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वायु

प्रदूषण का कहर: प्रदूषण में अव्वल नोएडा, दिल्ली में बढ़कर 398 पर पहुंचा एक्यूआई

20 दिसंबर, 2025 को 242 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 1.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है। दूसरी तरफ 71.5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं

Lalit Maurya

  • नोएडा में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां एक्यूआई 401 तक पहुंच गयाै। दिल्ली में भी प्रदूषण का स्तर बढ़कर 398 हो गया है।

  • नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।

  • दूसरी तरफ देश में दमोह की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 27 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना दमोह से करें तो वहां स्थिति 14 गुणा खराब है।

  • 20 दिसंबर, 2025 को 242 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 1.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

  • वहीं 26.9 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 71.5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि 20 दिसंबर 2025 को देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 401 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 19 दिसंबर को नोएडा में एक्यूआई 410 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में नौ अंकों का सुधार आया है। इसके बावजूद नोएडा में आज भी स्थिति 'गंभीर' बनी हुई है।   

रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में दमोह की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 27 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना दमोह से करें तो वहां स्थिति 14 गुणा खराब है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 24 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 398 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। चिंता की बात यह है कि दिल्ली में अभी भी प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,500 फीसदी अधिक है।  

गौरतलब है कि इससे पहले 14 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 461 तक पहुंच गया।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 20 दिसंबर, 2025 को 242 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 1.6 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं 26.9 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 71.5 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है।

बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 33 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। दूसरी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 8.3 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में दो फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

इसी तरह खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में कल से करीब छह फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में कल से 87 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता की खबर है।

फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 235 रिकॉर्ड किया गया है।  

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में दिल्ली (398) दूसरे जबकि धारूहेड़ा (365) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 362 अंकों के साथ गुरुग्राम चौथे स्थान पर है। गाजियाबाद-पंचकुला में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 361 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

बहादुरगढ़ (360) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में सिंगरौली (352), ग्रेटर नोएडा (344), भिवाड़ी (332) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के तीन (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद) और हरियाणा के चार शहर (गुरुग्राम, धारूहेड़ा, बहादुरगढ़, पंचकुला) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, दिल्ली, धारूहेड़ा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, पंचकुला, बहादुरगढ़, ग्रेटर नोएडा, भिवाड़ी, बागपत, मानेसर, गुम्मिडीपूंडी, बद्दी, बल्लभगढ़, चंडीगढ़, सोनीपत, यमुना नगर, अंगुल, विशाखापत्तनम, बालासोर, तालचेर, ब्यासनगर, तिरुपुर, मुजफ्फरनगर, तिरुमाला, मेरठ, जींद, राजमहेंद्रवरम, कुरुक्षेत्र, ग्वालियर, कटक, तुमकुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद, हाजीपुर, पंचगांव, हल्दिया, करनाल, बारबिल, हापुड़, नारनौल, देहरादून, हावड़ा, बुलंदशहर, समस्तीपुर, वातवा, आगरा, अंबाला, मंडीखेड़ा, बिहार शरीफ, श्रीनगर, चरखी दादरी, चेन्नई, सीकर, खुर्जा, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, रूपनगर, राजगीर, कोटा, नाहरलागुन, छपरा, बक्सर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं सिंगरौली, रोहतक, मंडीदीप, बीकानेर, पानीपत, टोंक, चुरू, हनुमानगढ़, बिलीपाड़ा, बाड़मेर, झुंझुनू, जैसलमेर, नागौर, औरंगाबाद (बिहार), फतेहाबाद, बेगूसराय, सवाई माधोपुर, सांगली, जालोर, किशनगंज, सासाराम, जलगांव, कल्याण, मालेगांव, अमरावती (आंध्रप्रदेश), उल्हासनगर, चित्तौड़गढ़, जालंधर, भिवंडी, रतलाम, भागलपुर, चंद्रपुर, धनबाद, कैथल, महाद, ब्रजराजनगर, पटियाला, बदलापुर, सुआकती, रायरंगपुर, गांधीनगर, बोइसर, अलवर, लुधियाना, मंगुराहा, विरार, प्रतापगढ़, अजमेर, बारां, नांदेड़, ठाणे, दौसा, देवास, बिलासपुर, दावनगेरे आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।

