जैविक विविधता- या जैव विविधता: पौधों, जीव जंतुओं में पाई जाने वाली अलग-अलग प्रकार की विशेषताएं जैव विविधता कह लाती है। जैव विविधता हमारे ग्रह पर सभी जीवित चीजों से बनी है। यह सभी तरह के जीवन को समाहित करती है जिसे अरबों सालों के विकास ने आकार दिया गया है। इसमें सबसे छोटे बैक्टीरिया से लेकर सबसे बड़े पौधों और जानवरों तक, यहां तक कि हमारी अपनी प्रजातियों भी शामिल हैं।
जैव विविधता तीन प्रकार की होती है- आनुवंशिक विविधता: यह गुणसूत्रों पर आधारित है जो जीवों के आनुवंशिक संरचना के बीच भिन्नता को दिखाता है। किसी विशेष प्रजाति के जीव अपने आनुवंशिक संरचना में एक दूसरे से अलग होते है। यही वजह है कि हर जीव एक-दूसरे से अलग दिखता है। इसी तरह, चावल, गेहूं, मक्का, जौ, आदि की एक ही प्रजाति में अलग-अलग किस्में होती हैं।
प्रजातीय विविधता: यह एक विशेष क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की प्रजातियों में विविधता को दिखाता है। इसमें पौधों से लेकर विभिन्न सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया तक सभी प्रजातियां शामिल हैं।
पारिस्थितिक विविधता: किसी खास पारिस्थितिकी तंत्र में पाई जाने वाली विविधता को पारिस्थितिक विविधता कहते हैं। जीवित से लेकर जो जीवित नहीं है यह उनका एक संग्रह है।
जैव विविधता का महत्व पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए इसका रखरखाव करना बहुत महत्वपूर्ण है। जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों की एक विस्तृत श्रृंखला के बिना, हम स्वस्थ पारिस्थितिकी प्रणालियों की आशा भी नहीं कर सकते हैं। ये सभी पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाते हैं।
ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिसके लिए हम जैव विविधता पर निर्भर करते हैं और हमारे लिए इसे संरक्षित करना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए कृषि को ही ले लीजिए अकशेरूकीय पर अविश्वसनीय रूप से निर्भर है, वे मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं, जबकि कई फल, नट और सब्जियां कीटों द्वारा परागित होती हैं।
दुनिया के एक तिहाई फसल उत्पादन में परागणकर्ता (पोलिनेटर) जैसे पक्षी, मधुमक्खी और अन्य कीड़े अहम भूमिका निभाते हैं। सूक्ष्म जीव मृदा में पोषक तत्वों को मुक्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। महासागरों में, मछली और समुद्री जीवन के अन्य रूप लगभग एक अरब लोगों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत प्रदान करते हैं।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के अनुसार, भारत दुनिया के 17 सबसे अधिक जैव विविधता वाले देशों में से एक है। भारत में दुनिया भर की 7-8 फीसदी प्रजातियों रहती हैं। बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा अब तक देश में 46,000 से अधिक पौधों और 81,000 प्रजातियों के जानवरों को दर्ज किया गया है। भारत में फसल विविधता का एक स्वीकृत केंद्र है और कई जंगली जानवरों और घरेलू जानवरों, मछलियों की नस्लों के अलावा करोड़ों माइक्रोबियल विविधता, कीड़े और अन्य प्रजातियां हैं। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत की पारिस्थितिकी तंत्र विविधता भी अनूठी है।