वन्य जीव एवं जैव विविधता

संसद में आज: पूर्वोत्तर के इलाकों में फॉरेस्ट कवर में 1020 वर्ग किमी की कमी देखी गई

Madhumita Paul, Dayanidhi

13 जनवरी, 2022 को जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के मुताबिक, पूर्वोत्तर के इलाकों में वनावरण में पिछले आकलन यानी आईएसएफआर 2019 की तुलना में कुल मिलाकर 1020 वर्ग किलोमीटर की कमी देखी गई है। पूर्वोत्तर में वन क्षेत्र के नुकसान के लिए प्राकृतिक आपदाएं, मानवजनित दबाव और विकासात्मक गतिविधियों के अलावा मुख्य रूप से वन भूमि को खेती के रूप में इस्तेमाल करने को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यह केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने 03 फरवरी, 2022 को राज्यसभा में बताया।

स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 की विश्वसनीयता

भारतीय वन सर्वेक्षण राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद से भुगतान के आधार पर उपग्रह इमेजरी के आंकड़ों को हासिल करता है। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया। चौबे ने बताया कि एनआरएससी के प्रतिबंधों के कारण इन आंकड़ों को सार्वजनिक डोमेन में नहीं रखा जा सकता है।

सैटेलाइट इमेजरी में इस्तेमाल किए गए आंकड़े एनआरएससी से लिए गए हैं। चौबे ने कहा कि कोई भी इन आंकड़ों को सीधे एनआरएससी से सत्यापन के लिए खरीद सकता है।

पवई झील का संरक्षण

राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (एमसीजीएम) को पवई झील में उपचारित / अनुपचारित सीवेज के प्रवेश से बचने के लिए आवश्यक एहतियाती उपाय करने के निर्देश जारी किए हैं। इसे पास के एसटीपी में डायवर्ट किया गया है और सख्ती से पालन किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी मूर्ति विसर्जन के लिए दिशा निर्देश दिनांक 12 मई 2020 को दिए गए थे। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

चौबे ने बताया कि माननीय एनजीटी ने इस मामले में अपने आदेश दिनांक 12 जनवरी 2022 के तहत आठ सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया था, जो अन्य बातों के साथ-साथ पर्यावरण के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक कार्य योजना तैयार करती है, निष्पादन के तरीके, निगरानी तंत्र और बजट आवंटन प्रदान करती है। 

साल 2021 में बाघों की मृत्यु

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया कि वर्ष 2021 में 127 बाघों की मौत हुई है। चौबे ने कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बाघों की मौत से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है, जिसमें प्रत्येक बाघ की मौत को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने के निर्देश दिए गए हैं।

आरओ पर एनजीटी का प्रतिबंध

माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ओ.ए. 2015 का 134 शीर्षक 'मित्रों के माध्यम से इसके महासचिव बनाम जल संसाधन मंत्रालय' ने अपने आदेश दिनांक 20.05.2019 द्वारा निर्देश दिया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए उपयुक्त अधिसूचना जारी कर सकता है, यह उन जगहों पर लागू होगा जहां कुल पानी में घुला हुआ ठोस (टीडीएस) 500 मिलीग्राम/लीटर से कम है। उपरोक्त आदेश के अनुसरण में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 'जल शोधन प्रणाली के उपयोग पर दिनांक 04.10.2021 की संख्या 724 (ई) के तहत राजपत्र अधिसूचना प्रकाशित की है। इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में दी।

डबका आरक्षित वन क्षेत्र पर राजमार्ग का पर्यावरणीय प्रभाव

असम में प्रस्तावित टू लेन हाईवे (होजई से कार्बी आंगलोंग) के डबका रिजर्व फॉरेस्ट और हाथी कॉरिडोर पर निर्माण का प्रस्ताव पर्यावरण मंजूरी मंत्रालय में प्रवेश पोर्टल पर प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि, यूजर एजेंसी नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने 27 मई, 2021 को नागांव साउथ डिवीजन, होजै के तहत डबका रिजर्व फॉरेस्ट में 20.50 हेक्टेयर वन भूमि के बदलाव या डायवर्सन के संबंध में “एनएच- के चौड़ीकरण / उन्नयन 29 टू-लेन से 4-लेन विभाजित राष्ट्रीय राजमार्ग प्रवेश के लिए पोर्टल पर आवेदन प्रस्तुत किया है। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

झारखंड में अवैध रेत खनन

जैसा कि खान और भूविज्ञान विभाग, सरकार द्वारा रिपोर्ट किया गया है कि झारखंड राज्य में पिछले तीन वर्षों में अवैध रेत खनन के संबंध में कुल 2235 मामले सामने आए हैं, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

कोविड -19 पहली और दूसरी लहर के दौरान नौकरियों का नुकसान और सृजन

श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत श्रम ब्यूरो द्वारा अप्रैल से जून 2021 की अवधि के लिए अखिल भारतीय त्रैमासिक आधारित रोजगार सर्वेक्षण के भाग के रूप में तिमाही रोजगार सर्वेक्षण के पहले दौर के परिणाम के अनुसार, रोजगार बढ़कर 3.08 करोड़ (लगभग) हो गए हैं। अर्थव्यवस्था के नौ चयनित क्षेत्रों में कुल 2.37 करोड़ के मुकाबले इन क्षेत्रों में सामूहिक रूप से लिया गया, जैसा कि छठी आर्थिक जनगणना (2013-14) में रिपोर्ट में बताया गया था, जो 29 फीसदी की वृद्धि दर को दर्शाता है। आईटी/बीपीओ क्षेत्र में 152 प्रतिशत की सबसे प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि स्वास्थ्य में यह वृद्धि दर 77 प्रतिशत है, शिक्षा में यह 39 प्रतिशत है, विनिर्माण क्षेत्र में यह 22 प्रतिशत है, परिवहन में यह 68 प्रतिशत है और निर्माण में यह है 42 प्रतिशत है, यह आज श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में बताया।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिला रोजगार

श्रम और रोजगार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा आयोजित रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिला के लिए सामान्य स्थिति के आधार पर अनुमानित श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 2016-17 में ग्रामीण क्षेत्र में 29.5 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 20.1 फीसदी थी, यह आज श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में बताया।

रोजगार प्रदान करने के लिए शहरी मनरेगा कार्यक्रम

श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में बताया कि शहरों में मनरेगा जैसा कार्यक्रम शुरू करने की मांग को लेकर सरकार के पास किसी भी संगठन का प्रतिनिधिमंडल नहीं पहुंचा है। वहीं उन्होंने बताया कि 2019-20 की नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में सामान्य स्थिति के आधार पर 15 वर्ष और उससे अधिक के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 6.9 फीसदी थी जो 2018-19 में 7.6 फीसदी और 2017-18 में 7.7 फीसदी थी।

तेली ने कहा कि जुलाई से सितंबर 2021 की अवधि के लिए तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस) के दूसरे दौर के परिणाम के अनुसार, अर्थव्यवस्था के नौ चयनित क्षेत्रों में रोजगार बढ़कर 3.10 करोड़ हो गया जो कि तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस) (अप्रैल-जून, 2021) के पहले दौर के दौरान 3.08 करोड़ था। इन क्षेत्रों में कुल 2.37 करोड़ के मुकाबले सामूहिक रूप से लिया गया, जैसा कि छठी आर्थिक जनगणना (2013-14) में बताया गया है।