नोएडा में 03 दिसंबर 2025 को वायु गुणवत्ता सूचकांक 365 दर्ज हुआ, जो देश में सबसे खराब है। बागपत और हापुड़ दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे।
नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,300 फीसदी अधिक है।
दिल्ली में सुधार के बावजूद एक्यूआई 342 रहा।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 16 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 22 गुणा खराब है।
249 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 10 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 24 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 66 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 03 दिसंबर 2025 को देश में एक बार फिर नोएडा की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 365 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 02 दिसंबर को नोएडा में एक्यूआई 395 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 30 अंकों की गिरावट आई है। हालांकि वहां आज भी स्थिति 'बेहद खराब' बनी हुई है।
रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,300 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 16 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 22 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 30 अंकों के सुधार से साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक घटकर 342 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' बनी हुई है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,100 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 03 दिसंबर, 2025 को 249 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 10 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 24 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 66 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 13 फीसदी की गिरावट आई है।
दूसरी तरह साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से कोई बदलाव नहीं हुआ है और स्थिति जस की तस बनी हुई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में 12 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में कल से करीब तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
इसी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी 21 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जोकि राहत की खबर है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 227 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में बागपत (363) दूसरे जबकि हापुड़ (363) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 342 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। धारूहेड़ा-मानेसर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 333 और 327 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
गाजियाबाद (324) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेटर नोएडा (324), भिवाड़ी (310), और सोनीपत (308) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़) और हरियाणा के तीन शहर (धारूहेड़ा, मानेसर, सोनीपत) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, बागपत, हापुड़, दिल्ली, धारूहेड़ा, मानेसर, ग्रेटर नोएडा, भिवाड़ी, सोनीपत, चरखी दादरी, कटक, भुवनेश्वर, हल्दिया, गुरुग्राम, अंगुल, मुजफ्फरनगर, बालासोर, भिवानी, करनाल, तालचेर, खुर्जा, मंडीदीप, हाजीपुर, टोंक, सिंगरौली, ब्यासनगर, सीकर, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, पिंपरी-चिंचवाड़, बुलंदशहर, बद्दी, बिलीपाड़ा, जींद, ग्वालियर, बल्लभगढ़, बैरकपुर, जालंधर, भरतपुर, लखनऊ, धुले, कोलकाता, चंडीगढ़, फतेहाबाद, कानपुर, हावड़ा, सांगली, जयपुर, नारनौल, विशाखापत्तनम, आसनसोल, पुणे, पीथमपुर, बारबिल, पलवल, अररिया, करौली, महाड, कटनी, भिवंडी, मंडी गोबिंदगढ़, परभनी, नांदेड़, लातूर, नंदेसरी, धौलपुर, बक्सर, पटना, झुंझुनू, आरा, खन्ना, बारीपदा, कोटा, मुरादाबाद, जलगांव, नवी मुंबई, नाहरलागुन, बिहार शरीफ, बेगूसराय, मोतिहारी, नासिक, वातवा, मुजफ्फरपुर, बेतिया, बेलापुर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं गाजियाबाद, मेरठ, श्री गंगानगर, चंद्रपुर, भोपाल, चूरू, बीकानेर, पानीपत, सासाराम, धनबाद, गया, सवाई माधोपुर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), सिरसा, हनुमानगढ़, आगरा, कोल्हापुर, वृंदावन, उल्हासनगर, प्रयागराज, नागौर, अहमदाबाद, मालेगांव, पटियाला, रतलाम, बूंदी, कल्याण, लुधियाना, सोलापुर, मीरा-भायंदर, जैसलमेर, दुर्गापुर, जालोर, बदलापुर, अजमेर, अकोला, किशनगंज, अंकलेश्वर, बांसवाड़ा, मंगुराहा, पाली, वाराणसी, जोधपुर, क्योंझर, अमरावती (महाराष्ट्र), गुवाहाटी, अलवर, औरंगाबाद (बिहार), फिरोजाबाद, जलना, ब्रजराजनगर, इंदौर, देवास, गोरखपुर, उदयपुर, अहमदनगर, रायरंगपुर, चित्तौड़गढ़, रायपुर, सागर, विरार आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 10 फीसदी यानी महज 25 शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में कुड्डालोर, दमोह, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदुरै, नयागढ़, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम, शिलांग, शिवमोगा, सूरत, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 60 