खेत में गन्ने के बोझ बांधता भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक  
कृषि

चीनी में लौटी मिठास, भारत में गन्ने की बेहतर पैदावार को देखते हुए कीमतों में आई पांच फीसदी की गिरावट

Lalit Maurya

खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी नई रिपोर्ट में पुष्टि की है कि अगस्त के दौरान वैश्विक खाद्य कीमतों में मामूली गिरावट आई है। आंकड़ों से पता चला है कि जहां इस दौरान अनाज, चीनी और मांस की कीमतों में मंदी देखी गई, वहीं दूसरी तरफ खाद्य तेल और डेयरी उत्पादों की कीमतों में उछाल देखा गया।

एफएओ ने पुष्टि की है कि अगस्त में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक औसतन 120.7 अंक रहा, जो जुलाई के मुकाबले मामूली गिरावट को दर्शाता है। वहीं अगस्त 2023 से तुलना करें यह 1.1 फीसदी कम रहा। बता दें कि जुलाई में यह 120.8 अंक दर्ज किया गया था, जो जून 2024 के मुकाबले थोड़ा कम था। मतलब की जून से अगस्त के बीच खाद्य कीमतों में मंदी का रुख देखा गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एफएओ का खाद्य मूल्य सूचकांक यानी फूड प्राइस इंडेक्स अंतराष्ट्रीय स्तर पर हर महीने खाद्य कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है। इंडेक्स के मुताबिक खाद्य कीमतों में पिछले महीन की तुलना में मामूली गिरावट आई है।

रिपोर्ट में सामने आया है कि जुलाई के मुकाबले अनाजों के लिए जारी किए जाने वाले मूल्य सूचकांक में करीब आधे फीसदी की गिरावट आई है। अगस्त में अनाज मूल्य सूचकांक 110.1 अंक दर्ज किया गया। इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए एफएओ ने जानकारी दी है कि ब्लैक सी क्षेत्र से होने वाली आपूर्ति ने बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ा दिया।

वहीं अमेरिका और अर्जेंटीना में हुई अपेक्षा से अच्छी पैदावार ने गेहूं की कीमतों में आती गिरावट में विशेष रूप से योगदान दिया। हालांकि इस बीच मक्के की कीमतों में थोड़ी मजबूती देखी गई। कहीं न कहीं इसके लिए यूरोप और उत्तरी अमेरिका में लू की वजह से मक्के की फसल पर पड़े प्रभाव को जिम्मेवार माना जा रहा है। इसी तरह चावल की कीमतों में भी 0.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा है कि एक तरफ जहां निर्यातक देशों में आपूर्ति सीमित रही। वहीं अमेरिका के डॉलर के मुकाबले कुछ निर्यातक देशों की मुद्रा में मजबूती के चलते गैर-इंडिका किस्मों की कीमतों में इजाफा देखा गया।

किन खाद्य उत्पादों में रही तेजी, कहां देखी गई मंदी

इस दौरान खाद्य तेल की कीमतों में भी उछाल देखा गया। खाद्य तेल मूल्य सूचकांक जुलाई की तुलना में 0.8 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 20 महीनों के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। हालांकि इस दौरान जहां सोया, सूरजमुखी और रेपसीड तेल की कीमतों में गिरावट का दौर रहा, वहीं पाम तेल की बढ़ती कीमतों ने इस गिरावट को ढंक दिया। अगस्त में खाद्य तेल मूल्य सूचकांक 136 दर्ज किया गया।

इसी तरह अगस्त में दूध और उससे बने उत्पादों में भी तेजी रिपोर्ट की गई। आंकड़ों के मुताबिक एफएओ डेयरी मूल्य सूचकांक में 2.2 की वृद्धि रिकॉर्ड की गई। आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में डेयरी मूल्य सूचकांक 130.6 अंक दर्ज किया गया। जो पिछले वर्ष अगस्त 2023 की तुलना में 14.2 फीसदी अधिक है।

एक तरफ जहां बढ़ती मांग से दूध पाउडर कहीं अधिक महंगा हो गया। इसी तरह वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग के चलते पनीर की कीमतें में भी उछाल देखा गया। इसी तरह पश्चिमी यूरोप से दूध की आपूर्ति को लेकर मौजूद चिंताओं के चलते मक्खन की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।

दूसरी ओर अगस्त के दौरान मीट की कीमतों में सुस्ती देखी गई। इस दौरान मीट प्राइस इंडेक्स में जुलाई से 0.7 फीसदी की गिरावट आई है। कहीं न कहीं घटती मांग के चलते इसकी कीमतों में गिरावट आई है।

विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक अगस्त में चीनी की कीमतों में नरमी देखी गई। एफएओ शुगर प्राइस इंडेक्स में 4.7 फीसदी की गिरावट आई है। गौरतलब है कि यह इंडेक्स अक्टूबर 2022 के बाद से अपने निचले स्तर पर पहुंच गया।

रिपोर्ट के अनुसार अगस्त में शुगर प्राइस इंडेक्स 113.9 अंक दर्ज किया गया, जोकि अगस्त 2023 की तुलना में 23.2 फीसदी की गिरावट को दर्शाता है। इसकी वजहों पर प्रकाश डालते हुए एफएओ ने जानकारी दी है कि भारत और थाईलैंड में गन्ने की फसल को लेकर जो पूर्वानुमान सामने आए हैं वो बेहद सकारात्मक हैं।

इसी तरह तेल की घटती कीमतों ने भी इसकी गिरावट में योगदान दिया है। हालांकि ब्राजील के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में गन्ने के खेतों में लगी आग के चलते महीने के अंत में चीनी की कीमतों में तेजी से उछाल देखा गया।