वन्य जीव एवं जैव विविधता

खतरे में दुनिया के सबसे बड़े फूल 'रैफलेसिया' का अस्तित्व, बचाने के लिए जल्द कार्रवाई की दरकार

Lalit Maurya

दुनिया के सबसे बड़े और बदबूदार फूल 'रैफलेसिया' का अस्तित्व खतरे में है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस पौधे की 42 प्रजातियां ज्ञात हैं, जो सभी खतरे में हैं। हालांकि इसके बावजूद इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने केवल एक प्रजाति ‘रैफलेसिया मैग्निफिका’ को संकटग्रस्त प्रजातियों की लिस्ट में शामिल किया है।

बता दें कि यह फूल अपने बड़े आकार के लिए दुनिया भर में मशहूर है। आकार में यह फूल तीन फुट तक बढ़ सकता है, जबकि इसका वजन 6.8 किलोग्राम तक होता है। यही वजह है कि यह फूल सदियों से न केवल आम लोगों के लिए बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है।

इंडोनेशियाई वर्षावनों में पाया जाने वाला यह फूल अपने आकार के साथ-साथ अपनी दुर्गन्ध के लिए भी जाना जाता है। चटक लाल का यह फूल देखने में बेहद खूबसूरत होता है लेकिन साथ ही इससे सड़े मांस के जैसी गंध आती है। यह गंध परागण के लिए मांस खाने वाली मक्खियों और कीटों को आकर्षित करने के लिए होती है।

इस गंध की वजह से दूसरे जीव इसके करीब नहीं जाते। सुमात्रा के स्थानीय लोग इसे 'मुर्दा फूल' भी कहते हैं। इंडोनेशिया के अलावा यह फूल मलेशिया, थाईलैंड और फिलीपींस में पाया जाता है। देखा जाए तो अपने आप में अनोखा यह फूल एक तरह का परजीवी पौधा है। इसमें दिखाई देने वाली पत्तियां, जड़ें या तने नहीं होते। इसके बजाय, यह पानी और पोषक तत्वों के लिए अपने मेजबान पौधे पर निर्भर रहता है।

यह फूल साल के कुछ महीनों में ही खिलता है। इसके खिलने की शुरूआत अक्टूबर से होती है, जो मार्च तक यह पूरी तरह से खिलता है। हालांकि यह फूल बेहद छोटी अवधि के लिए ही खिलता है और बहुत जल्द मुरझा जाता है। रैफलेसिया का जीवन चक्र बेहद रहस्यमय है, और वैज्ञानिक अभी भी इसकी नई प्रजातियों की खोज कर रहे हैं। इन विशिष्ट पौधों के सामने आने वाले खतरों को समझने के लिए, वैज्ञानिकों की एक टीम ने दुनिया का पहला सहयोगी नेटवर्क बनाया है।

सुन्दर होने के साथ-साथ यह पौधा औषधीय गुणों की वजह से पारंपरिक चिकित्सा में भी उपयोग किया जाता है। 'रैफलेसिया' पौधों की रासायनिक संरचना ज्यादातर अज्ञात है, हालांकि इसकी कुछ प्रजातियों में टैनिन का उच्च स्तर पाया जाता है।

वैज्ञानिकों की माने तो दक्षिण-पूर्व एशिया के जंगलों का जिस तरह विनाश हो रहा है उसके चलते आज इस फूल का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इस बारे में जर्नल प्लांट्स, पीपल, प्लैनेट में प्रकाशित नए अध्ययन से पता चला है कि रैफलेसिया की कुल 42 प्रजातियां ज्ञात हैं, जो सभी खतरे में हैं।

'रैफलेसिया' की 60 फीसदी प्रजातियों पर मंडरा रहा है गंभीर खतरा

इनमें से 25 प्रजातियों को गंभीर रूप से खतरे में पड़ी प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि 15 प्रजातियां ऐसी हैं जिन्हें संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है। वहीं दो को "असुरक्षित" के रूप में वर्गीकृत किया है। रिसर्च से पता चला है कि इस पौधे की दो-तिहाई से अधिक प्रजातियों का संरक्षण नहीं किया जा रहा है। वहीं इन पौधों के कम से कम 67 फीसदी ज्ञात आवास संरक्षित क्षेत्रों से बाहर हैं, जो इनके लिए खतरों को और बढ़ा रहा है।

बता दें कि यह पहला वैश्विक मूल्यांकन है, जिसमें इस पौधे के अस्तित्व पर मंडराते खतरों को उजागर किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड बॉटैनिकल गार्डन के उप निदेशक और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता डॉक्टर क्रिस थोरोगूड का कहना है कि "यह अध्ययन इस तथ्य को उजागर करता है कि पौधों के लिए दुनिया भर में संरक्षण के प्रयास, चाहे वे कितने भी प्रतिष्ठित क्यों न हों, जानवरों के लिए किए जा रहे संरक्षण के प्रयासों के साथ तालमेल नहीं रख पाए हैं।"

शोधकर्ताओं के अनुसार रैफलेसिया की प्रजातियां आमतौर पर बहुत सीमित क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जिससे वे अपने निवास स्थान के विनाश के प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं। अध्ययन से पता चला कि शेष आबादी में से कई के पास बहुत कम संख्या में पौधे हैं और वे ऐसे क्षेत्रों में स्थित हैं जो कृषि के लिए वनों क्षेत्रों में होने वाले संभावित बदलावों से सुरक्षित नहीं हैं।

चूंकि वनस्पति उद्यान में रैफलेसिया को उगाने के प्रयास बहुत सफल नहीं रहे हैं, इसलिए उनके प्राकृतिक आवासों को तुरंत संरक्षित करना बेहद जरूरी है। ऐसे में शोधकर्ताओं ने भी दुनिया के कुछ सबसे असाधारण फूलों को संरक्षित करने के लिए एक समन्वित, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है।