वन्य जीव एवं जैव विविधता

मोबाइल फोन सिग्नल की मदद से जंगल की आग से उठने वाले धुंए की मात्रा का लगाया जा सकता है पता

मोनाश विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए शोध के अनुसार मोबाइल फोन सिग्नल और उससे जुड़े डाटा का उपयोग, जंगल की आग से उठते धुंए की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जा सकता है

Lalit Maurya

मोबाइल फोन सिग्नल और उससे जुड़े डाटा का उपयोग, जंगल की आग से उठते धुंए की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जा सकता है| यह जानकारी मोनाश विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए एक शोध में सामने आई है| वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक वर्तमान में इस काम के लिए उपयोग होने वाली तकनीकों जैसे रिमोट सेंसिंग उपग्रहों की जगह ले सकती है| इसकी मदद से आग प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शुरुवाती चेतावनी भेजने के लिए किया जा सकता है| जिससे उन्हें धुएं के हानिकारक प्रभावों से बचाने में मदद मिल सकती है|

गौरतलब है कि जंगल में लगने वाली आग कोई नई घटना नहीं है साल दर साल लोग इससे प्रभावित होते रहे हैं| 2019-20 में ऑस्ट्रेलिया में लगी ऐसी ही भीषण आग ने 4.6 करोड़ एकड़ जंगलों को स्वाहा कर दिया था| इसमें 34 लोगों की मृत्यु हो गई थी जबकि हजारों लोगों को अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ा था| यही नहीं इससे उत्पन्न हुए धुंए के चलते लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा था|

मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एड्रियन गयोट के नेतृत्व में किए इस शोध में 2019-20 के दौरान ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से जुड़े धुएं की घटनाओं के दौरान रेडियो लिंक सिग्नल में आए उतार-चढ़ावों का विश्लेषण किया था। अध्ययन से पता चला है कि जमीन से कुछ ऊपर मौजूद शुष्क हवा जिसमें बड़ी मात्रा में धुआं भी मौजूद था उसने एक ढक्कन के रूप में काम किया था| इसके कारण धुंए का फैलाव घट गया था और जमीन से कुछ ऊपर हवा में धुंए की मात्रा बहुत बढ़ गई थी| इस तरह की दशाओं ने रेडियो लिंक के प्रसारण और मौसम मापने वाले रडार पर भी असर डाला था|

कैसे काम करती है यह तकनीक

इस दौरान प्राप्त संकेत स्तरों का विश्लेषण करने से एक विशिष्ट सिग्नल पैटर्न का पता चला है जो वायुमंडल की स्थितियों और धुंए की मात्रा की पहचान करने में मदद कर सकता है| शोधकर्ताओं का कहना है कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा नियमित रूप से दर्ज किए गए डेटा का उपयोग अन्य तकनीकों की मदद से आग लगने और धुंध की घटनाओं के दौरान धुंए की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जा सकता है|

गयोट ने बताया कि मोबाइल फोन नेटवर्क द्वारा प्राप्त आंकड़ों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वो धुएं की घटनाओं के दौरान स्थानीय स्तर पर वायुमंडलीय स्थिरता की विशिष्ट जानकारी प्रदान कर सकते हैं| यह जानकारी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वायुमंडलीय स्थिरता, जमीन के करीब घने धुएं की घटना से संबंधित होती है और वायु में धुएं की उच्च मात्रा को प्रदर्शित करती है|

सरकार नियमित रूप से हवा की गुणवत्ता, विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) की निगरानी करती है। इनको मापने के लिए बनाए मॉनिटरिंग स्टेशनों पर विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा-खासा खर्च आता है| यही वजह है कि पीएम 10 से छोटे कणों की निगरानी के लिए ज्यादातर स्टेशन शहरी क्षेत्रों में बनाए जाते हैं|

वहीं रेडियो लिंक से प्राप्त संकेत स्तर (आरएसएल) का उपयोग वर्षा और आर्द्रता को मापने के लिए किया जाता है। रेडियो लिंक को वाणिज्यिक माइक्रोवेव लिंक (सीएमएल) के रूप में भी जाना जाता है, जो सेलुलर संचार नेटवर्क की रीढ़ होते हैं| शोधकर्ताओं को पता चला है कि सीएमएल संकेतों से जलवायु और वायुमंडलीय स्थितियों के साथ-साथ तापमान में बदलावों की जानकारी भी मिल सकती है| साथ ही इनकी मदद से धुंए से जुड़े पीएम के उच्च स्तर का भी पूर्वानुमान किया जा सकता है|

हालांकि यह तकनीक अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, पर शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में यह काफी मददगार हो सकती है|