वन्य जीव एवं जैव विविधता

उत्तराखंड: अप्रैल के 30 दिनों में ही वनाग्नि की 1653 घटनाएं, 2708 हेक्टेयर जंगल प्रभावित

अप्रैल में गर्मी और बारिश न होने के कारण उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई

Varsha Singh

उत्तराखंड के जंगलों के लिए अप्रैल का महीना इस साल अब तक सबसे ज्यादा घातक साबित हुआ है। इस साल 15 फरवरी से 31 मार्च तक 45 दिनों में जंगल की आग की घटनाएं इतनी नहीं हुई, जितना अकेले अप्रैल महीने में दर्ज की गईं। वर्ष 2021 की भयावह आग के बावजूद अप्रैल में जंगल इतने नहीं जले। 

उत्तराखंड में 15 फरवरी से 31 मार्च 2022 तक फायर सीजन में उत्तराखंड में वनाग्नि की 138 घटनाएं हुईं। जिसमें 182.52 हेक्टेअर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। इसमें आरक्षित, सिविल और वन पंचायत क्षेत्र शामिल है। जबकि 30 अप्रैल 2022 तक आग लगने की घटनाएं 1791 हो गईं और 2891.29 हेक्टेअर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। 

यानी सिर्फ अप्रैल के 30 दिनों में आग लगने की 1653 घटनाएं हुईं। जिनमें 2708.77 हेक्टेअर वनक्षेत्र आग की चपेट में आया। जो 15 फरवरी-30 मार्च तक वनाग्नि की घटनाओं का तकरीबन 12 गुना अधिक है। इस दौरान तकरीबन 16 गुना अधिक वनक्षेत्र आग की चपेट में आया। 

वनाग्नि के लिहाज से पिछले 10 वर्षों में 2012 (1328 घटनाएं), 2016 (2074 घटनाएं), 2018 (2150 घटनाएं), 2019 (2158 घटनाएं), 2021 (2813 घटनाएं) और 2022 (1880 अब तक) वनाग्नि के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील रहे। 

वर्ष 2021 में तो सर्दियों में भी जंगल की आग बनी हुई थी। इन आंकड़ों के लिहाज से देखें तो अकेला अप्रैल इस साल वनों के लिए घातक साबित हुआ। आमतौर पर माना जाता है कि हर 4 से 5 साल के चक्र में एक बार जंगल में आग तीव्र होती है। लेकिन 2020 (कोविड लॉकडाउन) को छोड़ दें तो पिछले 4 साल से जंगल में आग की घटनाएं लगातार एक समान रूप से अधिक रही हैं।

ऐसा क्यों

इस साल की शुरुआत जनवरी-फरवरी में अच्छी बारिशों के साथ हुई। लेकिन मार्च का महीना 33.10 डिग्री सेल्सियस औसत अधिकतम तापमान के साथ 122 वर्षों में सबसे गर्म रिकॉड किया गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक उत्तरपश्चिमी और मध्य भारत में भी 28 अप्रैल का महीना पिछले 122 सालों में सबसे अधिक गर्म रिकॉर्ड किया गया। 

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र में मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल के मुताबिक उत्तराखंड में भी अप्रैल में ज्यादातर दिनों में ज्यादातर जगहों पर औसत तापमान सामान्य से 3 से 5 डिग्री तक अधिक रहा है। हरिद्वार में तापमान 40 डिग्री तक पहुंचा। 

आईएमडी के मुताबिक उत्तराखंड में 1 मार्च से 27 अप्रैल तक बारिश सामान्य से -91% कम रही। इस दौरान राज्य में 7.8 मिमी. बारिश हुई। जबकि सामान्य बारिश 84.8 मिमी. होती है। 

आईएमडी के मुताबिक मई में भी उत्तर पश्चिमी राज्यों समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। अच्छी बात ये है कि बारिश भी सामान्य से अधिक रहने का अनुमान जताया गया है। 

असर

बागेश्वर से वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के ज़िलाध्यक्ष पूरन सिंह रावल कहते हैं जंगल की आग में हमारी जैव-विविधता जलकर खाक हो रही है। इतनी ज्यादा धुंध है कि 500 मीटर के आगे दिखाई नहीं दे रहा। लोगों की तबियत खराब हो रही है

वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज वनाग्नि की रोकथाम को लेकर बैठक की और कहा गया कि आग पर काबू पाने के लिए लोगों का सहयोग लिया जाए। वन पंचायतों में फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट कमेटी बनाई जाए।