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कोर या महत्वपूर्ण बाघ आवास में टाइगर सफारी को मंजूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने साफ कहा है कि कोर क्षेत्र या महत्वपूर्ण बाघ आवास में सफारी को अनुमति नहीं दी जाएगी। सफारी केवल नॉन-फॉरेस्ट लैंड या डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड पर, वह भी सिर्फ बफर जोन में बनाई जा सकती है, बशर्ते कि वह टाइगर कॉरिडोर का हिस्सा न हो

Susan Chacko, Lalit Maurya

देश में बाघों की सुरक्षा को नई दिशा देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि कोर या महत्वपूर्ण बाघ आवास में टाइगर सफारी किसी भी हाल में नहीं बनाई जा सकती। अदालत ने 17 नवंबर को बाघ संरक्षण पर दिए अपने 80 पन्नों के फैसले में राज्यों को टाइगर रिजर्व की सुरक्षा, बहाली और पर्यटन गतिविधियों पर कड़े निर्देश जारी किए हैं।

तीन महीने में अवैध निर्माण हटाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) की सलाह से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की बहाली का पूरा प्लान तैयार कर अदालत में पेश किया जाए। इसके साथ ही एक्सपर्ट कमेटी ने जिन अवैध निर्माणों की पहचान की है, उन्हें तीन महीने के भीतर हटाना अनिवार्य होगा।

सरकार ने इस आदेश का पालन किया है इस बारे में जानकारी देते हुए एक हलफनामा साल भर के भीतर अदालत में दाखिल करना होगा।

अदालत ने यह भी कहा है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से जुड़े मामलों में सीईसी बहाली से जुड़ी योजना की निगरानी और पर्यवेक्षण करेगी। बहाली और वनीकरण के दौरान उत्तराखंड सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सिर्फ स्थानीय और स्वदेशी पौधों को ही लगाया जाए। किसी भी बाहरी प्रजाति को जंगल में लगाने की सख्त मनाही रहेगी।

अब सिर्फ नॉन-फॉरेस्ट या डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड पर होगी टाइगर सफारी

टाइगर सफारी पर फैसला देते हुए अदालत ने साफ कहा है कि कोर क्षेत्र या महत्वपूर्ण बाघ आवास में सफारी की अनुमति नहीं दी जाएगी। सफारी केवल नॉन-फॉरेस्ट लैंड या डिग्रेडेड फॉरेस्ट लैंड पर, वह भी सिर्फ बफर जोन में बनाई जा सकती है, बशर्ते कि वह टाइगर कॉरिडोर का हिस्सा न हो।

साथ ही, सफारी को तभी अनुमति मिलेगी जब वह पूरी तरह से संचालित टाइगर रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर के साथ जुड़ी हो, जहां घायल, संघर्ष का शिकार या छोड़े गए बाघों की देखभाल की जा सके। साथ ही, हर टाइगर सफारी को विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में बताए सभी नियमों और शर्तों का पालन करना होगा।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति एजी मसीह और न्यायमूर्ति एएस चंदूरकर की पीठ ने टाइगर सफारी से जुड़ी विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। अदालत ने निर्देश दिया है कि टाइगर सफारी को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 2019 की गाइडलाइन और कुछ अतिरिक्त शर्तों के साथ बफर और फ्रिंज क्षेत्रों में ही स्थापित और संचालित किया जाए।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सभी टाइगर रिजर्व के ईको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) अभी तक अधिसूचित नहीं हैं। अदालत ने स्पष्ट कहा कि ईको-सेंसिटिव जोन केवल अभयारण्यों या राष्ट्रीय उद्यानों तक सीमित नहीं रह सकते, इसमें टाइगर रिजर्व के बफर और आसपास के क्षेत्र भी शामिल होने चाहिए।

इसलिए अदालत ने सभी राज्यों को एक साल के भीतर सभी टाइगर रिजर्व के बफर और फ्रिंज क्षेत्रों सहित, उनके चारों ओर के क्षेत्र को ईको-सेंसिटिव जोन घोषित करने का आदेश दिया है।

बफर एरिया में क्या-क्या होगा प्रतिबंधित

सुप्रीम कोर्ट ने समिति की उन सिफारिशों को भी मंजूरी दे दी है, जिनमें बताया गया है कि टाइगर रिजर्व के बफर और फ्रिंज क्षेत्रों में कौन-सी गतिविधियों की अनुमति होगी, कौन-सी नियंत्रित रहेंगी और किन पर पूरी तरह रोक रहेगी।

अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे इन सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अपने संबंधित नियम और नीतियां तैयार करें।

समिति ने जिन गतिविधियों को प्रतिबंधित किया है, उनमें व्यावसायिक खनन, सॉ मिल लगाना, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग स्थापित करना, होटलों या कारोबारी संस्थानों के लिए बड़ी मात्रा में लकड़ी का उपयोग, बड़े हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, विदेशी प्रजातियों का परिचय, खतरनाक पदार्थों का उपयोग या उत्पादन, पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां जैसे कम ऊंचाई पर उड़ान (ड्रोन और हॉट एयर बैलून सहित), नदियों, झीलों या जमीन पर गंदा पानी और कचरा डालना के साथ बिना अनुमति पेड़ों की कटाई आदि शामिल हैं।

बफर क्षेत्र के टाइगर कंजर्वेशन प्लान में तय पर्यटन संबंधी नियमों के अनुसार होटल और रिसॉर्ट बनाने की अनुमति होगी, बशर्ते इससे वन्यजीवों की आवाजाही पर कोई असर न पड़े। अन्य नियंत्रित गतिविधियों में प्राकृतिक जल स्रोतों का व्यावसायिक उपयोग, जैसे ग्राउंडवॉटर हार्वेस्टिंग, शामिल हैं, लेकिन यह सब मंजूरशुदा मास्टर प्लान के तहत ही किया जा सकेगा, ताकि वन्यजीवों के आवागमन में कोई बाधा न आए।उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तलब की बाघ और संबंधित प्रजातियों के संरक्षण की ताजा जानकारी

इसी तरह मास्टर प्लान के तहत सड़कों का चौड़ा करने, रात में वाहनों का सीमित आवागमन, और पहाड़ियों व नदी किनारों की सुरक्षा जैसी गतिविधियों की भी अनुमति होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बफर क्षेत्रों की अधिसूचना जरूरी है, ताकि बाघों का क्षेत्रीय व्यवहार और संरक्षण की लैंडस्केप आधारित रणनीति ठीक से काम कर सके।

अदालत ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे छह महीनों के भीतर टाइगर रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्र अधिसूचित करें। साथ ही, तीन महीने के भीतर टाइगर कंजर्वेशन प्लान तैयार करें। यदि किसी टाइगर रिजर्व में अभी तक स्टीयरिंग कमेटी नहीं बनी है, तो उसे दो महीने के भीतर गठित किया जाए।

अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे एनटीसीए के पर्यटन से जुड़े सभी दिशानिर्देशों का पालन करे और टाइगर रिजर्व के आसपास समुदाय-आधारित पर्यटन की व्यवस्था को बढ़ावा दें। रात में पर्यटन पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और सीईसी को निर्देश दिया गया है कि वे सभी टाइगर रिजर्व में स्टाफिंग पैटर्न और कर्मचारियों की आवश्यकता की समीक्षा के लिए मिलकर एक विशेष सेल बनाएं। इस काम को एक साल के भीतर पूरा करना अनिवार्य है।