झारखंड स्थित पलामू टाइगर रिजर्व में रेलवे की तीसरी लाइन का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। रेलवे के बारककाना-सोना नगर सेक्शन में बाड़ (तारबंदी) लगाने का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है।
पलामू में हाथियों के संरक्षण पर काम कर रहे डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि मार्च से अप्रैल और अगस्त से सितंबर के दौरान लातेहार जिला में बारेसर से बेतला नेशनल पार्क के बीच हाथियों के गुजरने के लिए एक बड़ा रास्ता बना हुआ है। इस मुद्दे पर मार्च माह में उन्होंने झारखंड के मुख्य सचिव को एक पत्र भी लिखा है। अभी इस सेक्शन से 15 यात्री गाड़ियां और 23 मालगाड़ी गुजरती हैं।
सोननगर से पतरातू के बीच कोयला लाने-ले जाने के लिए 1924 में रेल की पटरियां बिछाई गई थीं। उस समय यह डबल थी, अब यहां तीसरी लाइन बिछाई जाएगी। यह तीसरी लाइन छतरा जिले में स्थित उत्तरी कर्मपुरा थर्मल पावर स्टेशन तक कोयला पहुंचाने के लिए डाली जा रही है।
तीसरी लाइन बनने से रेल गाड़ियों की संख्या भी बढ़ जाएगी और ऐसे में हाथियों को यहां से पार करने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा। इससे हाथियों के साथ टकराव बढ़ भी सकता है। दो साल पहले उन्होंने यह मामला राज्य सरकार के समक्ष रखा था, तब राज्य के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनी एक समिति ने कहा था कि वे इस मामले को सुलझाने के लिए रेलवे से बात करेंगे।
श्रीवास्तव बताते हैं कि टाइगर रिजर्व के केचकी क्षेत्र में बाड़ लगाने का काम शुरू कर दिया है और लगभग एक किलोमीटर लंबी बाड़ लगा दी गई है। हालांकि स्थानीय दबाव के चलते सेंचुरी एरिया वाले रास्ते पर बाड़ लगाने का काम रोक दिया गया था। तीसरी लाइन से हाथी ही नहीं, बल्कि दूसरे जानवरों पर भी असर पड़ेगा। खासकर बेतली में पर्यटन पर इससे प्रभावित होगा।
प्रोजेक्ट एलिफेंट के निदेशक आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि इंसान और हाथियों के बीच झड़प के चलते औसतन हर साल लगभग 400 व्यक्ति और लगभग 100 हाथी अपनी जान गंवा देते हैं। झारखंड के वन अधिकारी मानते हैं कि बाड़ लगाने का काम चल रहा है। हमने रेलवे को एक नोटिस भेजा था, लेकिन अब तक जवाब नहीं आया है। उन्हें यह बताना चाहिए कि बाड़ क्यों बनाई जा रही है। वहां भी कई तरह के जानवर हैं। वे इनका आना-जाना कैसे रोक सकते हैं।
यह टाइगर रिजर्व पलामू और लातेहर जिले में लगभग 1129.93 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जब पलामू के फील्ड डायरेक्टर वाईके दास से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि रेलवे लाइन उनके इलाके में नहीं आती है, लेकिन अब किसी दूसरे इलाके में आती भी है तो भी वे बिना इजाजत लिए ऐसा कैसे कर सके हैं। कुछ लोगों ने बाड़ लगा दी थी और फिर उन्होंने इसे हटा दिया।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तीसरी लाइन बिछाने की बात की पुष्टि की है। जबकि रेल मंत्रालय के अतिरिक्त सहायक निदेशक (जनसंपर्क) ने अब तक ईमेल पर जवाब नहीं दिया। उनका जवाब आने के बाद इस खबर को अपडेट किया जाएगा।
गौरतलब है कि 2015 से 2018 के दौरान ट्रेन एक्सीडेंट के कारण 49 हाथियों की मौत हो चुकी है। इस टाइगर रिजर्व को मंडल बांध से भी खतरा है, जिसे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति की ओर से मंजूरी दी चुकी है। यदि यह बांध बन जाता है तो लगभग 15 गांवों को दूसरी जगह बसाया जाएगा। अभी गांवों के लोग वहीं रहते हैं और बाढ़ के वक्त कुछ समय के लिए दूसरी जगहों पर चले जाते हैं। लोगों का कहना है कि वे पिछले काफी समय से बांध का विरोध कर रहे हैं।