सांसों में घुलता जहर बड़ों के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है; फोटो: विकास चौधरी/ सीएसई 
वायु

हवा में जहर: नोएडा सबसे प्रदूषित, दिल्ली-एनसीआर में भी स्थिति 'बेहद खराब'

02 दिसंबर 2025 को नोएडा देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा जब वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 395 तक पहुंच गया। इसी तरह दिल्ली में भी एक्यूआई बढ़कर 372 तक पहुंच गया है

Lalit Maurya

  • नोएडा में 02 दिसंबर 2025 को वायु गुणवत्ता सूचकांक 395 दर्ज हुआ, जो देश में सबसे खराब है और डब्ल्यूएचओ मानकों से 2500 फीसदी अधिक है।

  • दिल्ली, हापुड़, ग्रेटर नोएडा समेत एनसीआर के कई शहर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में हैं, जबकि अरियालुर सबसे साफ हवा वाला शहर रहा। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 17 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना अरियालुर से करें तो वहां स्थिति 23 गुणा खराब है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां एक्यूआई एक बार फिर बढ़कर 372 दर्ज किया गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है

  • 249 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 10 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 28 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 62 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

  • आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में हापुड़ (379) दूसरे जबकि ग्रेटर नोएडा (378) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 372 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है।

  • गाजियाबाद-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 361 और 341 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

  • भिवाड़ी (340) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मानेसर (331), मेरठ (322) और मुजफ्फरनगर (312) भी शामिल हैं।

  • आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के छह (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर) और हरियाणा के तीन शहर (धारूहेड़ा, भिवाड़ी, मानेसर) शामिल हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि 02 दिसंबर 2025 को देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा खराब है, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 395 रिकॉर्ड किया गया। गौरतलब है कि 01 दिसंबर को नोएडा में एक्यूआई 321 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 74 अंकों का भारी बदलाव आया है और हालांकि वहां आज भी स्थिति 'बेहद खराब' बनी हुई है।

रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में अरियालुर की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 17 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना अरियालुर से करें तो वहां स्थिति 23 गुणा खराब है।

बता दें कि 01 दिसंबर को देश में सोनीपत की स्थिति सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 329 दर्ज किया गया था। हालांकि 02 दिसंबर को सोनीपत की वायु गुणवत्ता में 19 अंकों का सुधार आया है। इसके बावजूद वायु गुणवत्ता अभी भी ‘बेहद खराब’ बनी हुई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां एक्यूआई एक बार फिर बढ़कर 372 दर्ज किया गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है, जहां प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 700 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।  

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 02 दिसंबर, 2025 को 249 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 10 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं 28 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 62 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। राहत की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 19 फीसदी का इजाफा हुआ है।

इसी तरह साफ हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 30.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों की संख्या में करीब चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में छह फीसदी से अधिक का इजाफा दर्ज किया गया।

इसी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी 75 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 248 रिकॉर्ड किया गया है।  

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में हापुड़ (379) दूसरे जबकि ग्रेटर नोएडा (378) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 372 अंकों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। गाजियाबाद-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 361 और 341 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

