भारत की 96 फीसदी आबादी यानी 133 करोड़ लोग ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जहां पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी मानकों से सात गुणा खराब है; फोटो: आईस्टॉक 
वायु

हवा में जहर: बहादुरगढ़ में 439 पर पहुंचा एक्यूआई, मानकों से 2,700 फीसदी अधिक प्रदूषण

दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया

Lalit Maurya

  • बहादुरगढ़ में 16 नवंबर 2025 को वायु गुणवत्ता सूचकांक 439 तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से 2,700 फीसदी अधिक है।

  • प्रदूषण के महीन कणों के कारण स्थिति गंभीर हो गई है, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।

  • दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया।

  • ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बहादुरगढ़ की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 43 गुणा खराब है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है।

  • आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (419) दूसरे जबकि गाजियाबाद (419) तीसरे स्थान पर है।

  • इसी तरह 385 अंकों के साथ नोएडा चौथे स्थान पर है। दिल्ली-हापुड में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 377 और 376 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

  • सोनीपत (369) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बागपत (335), मेरठ (326) और बुलन्दशहर (320) भी शामिल हैं।

  • देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, हापुड, बागपत, मेरठ, बुलन्दशहर) शामिल हैं।

विश्लेषण से पता चला है कि 16 नवंबर 2025 को देश में बहादुरगढ़ की हवा सबसे खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 439 तक पहुंच गया। गौरतलब है कि 15 नवंबर को बहादुरगढ़ में एक्यूआई 300 दर्ज किया गया था। मतलब कि वहां प्रदूषण में 139 अंकों का भारी उछाल आया है।

इसके साथ ही बहादुरगढ़ में स्थिति ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ हो चुकी है और वहां गैस-चैम्बर जैसे हालत बन गए हैं। रुझानों में सामने आया है कि बहादुरगढ़ की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

बहादुरगढ़ से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,700 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 10 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बहादुरगढ़ की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 43 गुणा खराब है।

गौरतलब है कि कल (15 नवंबर) ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे खराब थी जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 418 दर्ज किया गया था। कल से तुलना करें तो ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण के स्तर में मामूली इजाफा हुआ है। वहां सूचकांक एक अंक के इजाफे के साथ सूचकांक बढ़कर 419 पर पहुंच गया है। ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 16 नवंबर, 2025 को 242 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 3.3 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं करीब 26.9 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 69.8 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 20 फीसदी की गिरावट आई है।

इसी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से करीब 10 फीसदी की गिरावट आई है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो कल से उनकी गिनती में भी करीब एक फीसदी की गिरावट आई है।

खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो उनकी गिनती में 6.3 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 14 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जोकि राहत की खबर है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 257 रिकॉर्ड किया गया है।

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (419) दूसरे जबकि गाजियाबाद (419) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 385 अंकों के साथ नोएडा चौथे स्थान पर है। दिल्ली-हापुड में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 377 और 376 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

सोनीपत (369) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में बागपत (335), मेरठ (326) और बुलन्दशहर (320) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के सात शहर (गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, हापुड, बागपत, मेरठ, बुलन्दशहर) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जहां बहादुरगढ़, गाजियाबाद, दिल्ली, हापुड, सोनीपत, बागपत, मेरठ, बुलन्दशहर, भिवानी, भिवाड़ी, मुजफ्फरनगर, फतेहाबाद, गुरूग्राम, अम्बाला, खुर्जा,

