वन्य जीव एवं जैव विविधता

एक दशक में बाघों की संख्या दोगुनी करने वाले टाइगर रिजर्व को मिला सम्मान

भारत के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व को यह पुरस्कार दिया गया है

DTE Staff

भारत के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व को वर्ष 2010 के बाद टाइगरों की संख्या को दोगुना करने पर प्रतिष्ठित टीX2 पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह रिजर्व नीलगिरि बायोस्फीयर लैंडस्केप का हिस्सा है। नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व पर वर्तमान में दुनिया में टाइगरों की सबसे अधिक आबादी है।

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) इंडिया की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार ये पुरस्कार कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स, फ्यूना एंड फ्लोरा इंटरनेशनल, ग्लोबल टाइगर फोरम, आईयूसीएन का इंटीग्रेटेड टाइगर हैबिटेट कंजर्वेशन प्रोग्राम,पेंथेरा, यूएनडीपी, द लॉयन्स शेयर, वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) द्वारा वितरित किए जा रहे हैं।

ये सभी संगठन 13 टाइगर रेंज देशों की 10वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो 2022 तक बाघों की वैश्विक आबादी को दोगुना करने के लिए प्रसिद्ध हैं। यह पुरस्कार राज्य सरकारों और स्थानीय समुदायों की कोशिशों के लिए दिया जाता है जिन्होंने इस नए टाइगर रिजर्व को भारत में सबसे ज्यादा आबादी वाला स्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सत्यमंगलम को 2013 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था और अब इस क्षेत्र में लगभग 80 बाघ हैं। नीलगिरि और ईस्टर्न घाट लैंडस्केप के बीच यह टाइगर रिजर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुदुमलाई टाइगर रिजर्व, बांदीपुर टाइगर रिजर्व और बीआर हिल्स टाइगर रिजर्व जैसे दूसरे जाने माने टाइगर हैबिटेट से अच्छी तरह जुड़ा है।

इरोड फॉरेस्ट डिवीजन, कोयंबटूर फॉरेस्ट डिवीजन और मलाई महादेश्वर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी जैसे आस पास के क्षेत्र भी महत्वपूर्ण टाइगर हैबिटेट के रूप में उभर रहे हैं। इससे टाइगर भोजन और नए क्षेत्र की तलाश में आसानी से एक से दूसरे स्थान पहुंच सकेंगे।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, इंडिया के सेक्रेटरी जनरल और सीईओ रवि सिंह ने कहा, “टीX2 पुरस्कार बाघों को बचाने के लिए सरकारों, एनजीओ और स्थानीय समुदायों के सराहनीय योगदान का सम्मान करता है। सम्मान के लिए हाल ही में चुने गए टाइगर रिजर्व जैसे सत्यमंगलम दूसरों को इस अद्भुत प्रजाति और उसके हैबिटेट को सुरक्षित करने के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है।”

इस साल सितंबर में, टाइगर रेंज के देश व्लादिवोस्तोक में दूसरे ग्लोबल टाइगर समिट में महत्वाकांक्षी टीX2 लक्ष्य 'बाघों की संख्या दोगुनी करना' का मूल्यांकन करने और अगले 12 सालों के लिए बाघों के संरक्षण के लिए प्राथमिकताओं को समझने के लिए जुटेंगे।

सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के अलावा, नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क ने 2010 से अब तक बाघों की संख्या दोगुनी करने के लिए टीX2 पुरस्कार जीता है। टाइगरों के संरक्षण का दूसरा पुरस्कार टाइगर कंजर्वेशन एक्सीलेंस नेपाल में खता फॉरेस्ट कंजर्वेशन एरिया को जाता है, जो नेपाल और भारत के बीच टाइगरों के सीमा पार आवागमन को सुरक्षित करता है।

202 किलोमीटर तक फैले 74 कम्युनिटी फॉरेस्ट के नेटवर्क को शामिल करता हुआ, खता कॉरिडॉर जहां समुदाय-आधारित संरक्षण प्रयासों ने नेपाल में बर्दिया नेशनल पार्क और भारत में कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सेंचुरी के बीच बाघों के आवागमन को सुरक्षित करता है। पिछले पांच सालों में, 46 टाइगरों को दूसरी प्रतिष्ठित और खतरनाक स्तनधारी प्रजातियों को कॉरिडॉर का इस्तेमाल करते हुए देखा गया है। इनमें एशियाई हाथी और एक सींग वाले गैंडे शामिल हैं।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के टाइगर्स अलाइव इनिशिएटिव के लीड स्टुअर्ट चैपमैन ने कहा, “ 2010 में लिए गए संकल्पों से पता चलता है कि बाघ संरक्षण के लिए लंबे समय के संकल्पों से क्या हासिल किया जा सकता है। इन असाधारण परिणामों के पीछे फील्ड टीमों, संरक्षण भागीदारों और बाघों के साथ रहने वाले समुदायों का समर्पण है।”

इंटीग्रेटेड टाइगर हैबिटेट प्रोग्राम, आईयूसीएन  के समन्वयक सुगोतो रॉय ने कहा, “बाघों के सफल संरक्षण में लगातार प्रबंधन और हैबिटेट के लैंडस्केप स्केल में सुधार, बाघों और उनके शिकार की कठोर निगरानी और स्थानीय समुदायों के साथ बड़े पैमाने पर काम करना शामिल है। इन सभी मानदंडों को उत्कृष्टता के साथ पूरा किया गया है, जिससे हमें विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण परिणाम मिले हैं।”

 टीX2 लक्ष्य किसी एक प्रजाति के लिए अब तक का निर्धारित सबसे महत्वाकांक्षी संरक्षण लक्ष्यों में से एक है, और व्लादिवोस्तोक में दूसरा ग्लोबल टाइगर समिट, सितंबर 2022, उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक नई दृष्टि स्थापित करने का अवसर देता है। बाघों की संख्या शायद एक सदी पहले 100,000 थी, लेकिन 2010 में तेजी से गिरकर 3,200 हो गई। टाइगर रेंज देशों के अनुमानों के आधार पर 2016 में उनकी संख्या धीरे धीरे बढ़कर 3,900 हुई।