वन्य जीव एवं जैव विविधता

दुनिया भर में पक्षियों की प्रजातियों में 48 फीसदी और भारत में 50 फीसदी की भारी गिरावट : रिपोर्ट

अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में मौजूदा पक्षी प्रजातियों में से लगभग 48 फीसदी आबादी गिरावट के दौर से गुजर रही है।

Dayanidhi

दुनिया भर में पक्षियों की आबादी में भारी गिरावट आ रही है। पक्षियों के बारे में पर्यावरण और संसाधनों की वार्षिक समीक्षा पत्रिका ‘स्टेट ऑफ दि वर्ल्ड बर्ड्स में प्रकाशित रिपोर्ट में कई संस्थानों के वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है।

अध्ययन में कहा गया है कि प्राकृतिक आवासों के नुकसान और इनमें गिरावट तथा कई प्रजातियों के अत्यधिक शिकार के चलते पक्षियों की जैव विविधता को बड़ा खतरा हो रहा है। जलवायु परिवर्तन को भी अब पक्षियों की आबादी में गिरावट के लिए जिम्मेवार माना जा रहा है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता अलेक्जेंडर लीस कहते हैं कि अब हम महाद्वीपीय रूप से वितरित पक्षी प्रजातियों के विलुप्त होने की एक नई लहर के पहले संकेत देख रहे हैं। विश्व स्तर पर उष्णकटिबंधीय इलाकों में पक्षियों की विविधता चरम पर है, वहां सबसे अधिक संख्या में खतरे वाली प्रजातियां रहती हैं। लीस, यूके में मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता और ऑर्निथोलॉजी के कॉर्नेल लैब में एक शोध सहयोगी हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में मौजूदा पक्षी प्रजातियों में से लगभग 48 फीसदी आबादी गिरावट के दौर से गुजर रही है। 39 फीसदी प्रजातियों की आबादी स्थिर है। केवल 6 फीसदी आबादी बढ़ रही है और 7 फीसदी की स्थिति अभी भी अज्ञात है।

अध्ययनकर्ताओं ने दुनिया की 11, 000 पक्षी प्रजातियों के बीच आबादी में आने वाले बदलाव को सामने लाने के लिए प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ की "लाल सूची" के आंकड़ों का उपयोग करके पक्षियों की जैव विविधता में बदलाव की समीक्षा की।

निष्कर्ष 2019 के एक शुरुआती अध्ययन के परिणाम दिखाते हैं, जिसमें यह निर्धारित किया गया कि पिछले 50 वर्षों के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में लगभग 3 अरब पक्षियां गायब हो गई हैं। उस अध्ययन के प्रमुख अध्ययनकर्ता ने भी इस वैश्विक स्थिति रिपोर्ट में अहम भूमिका निभाई है।

कॉर्नेल लैब के संरक्षण वैज्ञानिक केन रोसेनबर्ग कहते हैं अकेले उत्तरी अमेरिका में लगभग 3 अरब पक्षियों के नुकसान का दस्तावेजीकरण करने के बाद, वैश्विक स्तर पर आबादी में गिरावट और विलुप्त होने के समान पैटर्न को देखना निराशाजनक था। चूंकि पक्षी पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अत्यधिक दृश्यमान और संवेदनशील संकेतक हैं, हम जानते हैं कि उनका नुकसान जैव विविधता का बहुत बड़ा नुकसान है। जो कि लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए खतरों की ओर इशारा करता है।

भारत में पक्षियों की आबादी का हाल

भारत में पक्षियों की विविधता में कमी कम चिंताजनक नहीं है, जहां पिछले पांच वर्षों में 146 प्रजातियों के लिए अनुमान लगाया गया। इनमें से संख्या में लगभग 80 फीसदी की गिरावट आ रही है, लगभग 50 फीसदी की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। अध्ययन से पता चलता है कि 6 फीसदी से अधिक प्रजातियों की स्थिर आबादी है जबकि 14 फीसदी  बढ़ती आबादी की प्रवृत्तियों को दर्शाती हैं।

निष्कर्षों के बावजूद अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि उन्हें पक्षियों के संरक्षण प्रयासों की उम्मीद है, लेकिन इसके लिए उन्होंने भारी बदलाव करने की आवश्यकता जताई है।

लीज कहते हैं पक्षियों की आबादी उनके आवासों के नुकसान और गिरावट को रोकने पर काफी हद तक निर्भर है। यह अक्सर संसाधनों की मांग से प्रेरित होता है। हमें इसके लिए बेहतर ढंग से विचार करने की आवश्यकता है कि वस्तु प्रवाह जैव विविधता के नुकसान में कैसे योगदान दे सकता है और प्राकृतिक दुनिया पर मानव पदचिह्न को कम करने का प्रयास कर सकता है।

रोसेनबर्ग कहते हैं कि सौभाग्य से इस अध्ययन में भाग लेने वाले पक्षी संरक्षण संगठनों के दुनिया भर के नेटवर्क में पक्षी प्रजातियों के बड़े नुकसान को रोकने के लिए उपकरण उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा भूमि संरक्षण से लेकर सतत संसाधन-उपयोग का समर्थन करने वाली नीतियों तक, यह सब हमारी धरती पर प्रकृति के साथ-साथ रहने के लिए सरकारों और समाज की इच्छा पर निर्भर करता है।

यह जानकारी महत्वपूर्ण है और अध्ययनकर्ता बताते हैं कि पक्षियों की निगरानी में सार्वजनिक भागीदारी की वृद्धि और उपयोग में आसान उपकरणों के आगमन, जैसे कि कॉर्नेल लैब के ईबर्ड डेटाबेस, महाद्वीपीय-पैमाने पर पक्षियों के प्रजनन सर्वेक्षण, वितरण एटलस आदि को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इस तरह के मॉडल संभव हैं और संरक्षण प्रयासों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।