भिवाड़ी (340) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में मानेसर (331), मेरठ (322) और मुजफ्फरनगर (312) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के छह (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर) और हरियाणा के तीन शहर (धारूहेड़ा, भिवाड़ी, मानेसर) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, हापुड़, धारूहेड़ा, भिवाड़ी, मानेसर, मुजफ्फरनगर, हल्दिया, सोनीपत, बहादुरगढ़, चरखी दादरी, बुलंदशहर, कटक, कोल्लम, भुवनेश्वर, गुरुग्राम, परभनी, बालासोर, यमुना नगर, करनाल, अंगुल, फरीदाबाद, सांगली, भिवानी, खुर्जा, ब्यासनगर, नलबाड़ी, पानीपत, बैरकपुर, बारबिल, हावड़ा, नांदेड़, पिंपरी-चिंचवाड़, कोलकाता, जींद, आसनसोल, टोंक, मंडीदीप, बल्लभगढ़, कोटा, दुर्गापुर, बूंदी, महाड, तालचेर, हाजीपुर, सिंगरौली, ग्वालियर, जयपुर, नारनौल, भिवंडी, धनबाद, जैसलमेर, अररिया, फतेहाबाद, जलगांव, अहमदाबाद, भरतपुर, मंडीखेड़ा, बेतिया, जालंधर, मुरादाबाद, लखनऊ, मुंगेर, नंदेसरी, नवी मुंबई, कटनी, लातूर, धुले, मंगुराहा, पलवल, विशाखापत्तनम, दौसा, देहरादून, सिलीगुड़ी, बिहार शरीफ, काशीपुर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, श्री गंगानगर, कोयंबटूर, बीकानेर, भोपाल, चूरू, पुणे, आगरा, सीकर, चंद्रपुर, कोल्हापुर, जालोर, सवाई माधोपुर, उल्हासनगर, पटियाला, क्योंझर, सासाराम, अंकलेश्वर, चंडीगढ़, झुंझुनू, सागर, नासिक, सोलापुर, वृंदावन, प्रयागराज, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), रतलाम, हनुमानगढ़, मीरा-भायंदर, कानपुर, बिलासपुर, अमरावती (महाराष्ट्र), फिरोजाबाद, किशनगंज, सिरसा, नागौर, पाली, पटना, बेलापुर, बांसवाड़ा, खन्ना, जोधपुर, लुधियाना, अजमेर, गुवाहाटी, कल्याण, बदलापुर, सूरत, देवास, विरार, अहमदनगर, वाराणसी, इंदौर, भागलपुर, अलवर, सहरसा आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 10 फीसदी यानी महज 25 शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, दमोह, डिंडीगुल, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, नागपट्टिनम, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रामनाथपुरम, शिलांग, शिवमोगा, तंजावुर, त्रिशूर, तिरुमाला आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन 69 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें अमृतसर, अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेगूसराय, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, बोइसर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कुड्डालोर, दावनगेरे, एलूर, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, गुम्मिडीपूंडी, हिसार, हुबली, हैदराबाद, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मालेगांव, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, नागांव, नयागढ़, पंचगांव, पंचकुला, प्रतापगढ़, पुडुकोट्टई, पूर्णिया आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 107 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अंबाला, अमरावती (महाराष्ट्र), अंकलेश्वर, अररिया, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बांसवाड़ा, बारां, बेलापुर, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चूरू, दौसा, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गुवाहाटी, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कल्याण, कानपुर, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीखेड़ा, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नंदेसरी, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पलवल, पटियाला, पटना, पीथमपुर, प्रयागराज, पुणे, रतलाम, राउरकेला, सागर, सहरसा, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिरसा, सोलापुर, सूरत, तालचेर, थूथुकुडी, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विरार, विशाखापत्तनम, वृंदावन शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 34 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंगुल, आसनसोल, बालासोर, बल्लभगढ़, बारबिल, बैरकपुर, भिवानी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीकानेर, बुलंदशहर, ब्यासनगर, कोयंबटूर, कटक, दुर्गापुर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हावड़ा, जींद, करनाल, खुर्जा, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, मंडीदीप, नलबाड़ी, नांदेड़, पानीपत, परभनी, पिंपरी-चिंचवाड़, सांगली, श्री गंगानगर, टोंक, यमुना नगर शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 14 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बहादुरगढ़, भिवाड़ी, चरखी दादरी, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, हल्दिया, हापुड़, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा, सोनीपत शामिल हैं।  

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 249 में से महज 25 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 69 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 01 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 53 दर्ज किया गया था।

107 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज नोएडा (395) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से नोएडा में प्रदूषण के स्तर में 74 अंकों का भारी उछाल आया है। हालांकि नोएडा में अभी भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बेहद खराब' बना हुआ है।

गौरतलब है कि 01 दिसंबर देश में सोनीपत की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 329 दर्ज किया गया था। वहीं आज सोनीपत में प्रदूषण के स्तर में 19 अंकों का सुधार आया है। हालांकि वायु गुणवत्ता अभी भी 'बेहद खराब' बनी हुई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली (372) में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर एक बार फिर 370 के पार पहुंच गया। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 27 अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई बढ़कर 248 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता आज एक बार फिर 'खराब' श्रेणी में है।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 02 दिसंबर को दिल्ली चौथे स्थान पर है, वहीं हापुड़ (379) दूसरे, जबकि ग्रेटर नोएडा (379) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 193, गाजियाबाद में 361, गुवाहाटी में 115, गुरूग्राम में 277, नोएडा में 395, ग्रेटर नोएडा में 378 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 126 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 151, चेन्नई में 54, चंडीगढ़ में 143, हैदराबाद में 100, जयपुर में 189 और पटना में 123 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 25 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अरियालुर, चामराजनगर, चिक्कमगलुरु, दमोह, डिंडीगुल, गंगटोक, झांसी, करूर, कोप्पल, मदिकेरी, मदुरै, नागपट्टिनम, ऊटी, पलकलाईपेरुर, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, रामनाथपुरम, शिलांग, शिवमोगा, तंजावुर, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, वेल्लोर शामिल हैं।

वहीं अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमृतसर, अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेगूसराय, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, बोइसर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, छपरा, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कुड्डालोर, दावनगेरे, एलूर, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, गुम्मिडीपूंडी, हिसार, हुबली, हैदराबाद, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मालेगांव, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, नागांव, नयागढ़, पंचगांव, पंचकुला, प्रतापगढ़, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, राजसमंद, ऋषिकेश, रूपनगर, समस्तीपुर, सतना, सिलचर, सिरोही, शिवसागर, सिवान, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुपति, तुमडीह, उदयपुर, वापी, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, यादगीर आदि 69 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:

हवा का हाल: प्रदूषण में अव्वल सोनीपत, दिल्ली-एनसीआर में भी स्थिति 'बेहद खराब'