संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में लोगों को अगले दशक में कम से कम एक अरब हेक्टेयर खराब भूमि में तत्काल सुधार कर इसे बहाल करना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर हम जैव विविधता के नुकसान से बचना चाहते है तो भूमि सुधार आवश्यक है।
दुनिया प्रकृति द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का 1.6 गुना उपयोग कर रही है। इस बात को स्वीकार किया गया कि बड़े पैमाने पर होने वाले पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान को रोकने के लिए केवल संरक्षण प्रयासों से ही काम नहीं चलेगा।
पारिस्थितिक तंत्रों में खेत, जंगल, घास के मैदान और सवाना, पहाड़, पीटलैंड, शहरी क्षेत्र, ताजे पानी के स्रोत और महासागर शामिल हैं। लगभग दो अरब हेक्टेयर खराब भूमि में रहने वाले समुदायों में दुनिया के कुछ सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग शामिल हैं।
जनरेशन रिस्टोरेशन: इकोसिस्टम रिस्टोरेशन फॉर पीपल, नेचर एंड क्लाइमेट, नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि- स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का अब केवल संरक्षण करना ही महत्वपूर्ण नहीं है। हम अपने जीवन के वर्तमान तरीके से जीने के लिए हम 1.6 धरती के बराबर का उपयोग कर रहे हैं और पारिस्थितिकी तंत्र हमारी इतनी बड़ी मांगों को पूरा नहीं कर सकते हैं।
दुनिया भर में भूमि सुधार और उनकी बहाली की लागत तथा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने की लागत सहित 2030 तक हर साल कम से कम 200 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सुधार एवं बहाली में निवेश किए गए हर 1 डॉलर से, 30 डॉलर तक का आर्थिक लाभ हो सकता है।
पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, इसमें हो रही गिरावट को रोकने और इसे पहले जैसा बनाने की प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप हमें स्वच्छ हवा और पानी, चरम मौसम को कम करने, लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और पौधों के बेहतर परागण सहित जैव विविधता का पुनरुद्धार होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमि में हो रही गिरावट पहले से ही लगभग 320 करोड़ लोगों पर असर डाल रही है। यह दुनिया की आबादी का 40 फीसदी हिस्से के बराबर है। हम हर साल, अपने वैश्विक आर्थिक उत्पादन के 10 फीसदी से अधिक मूल्य की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का नुकसान झेल रहे हैं।
अच्छी बात यह है कि प्रकृति में नवीकरण की असाधारण क्षमता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ पारिस्थितिक तंत्र एक ऐसे मोड़ पर पहुंच रहे हैं जहां से वे उबर नहीं सकते हैं। यदि हम हो रहे नुकसान को रोकते हैं तो कई चीजें फिर से फल-फूल सकते हैं और उनके स्वास्थ्य, जैव विविधता और उत्पादकता फिर से बहाल हो सकती है।
रिपोर्ट खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने को लेकर उत्पादक पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के महत्व को भी सामने लाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्र कृषि वानिकी की बहाली करने से ही 130 करोड़ लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। अधिकतम स्थायी उपज देने के लिए समुद्री मछलियों की आबादी को बहाल करने से मत्स्य उत्पादन में 165 लाख टन की वृद्धि हो सकती है, जिसका वार्षिक मूल्य 32 बिलियन डॉलर है।
भूमि में आ रही गिरावट को रोकने, इसमें सुधार करने वाली कार्रवाइयां वैश्विक तापमान में एक तिहाई कमी ला सकती हैं जिसकी 2030 तक बहुत आवश्यकता है।
यूएनईपी कार्यकारी निदेशक, इंगर एंडरसन और एफएओ निदेशक जनरल, क्व डोंग्यु ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि यह रिपोर्ट इस मामले को प्रस्तुत करती है कि क्यों न हम सभी को अपने आपको खराब हो रही भूमि में सुधार और इसकी बहाली के प्रयास के पीछे झोंक देना चाहिए।
नवीनतम वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर, यह पारिस्थितिक तंत्र द्वारा निभाई जाने वाली अहम भूमिका जंगलों और खेत से लेकर नदियों और महासागरों तक को निर्धारित करती है। साथ ही यह ग्रह के खराब प्रबंधन के परिणामस्वरूप होने वाले नुकसान को भी सामने लाती है।
रिपोर्ट को पारिस्थितिकी तंत्र के बहाली 2021-2030 पर संयुक्त राष्ट्र के दशक के रूप में जारी किया गया है। एफएओ और यूएनईपी ने संयुक्त राष्ट्र दशक के लिए 'डिजिटल हब' भी लॉन्च किया, जिसमें 'पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली और निगरानी के लिए ढांचा' बनाना शामिल है।
यह ढांचा देशों और समुदायों को प्रमुख पारिस्थितिक तंत्रों में बहाली परियोजनाओं की प्रगति को मापने में सक्षम बनाता है, जिससे बहाली के प्रयासों में मालिकाना हक और विश्वास को बढ़ाने में मदद मिलती है।