दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 447 और दिल्ली में 427 दर्ज किया गया है। यह स्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है।
प्रदूषण के महीन कणों के कारण लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 15 दिसंबर 2025 को देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 447 तक पहुंच गया।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 12 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 36 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 34 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 427 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
15 दिसंबर, 2025 को 240 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 3.3 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 26.7 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 70 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 211 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद (444) दूसरे जबकि नोएडा (437) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 427 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है।
बहादुरगढ़-मेरठ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 374 और 360 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
गुरुग्राम (345) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में धारूहेड़ा (336), बल्लभगढ़ (328), मानेसर (325) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ) और हरियाणा के पांच शहर (बहादुरगढ़, गुरुग्राम, धारूहेड़ा, बल्लभगढ़, मानेसर) शामिल हैं।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 15 दिसंबर 2025 को देश में ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 447 तक पहुंच गया। गौरतलब है कि 14 दिसंबर को ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 435 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 12 अंकों का उछाल आया है। इसके साथ ही वहां स्थिति आज भी गंभीर बनी हुई है।
रुझानों में सामने आया है कि ग्रेटर नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
ग्रेटर नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,800 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 12 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 36 गुणा खराब है।
बता दें कि कल देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब एक्यूआई बढ़कर 466 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 29 अंकों के साथ नोएडा में एक्यूआई 437 रिकॉर्ड किया गया है, लेकिन वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 34 अंकों के सुधार के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 427 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। चिंता की बात यह है कि दिल्ली में अभी भी प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,700 फीसदी अधिक है।
गौरतलब है कि इससे पहले 14 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 461 तक पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 15 दिसंबर, 2025 को 240 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 3.3 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 26.7 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 70 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 14 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब नौ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में कल से करीब छह फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में 25 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया, जोकि चिंता का विषय है। बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी कल से 22 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। इसी तरह गंभीर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो उनकी गिनती में भी 33 फीसदी की गिरावट आई है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 211 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद (444) दूसरे जबकि नोएडा (437) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 427 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। बहादुरगढ़-मेरठ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 374 और 360 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
गुरुग्राम (345) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में धारूहेड़ा (336), बल्लभगढ़ (328), मानेसर (325) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ) और हरियाणा के पांच शहर (बहादुरगढ़, गुरुग्राम, धारूहेड़ा, बल्लभगढ़, मानेसर) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, बहादुरगढ़, मेरठ, गुरुग्राम, धारूहेड़ा, बल्लभगढ़, मानेसर, जैसलमेर, भिवाड़ी, फतेहाबाद, विशाखापत्तनम, पंचगांव, मुजफ्फरनगर, तालचेर, सोनीपत, बुलंदशहर, रोहतक, करनाल, भुवनेश्वर, बद्दी, भोपाल, चरखी दादरी, ग्वालियर, मंडीखेड़ा, सागर, खुर्जा, सिंगरौली, गुम्मिडीपूंडी, कटक, कटनी, बिलीपाड़ा, बारबिल, अंगुल, कुरुक्षेत्र, झालावाड़, नारनौल, जींद, पाली, जयपुर, ब्यासनगर, फरीदाबाद आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं टोंक, श्री गंगानगर, बीकानेर, चुरू, सीकर, नागौर, मंडीदीप, पानीपत, झुंझुनू, किशनगंज, जालोर, सवाई माधोपुर, औरंगाबाद (बिहार), उल्हासनगर, पटियाला, सांगली, मैहर, महाद, भिवंडी, बदलापुर, धनबाद, मीरा-भायंदर, बिलासपुर, रतलाम, अलवर, अंकलेश्वर, बेगूसराय, चंद्रपुर, लुधियाना, अहमदाबाद, सासाराम, अजमेर, देवास, नांदेड़, ठाणे, धुले, बोइसर, खन्ना, मालेगांव, सिरोही, बाड़मेर, रायरंगपुर, जालंधर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत देश के 3.3 फीसदी यानी महज आठ शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में दमोह, गंगटोक, मदिकेरी, शिलांग, श्री