वन्य जीव एवं जैव विविधता

इंसानी हस्तक्षेप के कारण सिकुड़ रहा है नार्थ अटलांटिक राइट व्हेल्स का आकार

जलवायु परिवर्तन और इंसानी प्रभाव के चलते पिछले 20 वर्षों में इनके आकार में करीब 3 फीट की कमी आई है, जोकि इनके कुल आकार का करीब 7 फीसदी है

Lalit Maurya

आज जिस तरह से समुद्रों पर इंसानी हस्तक्षेप बढ़ रहा है, उसका असर समुद्री जीवों पर भी पड़ रहा है| हैरानी की बात है कि इससे नार्थ अटलांटिक राइट व्हेल जैसे विशालकाय जीव भी नहीं बच पाए हैं| हाल ही में जर्नल करंट बायोलॉजी में छपे एक शोध से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और समुद्रों में बढ़ते इंसानी प्रभाव का असर इन जीवों के आकार पर पड़ रहा है| पहले के मुकाबले इनका आकार काफी घट गया है| पता चला है कि पिछले 30 से 40 वर्षों में इनके आकार में करीब 3 फीट की कमी आई है|

शोध के अनुसार यह समुद्री जीव औसतन 46 फीट तक बढ़ते थे पर अब इनकी औसत लम्बाई घटकर केवल 43 फीट रह गई है| जिसका मतलब है कि इनके आकार में करीब 3 फीट की कमी आई है जोकि इनके कुल आकार का करीब 7 फीसदी है| इस शोध और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) से जुड़े शोधकर्ता जोशुआ स्टीवर्ट के अनुसार आज पैदा हुई व्हेल की कुल लंबाई 1980 में पैदा हुई व्हेल से लगभग एक मीटर कम है, यह उसकी कुल लम्बाई का करीब 7 फीसदी है| लेकिन यह सिर्फ औसत है कई मामलों में यह युवा व्हेल सामान्य लम्बाई से कई मीटर छोटी हैं|

शोध से पता चला है कि पिछले चार दशकों में इन विशालकाय जीवों के मछली पकड़ने के गियर में फंसने के लगातार मामले सामने आए हैं। एक बार इनमें फंस जाने के बाद, व्हेल को इधर-उधर घूमना मुश्किल हो जाता है, जिससे उन्हें विकास के लिए  जरुरी ऊर्जा नहीं मिल पाती है।

शोधकर्ताओं के अनुसार इन मछलियों के विकास पर जो प्रभाव पड़ा है उसका असर इनके प्रजनन पर भी पड़ रहा है जो इनके अस्तित्व के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है| हालांकि यह अध्ययन राइट व्हेल पर किया है पर ऐसा ही असर इन व्हेल प्रजातियों पर भी पड़ने की पूरी आशंका है|

हालांकि तापमान में हो रही वृद्धि के चलते जिस तरह से इन मछलियों के भोजन की उपलब्धता पर असर पड़ रहा है वो भी इन मछलियों के विकास को प्रभावित कर रहा है| वहीं इनके जहाजों से टकराने और उसके इंजन से होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी इनके घटते आकार के लिए जिम्मेवार हो सकता है|

इस शोध के लिए  वैज्ञानिकों ने इन व्हेल की ड्रोन और जहाजों की मदद से 20 वर्षों की अवधि में तस्वीरें ली हैं जिनके विश्लेषण से प्राप्त आंकड़ों की मदद से वो यह निर्धारित करने में सक्षम थे कि 1981 में पैदा हुई व्हेल के शरीर की लंबाई आज पैदा हुई व्हेल की तुलना में कैसी है|

400 से भी कम बचे हैं यह विशालकाय जीव

यदि इन विशाल जीवों की आबादी की बात करें तो नार्थ अटलांटिक राइट व्हेल्स दुनिया की सबसे संकटग्रस्त विशालकाय व्हेल प्रजातियों में से एक है, जिसकी आबादी 400 से भी कम है| यदि आईयूसीएन द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो 2018 के अंत तक इस प्रजाति के केवल 250 वयस्क जीव ही बचे थे| आईयूसीएन रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है| वहीं यदि 2011 के बाद से देखें तो इनकी आबादी में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है|

इनकी आबादी में आ रही इस गिरावट के लिए मुख्य तौर पर मछली पकड़ने के गियर में फंसने और जहाजों से टकराने को जिम्मेवार माना है| वहीं पिछले वर्षों में इनकी घटती प्रजनन दर भी आबादी के कम होने का एक कारण है| 2012 से 2016 के बीच इंसानों के कारण 30 व्हेलों की मौत हुई थी जिनमें से 26 इन फिशिंग गियर में उलझने से मरी थी|

वहीं यदि जलवायु परिवर्तन की बात करें तो यह खतरे को और बढ़ा रहा है| समुद्री तापमान के बढ़ने के कारण विशेषतौर पर गर्मियों के दौरान इनका शिकार आगे उत्तर की ओर सेंट लॉरेंस की खाड़ी में इन्हें जाने के लिए मजबूर कर रहा है जहां इनके जहाजों से टकराने की सम्भावना बढ़ जाती है साथ ही इनके फिशिंग गियर में भी उलझने का जोखिम बढ़ जाता है|

ऐसे में इस शोध से जुड़ी शोधकर्ता एमी नोल्टन ने बताया कि इन मछलियों पर वाणिज्यिक स्तर पर मछली पकड़ने वाले जहाजों और फिशिंग गियर का जो प्रभाव पड़ रहा है उसके लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरुरत है| इसके लिए जहाज की गति कम करना, कमजोर रस्सियों का उपयोग और बिना रस्सी वाले मछली पकड़ने के गियर जैसे उपायों का उपयोग किया जा सकता है| यदि इस प्रजाति को बचाने पर आज ध्यान न दिया गया तो यह जल्द ही विलुप्त हो सकती हैं|