देश के 1.6 फीसदी यानी महज चार शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में आइजोल, भिलाई, चामराजनगर, दमोह आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन 60 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें कन्नूर, करौली, कटिहार, क्योंझर, कोहिमा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, नागपुर, नासिक, नयागढ़, पलवल, परभनी, पूर्णिया, रायपुर, सहरसा, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सोलापुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, वापी आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 120 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अंबाला, अंकलेश्वर, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बारां, बाड़मेर, बैरकपुर, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, भोपाल, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बोइसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, बर्नीहाट, चंद्रपुर, चरखी दादरी, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दौसा, दावनगेरे, देवास, धनबाद, धौलपुर, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गुवाहाटी, हनुमानगढ़, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झुंझुनू, जोधपुर, कडप्पा, कैथल, कल्याण, कानपुर, करूर, कटनी, खन्ना, खुर्जा, किशनगंज, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, लखनऊ, लुधियाना, महाद, मालेगांव, मंडीखेड़ा, मंगुराहा, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागांव, नागौर, नाहरलागुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नवी मुंबई, पाली, पटियाला, पटना, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड़, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुचेरी, पुणे, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, रतलाम, ऋषिकेश, राउरकेला, रूपनगर, सागर, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिवान, श्री गंगानगर, श्रीनगर, सुआकती, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, विरार शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 37 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंगुल, बालासोर, बारबिल, भुवनेश्वर, बीकानेर, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चुरू, कटक, देहरादून, फरीदाबाद, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हापुड़, हावड़ा, जींद, करनाल, कुरुक्षेत्र, मंडीदीप, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नारनौल, पंचगांव, पानीपत, राजमहेंद्रवरम, रोहतक, समस्तीपुर, सोनीपत, तालचेर, तिरुमाला, तिरुपुर, टोंक, तुमकुरु, वातवा, विशाखापत्तनम, यमुना नगर शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 15 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बद्दी, बागपत, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, भिवाड़ी, चंडीगढ़, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडीपूंडी, गुरुग्राम, मानेसर, पंचकुला, सिंगरौली शामिल हैं। वहीं नोएडा में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 242 में से महज चार शहरों में हवा 'बेहतर' है। 65 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 19 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 60 दर्ज किया गया था।

120 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज नोएडा (401) में एक बार फिर स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 410 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से नोएडा में प्रदूषण के स्तर में नौ अंकों का सुधार आया है। हालांकि नोएडा में आज भी वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।       

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके बावजूद वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली में 24 अंकों के उछाल के साथ आज वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 398 पर पहुंच गया।

दूसरी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 16 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 235 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। 

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 20 दिसंबर को गुरुग्राम चौथे स्थान पर है, वहीं दिल्ली (398) दूसरे, जबकि धारूहेड़ा (365) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 245, गाजियाबाद में 361, गुवाहाटी में 131, गुरूग्राम में 362, नोएडा में 401, ग्रेटर नोएडा में 344 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 105 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 154, चेन्नई में 184, चंडीगढ़ में 302, हैदराबाद में 93, जयपुर में 160 और पटना में 183 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन चार शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, भिलाई, चामराजनगर, दमोह शामिल हैं।

वहीं अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अनंतपुर, अररिया, आरा, बांसवाड़ा, बरेली, बेलापुर, बेलगाम, बेतिया, चिक्कमगलुरु, धुले, डूंगरपुर, गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, जबलपुर, जलना, झालावाड़, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कटिहार, क्योंझर, कोहिमा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, नागपुर, नासिक, नयागढ़, पलवल, परभनी, पूर्णिया, रायपुर, सहरसा, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सोलापुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, वापी, विजयवाड़ा, वृंदावन, यादगीर आदि 65 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:

हवा में जहर: नोएडा में बढ़कर 410 पर पहुंचा एक्यूआई, दिल्ली-गुरुग्राम में स्थिति बेहद खराब