वन्य जीव एवं जैव विविधता

उत्तराखंड: वृक्ष संरक्षण अधिनियम में बदलाव की तैयारी, अभी से दिखने लगे दुष्प्रभाव

देहरादून में कुछ लोग घर-घर जाकर लोगों को अपनी जमीन पर लगे पेड़ कटवाने के लिए उकसा रहे हैं

DTE Staff

राजेश डोबरियाल 

निजी भूमि पर लगे पेड़ों को काटना आसान करने के लिए उत्तराखंड सरकार वृक्ष संरक्षण अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। हालांकि यह अभी सिर्फ़ प्रस्ताव है, लेकिन इसके नाम पर देहरादून में पेड़ों को काटना शुरू कर दिया गया है।

कुछ लोग घरों में जाकर अखबार में छपी खबर दिखा कर लोगों से पेड़ कटवाने के लिए बात कर रहे हैं। शहर के नेहरु ग्राम क्षेत्र की अपर गढ़वाली कॉलोनी में ऐसे ही बदमाशों की बातों में आकर एक परिवार ने अपनी जमीन से दो पुराने पेड़ कटवा दिए। अब वन विभाग भूमि स्वामी पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अधिनियम में संशोधन के बाद क्या होगा? 

देहरादून में मसूरी बाइपास, रिंग रोड से लगती नेहरू ग्राम की अपर गढ़वाली कॉलोनी की लेन नंबर सात में सुबह-सुबह आरे चलने की तेज आवाज ने लोगों को चौंका दिया। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते एक निजी जमीन पर खड़ा सिल्वर ओक का पेड़ धराशाई हो चुका था।

इसके बाद आरा फिर उठा और सागौन के एक पुराने पेड़ पर चलने लगा।। एक स्थानीय नागरिक ने इसके गिरते समय इसका वीडियो बना लिया। लेकिन करीब एक घंटे के समय में ही दोनों पेड़ों को काटकर मिनी ट्रक में लादा गया और लकड़ी के साथ कटाई करने वाले गायब हो गए।

कमाल की बात यह है कि जिनकी जमीन से ये पेड़ काटे गए हैं उन्हें यह पता ही नहीं कि पेड़ काटने वाले कौन हैं?

जिनकी जमीन पर खड़े दो पेड़ों को काटा गया उनका नाम आनंद है। डाउन टू अर्थ ने जब उनसे इस मामले पर जानकारी चाही तब तक वन विभाग की टीम उनसे मिलकर जा चुकी थी और वह कुछ घबराए हुए थे।

दरअसल पेड़ काटे जाने के बाद किसी जागरूक नागरिक ने फोन कर वन विभाग को सूचना दे दी थी। विभाग के लाडपुर बीट इंचार्ज सरदार सिंह ने आकर मौके का मुआयना किया और भूमि स्वामी को बताया कि इस मामले में उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया जाएगा।

आनंद ने बताया कि कुछ लोग उनके घर आए थे और पूछा था कि क्या वह पेड़ कटवाना चाहते थे? उन्होंने वन विभाग से अनुमति लेने की बात कही तो पेड़ काटने वालों ने वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव वाली खबर का हवाला देते हुए कहा कि अब तो अपनी जमीन से पेड़ कटवाए जा सकते हैं। 

आनंद और उनका परिवार इस झांसे में आ गया और पेड़ काटने की अनुमति दे दी। इसके बाद आनन-फानन में करीब घंटा-सवा घंटे के समय में उनकी जमीन से दो पेड़ साफ हो गए। 

आनंद कहते हैं कि न वह जानते हैं कि वे लोग कौन थे, कहां से आए थे और न ही उनका कोई फोन नंबर उनके पास है। पेड़ ले जा रहे लोगों से जब डाउन टू अर्थ ने बात की तो उन्हों कहा कि ‘वह तो लोगों की भलाई का काम कर रहा है, अब रास्ता थोड़ा खुल जाएगा’। उन्होंने यह भी बताया कि उसे तीन और पेड़ों को काटने के लिए कहा जा चुका है। जल्दी ही वह इन्हें भी काट देंगे ‘ताकि लोगों की परेशानी कम हो’।

मुकदमा और तलाश

उधर वन विभाग की रायपुर रेंज के रेंजर राकेश नेगी ने कहा कि भूमि स्वामी के खिलाफ केस किया जाएगा। साथ ही, जिस गाड़ी में पेड़ों की लकड़ी काटकर ले जाई गई है उसका नंबर उन्हें मिल गया है। उनके खिलाफ भी वन अधिनियम के तहत मुकदमा तो दर्ज किया ही जाएगा, एफआईआर भी करवाई जाएगी।

इसी का डर था- पर्यावरण कार्यकर्ता

वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ उत्तराखंड के पर्यावरण कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं। बुधवार को ही इस कानून को कमजोर किए जाने के खिलाफ़ सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून, महिला मंच और कई अन्य संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था। देहरादून में लैंड ट्रांस्फर नोडल ऑफिस के बाहर किए गए इस प्रदर्शन में से पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा भी शामिल हुए थे। 

अपर गढ़वाली कॉलोनी में वृक्ष संरक्षण अधिनियम में संशोधन की ख़बर के आधार पर पेड़ काटने की घटना पर सिटीज़न्स फॉर ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा कहते हैं कि इसी का डर था और वे लोग इसी का विरोध कर रहे हैं।

हिमांशु कहते हैं कि अगर यह संशोधन हो जाता है तो वन माफ़िया घर-घर घूमकर लोगों से पेड़ कटवाने को बोलेगा। इसके लिए वह प्रलोभन देगा या खतरा दिखाएगा। चिंता की बात है कि यह सब संशोधन किए जाने से बहुत पहले ही शुरू हो गया है।

हिमांशु कहते हैं कि जैसे संशोधन की बात वन मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर कही थी और चारों तरफ़ फैल गई थी, अब उन्हें यह बात भी ज़ोर-शोर से कहनी चाहिए कि ऐसा संशोधन अभी हुआ नहीं है. अब भी अपनी ज़मीन पर पेड़ काटना गैर-कानूनी ही है।