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें अंबाला, अनंतपुर, बागलकोट, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, बिलासपुर, बोइसर, बर्नीहाट, चेन्नई, छपरा, चित्तूर, कोयंबटूर, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गांधीनगर, हुबली, जबलपुर, कडप्पा, कैथल, कलबुर्गी, कन्नूर, कोहिमा, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, मैहर, मंगलौर, मैसूर, नागांव, नलबाड़ी, पंचकुला, प्रतापगढ़ आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 120 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बांसवाड़ा, बारबिल, बारीपदा, बेगूसराय, बेलापुर, बेतिया, भिवंडी, भोपाल, बिहार शरीफ, बीकानेर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, छाल, चित्तौड़गढ़, चूरू, दौसा, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हनुमानगढ़, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जलगांव, जलना, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कल्याण, कानपुर, करौली, काशीपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, कोटा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नंदेसरी, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पानीपत, परभनी, पटियाला, पटना, पीथमपुर, प्रयागराज, पुणे, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सागर, सहरसा, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सिलीगुड़ी, सिरसा, सोलापुर, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विरार, विशाखापत्तनम, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 33 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंगुल, बद्दी, बालासोर, बल्लभगढ़, बैरकपुर, भरतपुर, भिवानी, भुवनेश्वर, बिलीपाड़ा, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चंद्रपुर, कटक, फरीदाबाद, गुरुग्राम, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, जालंधर, जींद, करनाल, खुर्जा, कुरुक्षेत्र, मंडीदीप, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पंचगांव, पिंपरी-चिंचवाड़, सीकर, सिंगरौली, श्री गंगानगर, तालचेर, टोंक शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के 11 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, भिवाड़ी, चरखी दादरी, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, मानेसर, नोएडा, सोनीपत शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 249 में से महज 25 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 60 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 02 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 69 दर्ज किया गया था।
120 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज एक बार फिर नोएडा (365) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 370 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से नोएडा में प्रदूषण के स्तर में 30 अंकों का सुधार आया है। हालांकि नोएडा में अभी भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बेहद खराब' बना हुआ है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक गिरकर 342 पर पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां 21 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 227 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता आज एक बार फिर 'खराब' श्रेणी में है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 03 दिसंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं बागपत (363) दूसरे, जबकि हापुड़ (363) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 210, गाजियाबाद में 324, गुवाहाटी में 109, गुरूग्राम में 282, नोएडा में 365, ग्रेटर नोएडा में 324 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 128 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 200, चेन्नई में 94, चंडीगढ़ में 197, हैदराबाद में 108, जयपुर में 187 और पटना में 152 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 25 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अरियालुर, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, कुड्डालोर, दमोह, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदुरै, नयागढ़, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनाथपुरम, शिलांग, शिवमोगा, सूरत, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, वेल्लोर शामिल हैं।
वहीं अमरावती (आंध्रप्रदेश), अंबाला, अनंतपुर, बागलकोट, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, बिलासपुर, बोइसर, बर्नीहाट, चेन्नई, छपरा, चित्तूर, कोयंबटूर, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गांधीनगर, हुबली, जबलपुर, कडप्पा, कैथल, कलबुर्गी, कन्नूर, कोहिमा, कोल्लम, कोरबा, कुंजेमुरा, मैहर, मंगलौर, मैसूर, नागांव, नलबाड़ी, पंचकुला, प्रतापगढ़, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, ऋषिकेश, रूपनगर, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, सिवान, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपति, वापी, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, यादगीर आदि 60 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
हवा में जहर: नोएडा सबसे प्रदूषित, दिल्ली-एनसीआर में भी स्थिति 'बेहद खराब'