वन्य जीव एवं जैव विविधता

शहरी वातावरण के मुताबिक अपनी गतिविधि में बदलाव कर रहे हैं जंगली जानवर: अध्ययन

Dayanidhi

मानव गतिविधि से प्रकृति में आ रहे बदलावों का जैव विविधता पर सीधा असर पड़ता है, जिसके कारण दुनिया भर के पारिस्थितिकी तंत्र बदल रहे हैं। लगातार बढ़ते शहरीकरण और बाहरी क्षेत्रों में तेजी से भूमि उपयोग में हो रहे बदलावों के चलते शहरों में वन्यजीवों की आबादी में वृद्धि हो रही है।

जिससे वन्यजीवों के व्यवहार और गतविधि में बदलाव आ रहे हैं, इन बदलावों से जानवरों पर गहरे प्रभाव पड़ रहे हैं, अब इसे समझना महत्वपूर्ण हो गया है। साक्ष्य बताते हैं कि मानव प्रभाव और शहरीकरण प्रजातियों के अस्थायी गतिविधि पैटर्न को बदल सकते हैं।

इसी क्रम में वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में पाया कि जानवरों के शहरों में घूमते समय, खासकर कोयोट रात में विचरण करना पसंद करते हैं, जबकि हिरण और गिलहरी अंधेरा होने से पहले घर में रहना पसंद करते हैं।

शहरी वातावरण में स्तनधारियों ने अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों के समय में बदलाव कर दिया, जिससे मनुष्यों का सामना होने से बचा जा सकता है। यह शोध यूटा विश्वविद्यालय ("यू") के द्वारा किया गया है।

लेकिन शहर के सभी स्तनधारी अपने चचेरे भाई-बहनों की तरह व्यवहार करते नहीं पाए गए। रैकून और स्कंक बड़े पैमाने पर दोनों स्थानों पर रात में मौजूद पाए गए थे। लेकिन शहर में कोयोट्स की गतिविधियां रात में घंटों तक देखी गईं, हिरण और गिलहरी ने अपनी गतिविधि को दिन के घंटों में बदल दिया। जंगल में कोयोट, हिरण और गिलहरी सुबह और शाम के घंटों में अधिक समय बिताते हैं।

इन बदलाव भरी पारियों का प्रजातियों के बीच परस्पर प्रभाव पड़ते हैं। गिलहरियों के समय में बदलाव ने इंसानों के साथ उनकी पारस्परिक संपर्क को कम कर दिया। वहीं हिरणों ने उनकी इंसानों के परस्पर संपर्क को बढ़ा दिया। रात के समय में शिफ्ट होने से, कोयोट्स का हिरण और गिलहरी दोनों के साथ संपर्क कम होता था, जिससे शिकार तक उनकी पहुंच पर असर होता दिखाई दिया।

पहले शोधकर्ताओं ने पाया था कि अकेले रहने वाली प्रजातियों ने शहरी वातावरण में अपने व्यवहार का समय बदल दिया है। इन परिणामों के साथ यह दिखाते हुए कि एक पारिस्थितिकी तंत्र में कई प्रजातियों में समय परिवर्तन बढ़ रहा है।

शोधकर्ता अब इस बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं कि मानव गतिविधि के जवाब में जानवर अपने व्यवहार को कैसे और क्यों बदलते हैं? उन बदलावों का उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए क्या मतलब है। यह अध्ययन ग्लोबल इकोलॉजी एंड कंजर्वेशन में प्रकाशित हुआ है।