वन्य जीव एवं जैव विविधता

आदि शंकराचार्य के म्यूजियम के लिए अवैध तरीके से काटे जा रहे थे पेड़, एनजीटी ने लगाई रोक

पेड़ों को काटने की अनुमति वन (संरक्षण कानून), 1980 की धारा 2 के मुताबिक पूरी तरह से अवैध है।

Vivek Mishra

मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के डूब क्षेत्र में आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, भोपाल के जरिए  "स्टेच्यू ऑफ वननेस" और आदि शंकराचार्य के म्यूजियम के निर्माण के लिए अवैध तरीके से पेड़ों को काटा जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पेड़ों के कटाव पर रोक लगा दी है। साथ ही परियोजना प्रस्तावक को डूब क्षेत्र का ख्याल रखते हुए परियोजना पर काम करने का आदेश दिया है।

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पीठ के जरिए गठित संयुक्त समिति की जांच रिपोर्ट से साफ होता है कि करीब 1300 पेड़ काटने की अनुमति स्टेट एक्ट के तहत एसडीओ के जरिए दी गई थी। 

पीठ ने कहा कि हमने पाया कि पेड़ों को काटने की अनुमति वन (संरक्षण कानून), 1980 की धारा 2 के मुताबिक पूरी तरह से अवैध है। पेड़ों को काटने के लिए केद्र से उचित अनुमति की जरूरत है। एसडीओ का आदेश केंद्र के आदेश को के ऊपर नहीं हो सकता। 

पीठ ने कहा कि पेड़ काटना अवैध है, इस कार्य के लिए उचित हर्जाना और वानिकी कार्य का सुनिश्चित होना जरूरी है। पीठ ने कहा कि यह भी जरूरी है कि नर्मदा के डूब क्षेत्र को बचाने क लिए परियोजना का कार्य बेहद सावधानी से किया जाए। खासतौर से मक डिस्पोजल नियमों और मानकों के तहत होना चाहिए। 

इसके अलावा सीवेज व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों का पालन भी परियोजना में किया जाना चाहिए। इसकी निगरानी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए की जानी चाहिए। वहीं, पर्यटकों को सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक गाडियों से ही पर्यटन की अनुमति दी जाए। 

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि अब आगे से बिना केंद्र की उचित अनुमति के पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। यदि विधिसम्मत अनुमति के बाद पेड़ काटे जाएं तो उनकी जगह पर देशी प्रजाति के पौधों की वानिकी की जाए, जिसे जियो टैग होना चाहिए।  

पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यह म्यूजियम आदि शंकराचार्य को केंद्रित है। ऐसे में पर्यावरण मानकों का खास ख्याल रखा जाए साथ ही म्यूजियम में जैवविविधता और मेडिसिनल प्लांट भी लगाए जाएं। 

इस मामले में जनक पाटला मैकगिलां व अन्य का आरोप था कि स्टेच्यू ऑफ वननेस के लिए न सिर्फ भारी मशीनरी से खुदाई का कार्य हो रहा है बल्कि पुराने और देशी प्रजाति के पेड़ों को भी अंधाधुंध तरीके से काटा जा रहा है।