छिपकलियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, यह दिन उनकी दुनिया की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
वन्य जीव एवं जैव विविधता

दुनिया भर में आज के दिन क्यों मनाया जाता है विश्व छिपकली दिवस? जैव विविधता में क्या योगदान है इनका

अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों और अधिकांश समुद्री द्वीपों पर छिपकलियों की 7,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

Dayanidhi

हर साल 14 अगस्त को विश्व छिपकली दिवस मनाया जाता है। यह दिन भले ही बहुत मशहूर न हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर इसे स्कूल, पार्क और सरीसृपों के शौकीनों के साथ मनाया जाता है।

छिपकली शब्द सभी स्क्वैमेट सरीसृपों से संबंधित है, जिसमें सांप और कुछ हद तक एम्फिसबेनियन शामिल नहीं हैं। एम्फीबियन एंड रेप्टाइल कंजर्वेशन के मुताबिक, अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों और अधिकांश समुद्री द्वीपों पर छिपकलियों की 7,000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

छिपकलियों का समूह पैराफायलेटिक है, जिसका अर्थ है कि कुछ छिपकलियां सांपों से ज्यादा निकटता रखती हैं, न कि अन्य छिपकलियों से। छिपकलियां सभी तरह के आकारों में होती हैं, कुछ सेंटीमीटर लंबी, जैसे गिरगिट और गेको से लेकर तीन मीटर लंबे कोमोडो ड्रैगन तक।

विश्व छिपकली दिवस हमें छिपकलियों की दुनिया में गहराई से उतरने और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में उनके महत्व को बेहतर ढंग से समझने का मौका देता है। दिलचस्प बात यह है कि 14 अगस्त को विश्व छिपकली दिवस मनाने के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है।

इस प्रजाति के बारे में जानकारी की कमी दुनिया भर में इसके विलुप्त होने का कारण बन सकती है। इन जीवों की सुरक्षा करना आवश्यक है, क्योंकि वे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस भूमिका को समझना और उसका सम्मान करना हम सभी को उनके संरक्षण की जिम्मेवारी लेनी चाहिए।

छिपकलियों को अक्सर बीमारियों या जहर से जुड़े होने के लिए बदनाम किया जाता है, लेकिन यह एक गलत धारणा है। सभी छिपकलियां बीमारियां या उनमें जहर नहीं होता है। इस धारणा को दूर करना जरूरी है ताकि दर्शकों को इन आकर्षक जीवों के बारे में सही जानकारी मिल सके।

छिपकलियों के परिवार की प्रजातियों में सांप, छिपकली, मगरमच्छ और कछुए शामिल हैं। ये सभी अपनी त्वचा को त्याग देते हैं और अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए वातावरण पर निर्भर रहते हैं। जब उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की बात आती है तो बाहरी कारणों पर इस निर्भरता का मतलब है कि सरीसृपों को गर्म होने या ठंडा होने के लिए धूप और छाया दोनों की तलाश करनी पड़ती है। जिन क्षेत्रों में सर्दियां अधिक पड़ती हैं, वहां सरीसृप आमतौर पर तब तक निष्क्रियता में चले जाते हैं जब तक कि मौसम फिर से गर्म न हो जाए।

छिपकलियां भी इससे अलग नहीं हैं, यही वजह है कि उन्हें बगीचे में या ईंटों पर धूप सेंकते हुए देखा जा सकता है जो पूरे दिन सूरज की रोशनी सोखते रहते हैं। सरीसृप की प्रत्येक उप-प्रजाति की विशिष्ट जरूरतें और प्राथमिकताएं होती हैं।

छिपकलियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, यह दिन उनकी दुनिया की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है। शिकारियों, शिकार और कुल जैव विविधता में योगदान देने वालों के रूप में, ये अद्भुत प्रजातियां विभिन्न प्रकार के आवासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस दिन छिपकलियों के सामने आने वाली समस्याओं, जैसे कि आवास की हानि, जलवायु परिवर्तन और मानव हस्तक्षेप के बारे में जागरूकता बढ़ाने का है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि छिपकलियां सांपों से अलग होती हैं, उनमें अनोखी विशेषताएं और गुण होते हैं जो उन्हें एक अलग प्रजाति के रूप में अलग करते हैं। यह दिन छिपकली प्रजातियों की रक्षा करने और हमारे प्राकृतिक आवासों के नाजुक संतुलन को बनाए रखने के लिए संरक्षण प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डालता है।