरान देश के 256 शहरों की वायु गुणवत्ता में आए बदलावों का विश्लेषण कर रिपोर्ट जारी की है

Lalit Maurya

2024 के शुरूआती छह महीनों के आंकड़ों को देखें तो देश के 256 शहरों में बर्नीहाट की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी। इस दौरान वहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 140 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। गौरतलब है कि बर्नीहाट, असम का एक छोटा सा शहर है। जहां वायु गुणवत्ता का सबसे खराब पाया जाना इस बात का स्पष्ट सबूत है कि देश में प्रदूषण अब केवल बड़े शहरों की समस्या नहीं रह गया है।

आंकड़ों के मुताबिक बर्नीहाट में अध्ययन किए गए 148 दिनों में से छह दिन वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर था। वहीं 107 दिन हवा बेहद खराब रही, जबकि छह महीनों में महज पांच दिन ऐसे थे, जब वायु गुणवत्ता का बेहतर कहा जा सकता है।

यह जानकारी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है। अपनी इस रिपोर्ट में सीआरईए ने पिछले छह महीनों के दौरान देश के 256 शहरों की वायु गुणवत्ता में आए बदलावों का विश्लेषण किया है।

वहीं प्रदूषण के मामले में फरीदाबाद दूसरे, जबकि दिल्ली तीसरे स्थान पर रही। फरीदाबाद से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो वहां पिछले छह महीनों में पीएम 2.5 का औसत स्तर 103 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। आंकड़ों के मुताबिक फरीदाबाद में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब हवा स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित कही जा सके। वहीं फरीदाबाद में 41 दिन वायु गुणवत्ता बेहद खराब, जबकि 58 दिन 'खराब' थी।

सिर्फ हरियाणा में देखें तो फरीदाबाद वहां का सबसे प्रदूषित शहर था, हालांकि देश के सबसे प्रदूषित दस शहरों की सूची में हरियाणा के तीन शहर शामिल रहे। रिपोर्ट में राजधानी दिल्ली को तीसरे सबसे प्रदूषित शहर के रूप में दर्शाया गया है, जहां पीएम 2.5 का औसत स्तर 102 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।

गौरतलब है कि दिल्ली में चार दिन वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर तक पहुंच गई। वहीं 182 दिन ऐसे थे जब वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों पर खरी नहीं थी।

सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं प्रदूषण का जहर

बता दें कि देश में चौथे स्थान पर गुड़गांव था, जहां पीएम 2.5 का स्तर 99 रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद भागलपुर, श्रीगंगानगर, ग्रेटर नोएडा, मुजफ्फरनगर, बल्लबगढ़, और भिवाड़ी शीर्ष दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल थे। इनमें तीन शहर हरियाणा के दो-दो शहर राजस्थान और के जबकि दिल्ली के साथ असम और बिहार का एक-एक शहर शामिल था।

यदि देश के 163 सबसे प्रदूषित शहरों को देखें तो वहां वायु गुणवत्ता का स्तर देश के वायु गुणवत्ता मानकों यानी नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स से भी ज्यादा था, जबकि देश में एक भी शहर ऐसा नहीं रहा जहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर खरी हो। यदि दिल्ली में पीएम 2.5 के औसत स्तर को देखें तो वो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से 20 गुणा अधिक था।

गौरतलब है कि जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लम्बी अवधि में हवा में पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम पीएम 2.5 को सुरक्षित माना है। वहीं राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों में यह आंकड़ा 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। दूसरी तरफ इस अवधि के दौरान देश में केवल 93 शहर ऐसे थे जहां वायु गुणवत्ता भारत द्वारा पीएम 2.5 के लिए निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों पर खरी हो।

बता दें कि देश के जिन 163 शहरों में पीएम 2.5 का स्तर देश के वायु गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं था उनमें से महज 63 शहर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम का हिस्सा हैं। वहीं बाकी 100 शहरों के पास अभी भी वायु प्रदूषण के इस जहर से निपटने के लिए कोई ठोस कार्य योजना नहीं है।

देश में प्रदूषण की ताजा स्थिति के बारे में आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से जान सकते हैं।