चरखी दादरी, जींद, धारूहेड़ा, मानेसर, फरीदाबाद, ग्वालियर, नारनौल, रोहतक, यमुनानगर, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, कटक, मंडीदीप, बारां, तालचेर, मंडी गोबिंदगढ़, कटनी, गुम्मिडिपूंडी, बल्लभगढ़, मांडीखेड़ा, बालासोर, रूपनगर, नांदेड़, कुरूक्षेत्र, पीथमपुर, अंगुल, खन्ना, तिरुमाला, बारबिल, परभनी, कोलकाता, विशाखापत्तनम, हावड़ा, बेलापुर, हल्दिया, धौलपुर, जयपुर, करनाल, नागपुर, मालेगांव, लुधियाना, आसनसोल, करौली, अमरावती (आंध्रप्रदेश), जालंधर, कोल्हापुर, पंचकुला, चेन्नई आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं ग्रेटर नोएडा, नोएडा, श्रीगंगानगर, लखनऊ, टोंक, भोपाल, सीकर, बीकानेर, पिंपरी-चिंचवाड, जबलपुर, नागौर, आगरा, चुरू, प्रयागराज, पटना, हिसार, दौसा, झुंझुनूं, पुणे, चंद्रपुर, मुंबई, वाराणसी, भीलवाड़ा, किशनगंज, पटियाला, वृंदावन, जोधपुर, उल्हासनगर, गांधीनगर, बदलापुर, सिंगरौली, टेन्सा, भरतपुर, गया, मुरादाबाद, रतलाम, अहमदाबाद, अमृतसर, दुर्गापुर, बिलीपाड़ा, सोलापुर, फिरोजाबाद आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 3.3 फीसदी यानी महज आठ शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में चामराजनगर, दमोह, नगांव, पालकालाइपेरुर, शिलांग, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, विजयपुरा आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें देहरादून, धारवाड़, डिंडीगुल, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, मंगुराहा, मैसूर, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, नयागढ़, पलवल, पुदुचेरी, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, ऋषिकेश, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 120 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), बद्दी, बदलापुर, बांसवाड़ा, बारबिल, बैरकपुर, बठिंडा, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बोईसर, बूंदी, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, कोयंबटूर, दौसा, दावनगेरे, देवास, धनबाद, धौलपुर, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, हाजीपुर, हल्दिया, हनुमानगढ़, हिसार, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कैथल, कानपुर, करौली, करनाल, करूर, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, किशनगंज, कोल्हापुर, कोलकाता, कोटा, लातूर, लुधियाना, मदुरै, महाड, मालेगांव, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पंचकुला, परभनी, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रतलाम, राउरकेला, सागर, सहरसा, सलेम, सवाई माधोपुर, सिंगरौली, सिरसा, सोलापुर, सूरत, टेन्सा, ठाणे, तिरुमाला, तिरुपुर, उदयपुर, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, विरार, विशाखापत्तनम, वृंदावन शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में एक फीसदी की गिरावट आई है।     

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 34 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अम्बाला, अंगुल, बालासोर, बल्लभगढ़, बारां, भोपाल, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बक्सर, चरखी दादरी, कटक, धारूहेड़ा, फरीदाबाद, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, जींद, कटनी, खुर्जा, कुरूक्षेत्र, लखनऊ, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मांडीखेड़ा, मानेसर, नांदेड़, नारनौल, पीथमपुर, रोहतक, रूपनगर, सीकर, श्रीगंगानगर, तालचेर, टोंक, यमुनानगर शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 12 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बागपत, भिवाड़ी, भिवानी, बुलन्दशहर, दिल्ली, फतेहाबाद, गुरूग्राम, हापुड, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा, सोनीपत शामिल हैं। वहीं बहादुरगढ़ (439), गाजियाबाद (419) और ग्रेटर नोएडा (419) में स्थिति गंभीर है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 242 में से महज 8 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 65 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 15 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 72 दर्ज किया गया था।

120 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज बहादुरगढ़ (439) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 450 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल बहादुरगढ़ में सूचकांक 300 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 139 अंकों का भारी इजाफा हुआ है। इसके साथ ही बहादुरगढ़ में वायु गुणवत्ता ' बेहद खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई।

वहीं कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब थी, जब सूचकांक 418 दर्ज किया गया था। वहीं 16 नवंबर को एक अंक के इजाफे के साथ ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 419 पर पहुंच गया।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि सुधार के बावजूद दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक अभी भी 377 बना हुआ है। इसी तरफ फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां छह अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 257 पर पहुंच गया।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 16 नवंबर को नोएडा चौथे स्थान पर है, वहीं गाजियाबाद (419) दूसरे, जबकि ग्रेटर नोएडा (419) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 253, गाजियाबाद में 419, गुवाहाटी में 86, गुरूग्राम में 301, नोएडा में 385, ग्रेटर नोएडा में 419 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 152 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 227, चेन्नई में 142, चंडीगढ़ में 104, हैदराबाद में 108, जयपुर में 170 और पटना में 172 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 8 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें चामराजनगर, दमोह, नगांव, पालकालाइपेरुर, शिलांग, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, विजयपुरा शामिल हैं।

वहीं अगरतला, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अनंतपुर, अररिया, अरियालूर, आरा, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, भिलाई, बीदर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, छाल, छपरा, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, देहरादून, धारवाड़, डिंडीगुल, गोरखपुर, गुवाहाटी, हुबली, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, मंगुराहा, मैसूर, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, नयागढ़, पलवल, पुदुचेरी, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजगीर, राजसमंद, ऋषिकेश, सासाराम, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिवान, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, वातवा, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 65 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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