वन्य जीव एवं जैव विविधता

वनों की बहाली में नजरअंदाज नहीं की जा सकती छोटे-बड़े पक्षियों और जानवरों की भूमिका

Lalit Maurya

जैव विविधता को बचाने के लिए वैश्विक सम्मेलन कॉप 15 (सीबीडी) का आगाज आज 7 दिसंबर 2022 से कनाडा के मॉन्ट्रियल में हो रहा है। देखा जाए तो दुनिया की दो सबसे बड़ी समस्याओं, जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता को होते नुकसान के समाधान के रूप में जंगलों की बहाली को काफी अहम माना जाता है।

एक तरफ जहां यह जंगल कार्बन डाईऑक्साइड को सोख जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारी मदद करते हैं, वहीं दूसरी तरफ यह जीवों को आवास और सुरक्षा प्रदान करते हैं। ऐसे में इन दोनों ही नजरियों से जंगल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन अक्सर जब इन जंगलों की बहाली की बात आती है तो सबका ध्यान सिर्फ एक और जाता है और वो है ज्यादा से ज्यादा पेड़ों की संख्या। वहीं इन सबके बीच जंगलों की बहाली में प्रमुख रूप से योगदान देने वाले पक्षी और जानवरों के महत्व को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

ऐसे में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर, येल स्कूल ऑफ द एनवायरनमेंट, न्यूयॉर्क बॉटनिकल गार्डन और स्मिथसोनियन ट्रॉपिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 20 से 100 वर्षों के परित्याग के बाद मध्य पनामा में पुनर्जीवित जंगलों की एक श्रृंखला की जांच की है।

इन जंगलों के अध्ययन से प्राप्त दीर्घकालिक डेटा सेट से पता चला है कि इन जंगलों के पुनर्विकास में उन पक्षियों और जानवरों की बड़ी भूमिका है, जो पेड़ों की विभिन्न प्रजातियों के बीज अक्सर जंगल में फैला देते हैं।

पता चला है कि जानवरों द्वारा बीजों का यह फैलाव ऊष्णकटिबंधीय जंगलों की बहाली के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पौधों की विविधता को बनाए रखता है। उम्मीदों के उलट, उजड़े हुए जंगलों में केवल 20 वर्षों के उत्थान के बाद स्तनधारियों द्वारा फैलाई गई पेड़ों की प्रजातियां पूरी तरह हावी हो गई थी। इतना ही नहीं किसी भी तरह से बिखराए पेड़ों की समृद्धि और प्रचुरता अपने 40 से 70 साल पहले के विकास स्तर पर लौट आई थी। 

जंगलों की बहाली में हमारे सबसे बड़े सहयोगी हैं यह जीव

इस बारे में अध्ययन और मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर से जुड़ी शोधकर्ता डेजी डेंट का कहना है कि जंगलों की बहाली में यह जीव हमारे सबसे बड़े सहयोगी हैं। ऐसे में यह अध्ययन वनों की बहाली के जो प्रयास केवल पेड़ और उनकी प्रजातियों तक ही सीमित हैं, उन पर पुनर्विचार की बात करता है।

साथ ही यह रिपोर्ट पुराने बचे वन क्षेत्र के पास नए जंगलों को लगाने के साथ, जीवों के शिकार को भी रोकने की वकालत करती है, जिससे पक्षी और जानवरों को उस क्षेत्र में दोबारा बसने में मदद मिल सके। रिसर्च के मुताबिक जानवरों द्वारा फैलाए बीज, वनों के विस्तार में भी अहम भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए उष्ण कटिबंधों में पेड़ों की 65 फीसदी से ज्यादा प्रजातियों को पक्षी और जानवरों द्वारा फैलाया जाता है, जो पूरे क्षेत्र में बीजों को ले जाने का काम करते हैं।

इसके बावजूद वन बहाली के प्रयासों में केवल पेड़ों के आवरण को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ यह जीव और पौधे आपस में कैसे एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाते हैं, उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। हालांकि एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह चीजें बहुत मायने रखती हैं।

रिसर्च से पता चला है कि युवा पुनर्जीवित वन ज्यादातर छोटे पक्षियों द्वारा बिखेरे बीजों से तैयार हुए थे। हालांकि जैसे जैसे-जैसे जंगल पुराना होता गया उसमें बड़े पक्षियों की भूमिका बढ़ती गई। वहीं हैरानी की बात है कि 20 वर्ष या उससे ज्यादा पुराने सभी जंगलों में अधिकांश पौधों को स्थलीय स्तनधारियों जीवों द्वारा बिखराया गया था।

इस अध्ययन के नतीजे रॉयल सोसाइटी बी के जर्नल फिलोसॉफिकल ट्रांसक्शंस में प्रकाशित हुए हैं।