दुनिया भर में लगभग 3,50,000 पौधों की प्रजातियां हैं। सभी फूलों वाले पौधों में से आधे में बीज तैयार करने के लिए ज्यादातर परागणकों पर निर्भर करते हैं। अध्ययन के मुताबिक 82 फीसदी पौधों की प्रजातियां कीड़ों द्वारा परागित होती हैं, 6 फीसदी कशेरुकी द्वारा परागित होती हैं, जबकि हवा द्वारा केवल 12 फीसदी पौधों की प्रजातियां परागित होती हैं। इसलिए परागणकों में गिरावट के चलते जैव विविधता के नुकसान सहित प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र में बड़ी गड़बड़ी पैदा हो सकती है।
स्टेलनबोश विश्वविद्यालय (एसयू) में गणितीय विज्ञान विभाग में पोस्ट डॉक्टरल फेलो और प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. जेम्स रॉजर कहते हैं कि प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र में पौधों के लिए परागणकों के महत्व का वैश्विक अनुमान प्रदान करने वाला यह पहला अध्ययन है। इस अध्ययन में पांच महाद्वीपों के 23 संस्थानों के 21 वैज्ञानिक शामिल थे। इन सबकी अगुवाई स्टेलनबोश विश्वविद्यालय (एसयू) के डॉ. जेम्स रॉजर और प्रोफेसर एलन एलिस ने की है।
हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल रिसर्च के प्रोफेसर टिफनी नाइट कहते हैं कि परागण के हालिया वैश्विक आकलन ने हमारी समझ और जानकारी में कमी के अंतर को दूर किया है कि पौधे जीव परागणकों पर निर्भर कैसे हैं? हमारा सिंथेटिक शोध इस अंतर को दूर करता है और हमें वैश्विक स्तर पर पौधों के लिए परागणक जैव विविधता के महत्व को सामने लाता है।
जबकि अधिकांश पौधे पशुओं या जीवों द्वारा परागित होते हैं और कुछ पौधों में कुछ स्वतः प्रजनन की क्षमता भी होती है। इसका मतलब है कि वे परागणकों के बिना भी बीज बना सकते हैं। हालांकि, इस अध्ययन में जंगली पौधों के लिए परागणक कितने महत्वपूर्ण हैं? वैश्विक स्तर पर इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं था। पौधों में बीज उत्पादन के लिए परागणकों के महत्व का यह पहला वैश्विक अनुमान है।
शोधकर्ताओं ने बीज उत्पादन में परागणकों के योगदान का उपयोग किया। परागणकों की अनुपस्थिति में बीज उत्पादन करना सभी पौधों के लिए संभव नहीं है, परागणक पौधों के लिए महत्वपूर्ण है। इस सब पर आंकड़े मौजूद थे लेकिन विभिन्न पौधों की प्रजातियों पर परागण प्रयोगों को ध्यान में रखते हुए इन्हें सैकड़ों जगहों तक फैलाया गया था।
इस समस्या को हल करने के लिए, विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने डेटाबेस में जानकारी को जुटाना शुरू किया। एसयू के वनस्पति विज्ञान और जूलॉजी विभाग में पोस्टडॉक्टरल फेलो के रूप में डॉ रॉजर ने स्टेलनबोश ब्रीडिंग सिस्टम डेटाबेस विकसित किया। जबकि प्रो टिफ़नी नाइट, प्रो टिया-लिन एशमैन और डॉ जेनेट स्टीट्स ने गलोपल (GloPL) डेटाबेस का निर्माण किया।
प्रो मार्क वैन क्लेनेन और डॉ. मियाली रज़ानाजातोवो ने कोंस्टान्ज़ ब्रीडिंग सिस्टम डेटाबेस का निर्माण किया। वर्तमान अध्ययन के लिए सभी तीन डेटाबेस को एक नए डेटाबेस में जोड़ा गया। इसमें 1,528 अलग-अलग प्रयोगों के आंकड़े शामिल हैं, जो 1,392 पौधों की आबादी और 143 पौधों के परिवारों की 1,174 प्रजातियों और अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में पाए जाते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि, परागणकों के बिना, फूलों की पौधों की एक तिहाई प्रजातियों में कोई बीज नहीं होगा और आधे को बीज बनाने में 80 फीसदी या उससे अधिक की कमी का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, भले ही ऑटो-फर्टिलिटी सामान्य है, यह किसी भी तरह से अधिकांश पौधों की प्रजातियों में परागण सेवा में कमी के लिए पूरी तरह से नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता है।
डॉ रॉजर कहते हैं कि हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि कई परागणक प्रजातियां संख्या में कम हो गई हैं, कुछ विलुप्त भी हो गई हैं। हमारी खोज से पता चलता है कि बड़ी संख्या में जंगली पौधों की प्रजातियां परागणकों पर निर्भर करती हैं, जिससे पता चलता है कि परागणकों में गिरावट प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र में बड़ी बाधा उत्पन्न कर सकती है।
कोन्स्टेन्ज़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्क वैन क्लेनेन और सह-अध्ययनकर्ता कहते हैं कि यह सभी परागणकों के गायब होने का मामला नहीं है। यदि आसपास जाने के लिए कम परागणकर्ता हैं, या यहां तक कि केवल एक बदलाव जिसमें परागणक प्रजातियां सबसे अधिक हैं, वहां पौधों पर असर पड़ने के आसार हैं। प्रभावित हुई पौधों की प्रजातियों में गिरावट, उन पौधों के आधार पर जीवों की प्रजातियों और मानव आबादी को और अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। परागणकर्ता न केवल फसल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जैव विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
कैनबरा विश्वविद्यालय के सह अध्ययनकर्ता डॉ जोआन बेनेट, जिन्होंने ग्लोल डेटाबेस तैयार किया, वे कहते हैं कि यह एक बुरी खबर है जो परागणकर्ताओं पर निर्भर रहने वाले पौधों में गिरावट या वे विलुप्त हो जाते हैं। यदि सवंय उपजाऊ या ऑटो-फर्टिलिटी पौधे हावी हो जाते हैं तो और भी अधिक परागणक बुरी तरह से प्रभावित होंगे, क्योंकि सवंय उपजाऊ या ऑटो-फर्टिलिटी पौधे कम फूलों का रस और पराग का उत्पादन करते हैं।
डॉ. रॉजर के अनुसार, हालांकि, सब कुछ इतना खराब भी नहीं है। कई पौधे लंबे समय तक जीवित रहते हैं, परागणकों की कमी से पौधों के विलुप्त होने से पहले परागणकों को बहाल करने के अवसर सामना आते हैं। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
डॉ रॉजर ने कहा हमारे पास अफ्रीका में परागणकों पर उच्च गुणवत्ता वाले लंबे समय तक निगरानी रखने वाले आंकड़ों की कमी है। पर अब हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारे निष्कर्ष इस तरह के और अधिक अध्ययनों, शोधों को प्रोत्साहित करेंगे, ताकि हम पता लगा सकें परागणकर्ता जैव विविधता पर किस तरह प्रभाव डालते हैं।