विजयनगर पुरम, तिरुनेलवेली आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 64 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें इंदौर, जलना, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, काशीपुर, क्योंझर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदुरै, मंगुराहा, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, ऊटी, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, राजगीर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, राउरकेला, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरसा, शिवसागर, सुआकाती, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 112 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अंकलेश्वर, अररिया, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, बेगूसराय, बेंगलुरु, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बोइसर, बूंदी, बक्सर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, छाल, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, दौसा, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गया, गुवाहाटी, हाजीपुर, हल्दिया, हावड़ा, हैदराबाद, जालंधर, जलगांव, जालोर, झांसी, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कल्याण, कानपुर, करौली, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, लखनऊ, लुधियाना, महाद, मैहर, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागांव, नागपुर, नाहरलागुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पलवल, पंचकुला, परभनी, पटियाला, पटना, पीथमपुर, प्रयागराज, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रतलाम, सहरसा, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सिरोही, सोलापुर, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुमाला, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 45 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंगुल, बद्दी, बारबिल, भिवाड़ी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चरखी दादरी, छपरा, चुरू, कटक, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुम्मिडीपूंडी, ग्वालियर, जबलपुर, जयपुर, झालावाड़, जींद, करनाल, कटनी, खुर्जा, कोटा, कुरुक्षेत्र, मंडीदीप, मंडीखेड़ा, मुजफ्फरनगर, नागौर, नारनौल, पाली, पंचगांव, पानीपत, पिंपरी-चिंचवाड़, रोहतक, सागर, सीकर, सिंगरौली, सोनीपत, श्री गंगानगर, तालचेर, टोंक, विशाखापत्तनम शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के सात शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, धारूहेड़ा, गुरुग्राम, जैसलमेर, मानेसर, मेरठ शामिल हैं। वहीं चार शहरों दिल्ली, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा में स्थिति गंभीर बनी हुई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 240 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' है। 64 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 14 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 70 दर्ज किया गया था।
112 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज ग्रेटर नोएडा (447) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 450 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण के स्तर में 12 अंकों का उछाल आया है। ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
गौरतलब है कि कल देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जब एक्यूआई बढ़कर 466 तक पहुंच गया था। हालांकि आज नोएडा में प्रदूषण के स्तर में 29 अंकों का सुधार आया है, जिसके बावजूद वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर बनी हुई है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो भले ही कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, लेकिन वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर बनी हुई है। दिल्ली में 34 अंकों के सुधार के साथ आज वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 427 पर पहुंच गया।
इसी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां सात अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 211 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता आज भी खराब श्रेणी में बनी हुई है।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 15 दिसंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं गाजियाबाद (444) दूसरे, जबकि नोएडा (437) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 253, गाजियाबाद में 444, गुवाहाटी में 121, गुरूग्राम में 345, नोएडा में 437, ग्रेटर नोएडा में 447 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 122 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 162, चेन्नई में 108, चंडीगढ़ में 150, हैदराबाद में 104, जयपुर में 213 और पटना में 146 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, चामराजनगर, दमोह, गंगटोक, मदिकेरी, शिलांग, श्री विजयनगर पुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अंबाला, अमृतसर, अनंतपुर, अरियालुर, आरा, बैरकपुर, बेलापुर, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, चित्तूर, कुड्डालोर, धारवाड़, डिंडीगुल, गांधीनगर, गोरखपुर, हुबली, इंदौर, जलना, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, काशीपुर, क्योंझर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, मदुरै, मंगुराहा, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, ऊटी, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, राजगीर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, राउरकेला, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरसा, शिवसागर, सुआकाती, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 64 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
दिल्ली में 2025 के रिकॉर्ड स्तर पर प्रदूषण, नोएडा में 466 एक्यूआई