बरेली। दुधवा नेशनल पार्क में रविवार को एक और बाघ का शव मिलने से हड़कम्प मच गया। 20 दिनों के अंदर बाघ की यह दूसरी मौत है। रेलवे लाइन के किनारे शव मिलने के बाद वन विभाग की टीम पहुंच गई। वन विभाग की टीम ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
उत्तर प्रदेश के एकमात्र नेशनल पार्क दुधवा में वन्य प्राणियों के शव मिलने का सिलसिला तेज हो चुका है। रविवार को दुधवा रेंज के कालाकुंड इलाके में रेलवे लाइन के किनारे नर बाघ का शव मिला। इसकी आयु लगभग 10 वर्ष बताई जा रही है। बाघ के सिर में चोट है। उसकी एक आंख भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। उसके नाखून भी टूटे हुए हैं। घटना स्थल पर अन्य बाघ और हाथी के पग मार्क भी मिले। वन विभाग का मानना है कि आपसी संघर्ष में गंभीर रूप से घायल होने के चलते इसकी जान चली गई।
पोस्टमार्टम कराने के बाद ही इसकी मौत का सही कारण का पता लगाया जा सकेगा। अन्य सबूतों को जमा करने के लिए डॉग स्क्वॉड को भी लगाया गया है। संघर्ष में शामिल अन्य बाघ की पुष्टि को कैमरा ट्राप भी लगाया गया है।सूचना पर प्रमुख सचिव वन कल्पना अवस्थी, एफडी रमेश पांडे और डीडी महावीर कौजलगी सहित वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गए थे।
बीते 27 मार्च को दुधवा नेशनल पार्क से सटे महेशपुर रेंज के जंगल में एक बाघ ने शिकारियों के फंदे में फंसकर दम तोड़ दिया था। बाघ की उम्र छह वर्ष थी। शिकारियों के फंदे में फंसकर बाघ की मौत होने से पूरी सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा हो गया था।
बीती 6 अप्रैल को दुधवा नेशनल पार्क से सटी पलिया तहसील के गांव सुमेर नगर में तेंदुए का शव मिला था। तेंदुए की मौत का कारण आपसी संघर्ष माना गया। लेकिन वन विभाग का कहना है कि तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है, लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं आई है।दिलचस्प बात यह है कि यह घटना भी रविवार सुबह भी हुई थी।
मार्च में ही पीलीभीत के जंगल से गुजर रही नदी में एक गुलदार का शव मिला था। शव कहां से आया, इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया।
नेशनल पार्क दुधवा में आपसी संघर्ष के दौरान एक युवा गैंडे की मौत भी हो गई थी। भीमसेन नाम के इस गैंडे की उम्र 15 वर्ष थी। एक के बाद एक घटना से पशु प्रेमियों को झटका लगा है। वहीं, अब तक ज्यादातर जानवरों की मौत के कारणों का खुलासा न होना भी एक रहस्य बना हुआ है।