वन्य जीव एवं जैव विविधता

भारत में 2018 से तेंदुओं की आबादी में हुआ आठ फीसदी का इजाफा, बढ़कर 13,874 पर पहुंचा आंकड़ा

आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में तेंदुओं की सबसे ज्यादा आबादी मध्यप्रदेश में है जहां इनकी कुल संख्या 3,907 दर्ज की गई है।

Lalit Maurya

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारत में तेंदुओं की स्थिति पर जारी अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि देश में तेंदुओं की आबादी करीब 13,874 है। गौरतलब है कि तेंदुओं की यह आबादी 2018 में 12,852 दर्ज की गई थी। मतलब की इस दौरान तेंदुओं की आबादी में 7.95 फीसदी का इजाफा हुआ है।

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में तेंदुओं की आबादी स्थिर बनी हुई है। वहीं देश में इनकी आबादी में होती सालाना वृद्धि की बात करें तो वो 1.08 फीसदी दर्ज की गई है।   

रिपोर्ट के मुताबिक देश में तेंदुओं की सबसे ज्यादा आबादी मध्यप्रदेश में है जहां इनकी कुल संख्या 3,907 दर्ज की गई है। इसके बाद महाराष्ट्र में 1985, कर्नाटक में 1,879, और तमिलनाडु में 1,070 तेंदुएं हैं।

इसी तरह जहां छत्तीसगढ में इनकी आबादी 722 दर्ज की गई, वहीं राजस्थान   में 721, उत्तराखंड में 652, केरल में 570, आंध्र प्रदेश में 569, ओडिशा में 568, उत्तरप्रदेश में 371, तेलंगाना में 297, पश्चिम बंगाल में 233, बिहार में 86, गोवा  में 77, असम में 74, झारखंड में 51 और अरूणाचल प्रदेश में 42 तेंदुओं का पता चला है।

वहीं टाइगर रिजर्व या सबसे अधिक तेंदुए की आबादी वाले स्थानों की बात करें तो आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम में नागार्जुन सागर और इसके बाद मध्यप्रदेश में पन्ना और सतपुड़ा में सबसे ज्यादा तेंदुएं देखे गए हैं।

शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी इलाकों में घटी है तेंदुओं की संख्या

आंकड़ों के मुताबिक मध्य भारत में तेंदुओं की आबादी स्थिर बनी हुई है। जहां करीब 8820 तेंदुओं का पता चला है। वहीं दूसरी तरफ शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी इलाकों में इनकी संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। जहां 2018 में इनकी आबादी 1,253 दर्ज की गई थी जो 2022 में घटकर 1,109 रह गई है।

रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों में तेंदुओं की आबादी में प्रतिवर्ष 3.4 फीसदी की दर्ज से गिरावट देखी गई है। वहीं सबसे बड़ी वृद्धि दर मध्य भारत और पूर्वी घाट में दर्ज की गई जो 1.5 फीसदी रही।

इस बारे में जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक यह अनुमान तेंदुए के 70 फीसदी आवास को कवर करते हैं। हालांकि हिमालय और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जहां बाघ नहीं रहते हैं, उनको इस सर्वेक्षण में शामिल नहीं किया गया है।

भारत ने पांचवें चक्र में तेंदुओं की आबादी का यह आंकलन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्य जीव संस्थान के साथ-साथ राज्य वन विभागों के सहयोग से किया है। भारत में तेंदुए की आबादी के आकलन का पांचवां चक्र 18 राज्यों के भीतर इनके आवासों पर केंद्रित है।

बता दें कि इस चक्र के दौरान शिकार के अवशेषों और शिकार की बहुतायत का अनुमान लगाने के लिए 641,449 किलोमीटर क्षेत्र का पैदल सर्वेक्षण किया गया था। वहीं 32,803 स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाए गए थे। इनसे कुल 4,70,81,881 तस्वीरें ली गई, इनमें से तेंदुओं की 85,488 तस्वीरें थी।

गौरतलब है कि तेंदुओं को लेकर सामने आए यह निष्कर्ष इनके संरक्षण में संरक्षित क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं। यह बाघ अभयारण्य इन जीवों के महत्वपूर्ण गढ़ों के रूप में काम करते हैं। यह दर्शाता है कि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर भी संरक्षण अंतराल को संबोधित करना उतना ही महत्वपूर्ण है।

तेंदुए एक रहस्यमय जीव है, आवास क्षेत्रों को होता नुकसान, अवैध शिकार और इंसानों से बढ़ता संघर्ष इनके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहा है। गौरतलब है कि इंसानों और तेंदुओं के बीच बढ़ते संघर्ष की घटनाएं न केवल इंसानी समुदायों बल्कि तेंदुओं के लिए भी चुनौतियां पैदा करती हैं।

चूंकि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर तेंदुओं का जीवित रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, ऐसे में इनके आवास क्षेत्रों के संरक्षण को बढ़ावा देना और इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को कम करने के सरकार, स्थानीय समुदायों और इनके संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठनों के बीच सहयोग आवश्यक है।