वन्य जीव एवं जैव विविधता

15 दिन के अल्टीमेटम के बाद आदिवासियों ने खत्म किया आंदोलन

नंदराज पर्वत को खनन के लिए अदानी को लीज दिए जाने के विरोध में सात जून से आदिवासी आंदोलन कर रहे थे

DTE Staff

पुरुषोत्तम सिंह ठाकुर

बैलाडीला पर्वत माला में स्थित अपना देवभूमि नंदराज पहाड़ को लेकर पिछले सात जून से शुरू हुए शांतिपूर्ण धरना और प्रदर्शन कर रहे बस्तर के आदिवासियों ने सरकार के सकारात्मक पहल के बाद आन्दोलन को बृहस्पतिवार को सशर्त खत्म कर दिया है। संयुक्त पंचायत समिति के अगुवाई में चल रहे इस आन्दोलन की ओर से 15 दिन के अंदर जांच और कार्रवाई नहीं होने पर दोबारा आन्दोलन की चेतावनी दी गई है।

अपने देव भूमि नंदराज पहाड़ को उत्खनन से बचाने के लिए पिछले 7 तारीख से बस्तर के दंतेवाडा, सुकमा और बीजापुर जिले के सैकड़ों गाँव से पैदल चलके आये हजारों आदिवासी किरंदुल स्थित एनएमडीसी परिसर में चेक पोस्ट के पास धरना प्रदर्शन कर रहे थे। आन्दोलनकारियों के प्रतिनिधि मंडल का मुख्यमंत्री से मुलाकात और उनके मांगों पर पेड़ कटाई पर रोक और फर्जी ग्रामसभा पर जांच के आदेश के बावजूद आन्दोलन जारी रखा था।  

फर्जी आरोपों की जांच और पेड कटाई पर रोक के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश के बाद भी आन्दोलन एक दिन और जारी रहा। इस पर बुधवार देर रात प्रशासन की ओरे से सख्ती दिखाते हुए आन्दोलन स्थल को खली करने का नोटिस जारी किया गया। और दूसरे दिन रात 12 बजे तक जगह खाली नहीं करने पर कार्यवाही करने की बात नोटिस में कही गई थी। इस आन्दोलन के चलते एनएमडीसी में काम काज ठप्प था, और रोज करोड़ों का नुकसान हो रहा था।

इसके बाद आन्दोलनकारियों ने बैठक कर जांच में अपने 8 साथियों को भी शामिल करने के साथ-साथ 15 दिन में कार्रवाई करने की मांग की है। अगर 15 दिन के अंदर जांच और कार्रवाई नहीं होती है तो फिर से आन्दोलन की बात कही गई है। आन्दोलन स्थल खाली करने के फैसले के बाद प्रशासन ने लोगों को ट्रकों में भर-भरकर उनके गाँव तक पहुंचा दिया है। आन्दोलन स्थल से जाते हुए आदिवासियों में आन्दोलन और संघर्ष के बाद की जीत की खुशी और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था और वे नारों के साथ-साथ गीत गाते हुए आन्दोलन स्थल से प्रस्थान कर रहे थे।

गौरतलब है कि यह एक हफ्ते का आन्दोलन बैलाडीला स्थित नंदराज पहाड़ी पर 13 नंबर लौह अयस्क का भण्डार अदानी को देने के बाद और उत्खनन के लिए पेड़ कटाई से उनके देवस्थल नष्ट होने से चिन्तित थे। इस लिए कई बार इसका विरोध किया पर सुनवाई नहीं होने पर वे आन्दोलन पर उतर आए। आदिवासी अपने पारम्परिक हथियार तीर धनुष और पारम्परिक बाजा गाजा लेकर आये थे पर शांतिपूर्ण तरीके से आन्दोलन कर रहे थे।