माधव शर्मा
राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर से बुरी खबर है। प्रवासी पक्षियों का यह डेरा अचानक उनकी मृत्यु का डेरा बन गया है। सरकारी दावे के मुताबिक बीते 15 दिनों में यहां 1500 देशी-विदेशी पक्षियों की मौत हुई है। जबकि अन्य स्थानीय स्रोतों के मुताबिक यह संख्या 2 हजार से भी ज्यादा हो सकती है। पक्षियों की मौत क्यों हो रही है? यह सवाल अभी सुलझ नहीं पाया है। ये पक्षी झील में रतन तालाब के किनारे मृत मिले हैं। अभी तालाब के बीच में भी कई पक्षियों के शव होने की आशंका है। जयपुर की स्टेट डिजीज डाइग्नोस्टिक सेंटर की टीम ने सांभर पक्षियों और अन्य चीजों के नमूने लिए हैं। इन नमूनों को मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित आईसीएआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज केंद्र को भेजा गया है।
इसी महीने जोधपुर के फलौदी के पास खिंचन गांव में 37 कुरजां पक्षियों की भी मौत हुई थी। इसकी रिपोर्ट भी अभी तक नहीं आ सकी है। वन विभाग के अधिकारी संजय कौशिक ने सांभर जाकर स्थिति का जायजा लिया है। संजय कौशिक ने डाउन टू अर्थ को बताया कि मौके से पानी, खाना और भी संभव चीजों के सैंपल लिए गए हैं। जांच के बाद ही सही स्थिति का पता चल सकेगा। इस मामले पर राज्य के वन मंत्री सुखराम विश्वनोई ने मीडिया से बात की है। उन्होंने कहा, ‘खिंचन के बाद सांभर में पक्षियों की मौत दुखद है। मैंने जांच के आदेश दे दिए हैं, अब रिपोर्ट आने का इंतजार है।
सांभर में वेटनरी डॉक्टर और पक्षियों के सैंपल लेने वाले डॉक्टर अशोक राव ने डाउन टू अर्थ को बताया कि अभी तक करीब 1500 पक्षियों की मौत हो चुकी है। हालांकि ये संख्या ज्यादा होने वाली है। 10 नवंबर को करीब एक हजार और 11 नवंबर को 500 पक्षी मृत मिले हैं। सांभर झील के रतन तालाब के पास ज्यादातर पक्षी मृत पाए गए हैं। अभी कयास लगाया जा रहा है कि खाने में कुछ जहरीली वस्तु पक्षियों ने खाई हो। वायरस की गुंजाइश कम है क्योंकि अगर ऐसा होता तो अब तक फ्लेमिंगो और अन्य पक्षी भी चपेट में आ चुके होते। हमने सात अलग-अलग प्रजातियों के पक्षियों के सैंपल भोपाल स्थित सेंट्रल लैब में भेजे हैं। डॉक्टर राव ने आगे बताया कि सांभर झील में सर्दियों में साइबेरिया और गुजरात के कच्छ से हजारों की संख्या में पक्षी आते हैं। हालांकि इस बार किसी नई प्रजाति का पक्षी नहीं दिखा है, लेकिन इसका सही पता पक्षियों की गणना होने पर ही चलेगा। जिन सात प्रजातियों के पक्षियों को नमूनों के तोौर पर जांच के लिए भेजा गया है उनमें प्लेवर, टिंट, रफ, शाउलर, राउट, पाइड इवोसेट शामिल हैं।
जयपुर स्थित सीनियर वेटनरी डॉक्टर तपेश माथुर पक्षियों मौतों पर कहते हैं कि पर्यावरणीय परिवर्तनों का असर धीरे-धीरे दिखाई देता है इसीलिए इतनी संख्या में पक्षियों की मौत का कारण क्लामेट चेंज तो नहीं है। हो सकता है किसी वायरस अटैक के कारण पक्षियों की मौत हुई हो या संभव है इनके खाने में कुछ जहरीली वस्तु डाली गई हो। हालांकि रिपोर्ट आने के बाद ही ये सब स्पष्ट हो पाएगा। जयपुर के दूद्दू वन विभाग के एसीएफ संजय कौशिक ने डाउन-टू-अर्थ को बताया कि पूरी टीम मौके पर मौजूद है। हमें रविवार को पक्षियों के मरने की सूचना यहां घूमने आए कुछ एनजीओ के लोगों ने दी। पक्षियों की मौत पहले ही हो चुकी है। अब नई मौतें नहीं हो रही, लेकिन मृत पक्षियों के शवों को को लगातार एकत्र किया जा रहा है।
पक्षियों की मृत्यु पर देरी से कदम उठाने के सवाल पर कौशिक कहते हैं, ‘हमारे पास बहुत ही कम संसाधन हैं, गिनती के लोग हैं, लेकिन कल से ही पूरा विभाग वहां मौजूद है। फिलहाल गढ्ढे खोदकर पक्षियों को दफनाया जा रहा है। पानी, पक्षी और अन्य जरूरी नमूनों को ले लिया गया है। एक फ्लेमिंगो भी अपाहिज मिला है, उसे भी रेस्क्यू सेंटर भेजा गया है। मामले की जांच चल रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि अगले हफ्ते तक रिपोर्ट आ जाएगी।