कृषि

नाइट्रस ऑक्साइड मामले में एनजीटी ने कृषि मंत्रालय से मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने रिपोर्ट में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा धान के खेतों से उत्सर्जित होने वाली नाइट्रस ऑक्साइड को घटाने के लिए सुझाई गई छह रणनीतियों पर जानकारी मांगी है

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कृषि मंत्रालय से धान के खेतों में नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन घटाने की रणनीतियों पर रिपोर्ट मांगी है।

  • यह कदम नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों से होने वाले प्रदूषण और उसके मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव को देखते हुए उठाया गया है।

  • ट्रिब्यूनल देश में धान की किस्मों में नाइट्रोजन उपयोग की दक्षता से जुले मुद्दे की जांच कर रही है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 27 अक्टूबर 2025 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा धान के खेतों से नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन घटाने के लिए सुझाई गई छह रणनीतियों पर जानकारी मांगी गई है।

ट्रिब्यूनल देश में धान की किस्मों में नाइट्रोजन उपयोग की दक्षता से जुले मुद्दे की जांच कर रही है। यह जांच इसलिए की जा रही है क्योंकि नाइट्रोजन आधारित उर्वरक ही नाइट्रस ऑक्साइड और अमोनिया जैसी गैसों से हवा को, और नाइट्रेट व अमोनियम से पानी को प्रदूषित करते हैं। इसका असर मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन पर भी पड़ता है।

गौरतलब है कि इससे पहले 14 अक्टूबर 2025 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक जवाबी हलफनामा दायर किया था।

इस हलफनामे में मंत्रालय ने कहा है कि भारत में धान की लोकप्रिय किस्मों में नाइट्रोजन उपयोग की क्षमता को लेकर जो अंतर हैं, वे वास्तविक चिंता का विषय हैं। गौरतलब है कि मंत्रालय ने माना था कि द हिन्दू की नई रिपोर्ट में उठाई गई समस्याएं पूरी तरह वाजिब हैं।

विकास की कीमत: रिंग रोड ने निगल लिया सेब का बाग

जम्मू-कश्मीर में बडगाम जिले की चाडूरा तहसील के वाथूरा गांव में बन रहे रिंग रोड ने एक किसान के बागान को बरबाद कर दिया है। यह सड़क बटपोरा वाथूरा इलाके में जमीन को दो हिस्सों में बांटते हुई निकाली गई है, जिससे सिंचाई का प्राकृतिक जल प्रवाह रुक गया और खेतों में पानी भरने लगा।

यह जानकारी जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति के क्षेत्रीय निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में दी है।

शिकायतकर्ता गुलाम नबी भट का कहना है कि लगातार जलभराव के कारण उनके छह कनाल में फैले सेब के बागान में सैकड़ों पेड़ सूख गए हैं। यह बात जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति के क्षेत्रीय निदेशक की रिपोर्ट में भी दर्ज है।

रिपोर्ट के अनुसार, पहले इस क्षेत्र में सड़क के नीचे से पानी निकलने के लिए क्रॉस ड्रेनेज पाइप लगे थे, लेकिन रिंग रोड के निर्माण के दौरान ये पाइप बंद हो गए। इसकी वजह से बाग में लगातार पानी भरने लगा। निरीक्षण के समय बाग के मालिक गुलाम नबी भट पंप लगाकर पानी निकालते पाए गए।

30 जुलाई 2025 को बडगाम के मुख्य उद्यान अधिकारी द्वारा दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि यह हाई डेंसिटी सेब का बाग 2018 में प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम (पीएमडीपी) के तहत लगाया गया था। बाग छह कनाल क्षेत्र में फैला है और यह इलाका निचली जमीन में स्थित है।

जब बाग लगाया गया था, तब विभाग ने पानी की निकासी की पूरी व्यवस्था की थी ताकि कहीं पानी जमा होकर फसलों को नुकसान न पहुंचाए। इसके लिए विशेष नालियां बनाई गई थीं ताकि जलभराव की समस्या न हो।

रिपोर्ट के मुताबिक 2023 तक पेड़ सामान्य रूप से बढ़ रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा सड़क निर्माण के दौरान मिट्टी भरने और दबाने के कारण ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह बंद हो गया। इसकी वजह से बाग में पानी भर गया।

जानकारी दी गई है कि लंबे समय तक पानी भरे रहने से पेड़ों में जड़ों में सड़न की समस्या शुरू हो गई, जिससे करीब 300 पेड़ सूख गए। बाकी पेड़ों की बढ़ोतरी भी रुक गई है, इन पेड़ों में भी पत्तियों के पीलेपन और कमजोर वृद्धि के लक्षण दिख रहे हैं। ड्रेनेज नालियां बंद होने के कारण बाग में गंभीर जलभराव हुआ है, जिससे फलों के पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा है।

रिपोर्ट से पता चला है कि बाग में सेब के कुल 955 पेड़ लगे हैं, जिनमें से 300 पेड़ पूरी तरह सूख गए या नष्ट हो गए हैं, यानी करीब 30 फीसदी नुकसान हुआ है। बाकी बचे 695 पेड़ों में से भी ज्यादातर में पत्तियां पीली पड़ गई हैं और उनकी बढ़त रुक गई है। बारिश के दौरान जलभराव के कारण इन पेड़ों में भी करीब 20 से 25 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है।

इन दोनों रिपोर्टों को जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति ने 13 सितंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर किया था, जो इस मामले पर 8 मई 2025 को दिए गए आदेश पर सबमिट की गई हैं।