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डंक रहित मधुमक्खी के शहद में होते हैं विशेष गुण

Dayanidhi

डंक रहित मधुमक्खी के शहद में एक दुर्लभ व स्वास्थ्य के लिए लाभदायक शर्करा की पहचान की गई है। यह शर्करा किसी अन्य खाद्य पदार्थ में नहीं पाई जाती। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के ऑर्गेनिक केमिस्ट में एसोसिएट प्रोफेसर व शोधकर्ता मैरी फ्लेचर के अनुसार, स्थानीय लोगों को लंबे समय से इस बात का पारंपरिक ज्ञान था कि देसी डंक रहित मधुमक्खी के शहद में विशेष स्वास्थ्य गुण होते हैं।

फ्लेचर के अनुसार, हमने दो देसी डंक रहित मधुमक्खी प्रजातियों के शहद का परीक्षण किया। इनमें से दो मलेशियाई और एक ब्राजील की प्रजातियों के शर्करा में 85 प्रतिशत तक ट्रेहुलुलोज पाया गया। आमतौर पर मधुमक्खियों के शहद में माल्टोज यानी तरल शर्करा पाया जाता है। ट्रेहुलुलोज एक शर्करा है जिसमें ग्लूकोज के दो अणु होते हैं। माल्टोज रासायनिक क्रिया से निकली शक्कर के समान होती है।

फ्लेचर ने कहा कि ट्रेहुलुलोज एक दुर्लभ शर्करा है जिसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है और यह किसी अन्य खाद्य पदार्थ में प्रमुख घटक के रूप में नहीं पाया जाता। ग्लाइसेमिक इंडेक्स एक तरह का स्केल है, जिसमें 1-100 तक के नंबर होते है। यह आपके ब्लड शुगर के स्तर पर भोजन के प्रभाव को मापता है।

फ्लेचर ने कहा कि परंपरागत रूप से यह माना जाता है कि डंक रहित मधुमक्खी का शहद मधुमेह के लिए अच्छा है। जीआई होने का मतलब है शर्करा को रक्त प्रवाह में अवशोषित होने में अधिक समय लगना, इसलिए ग्लूकोज में यह बढ़ता नहीं है। यह शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

दिलचस्प रूप से ट्रेहुलुलोज भी एसियोजेनिक है, जिसका अर्थ है कि यह दांतों में सड़न पैदा नहीं करता। फ्लेचर ने कहा कि शोध निष्कर्षों से पता चलता है कि डंक रहित मधुमक्खी के शहद की बाजार में मांग बढ़ेगी और नए अवसर पैदा होंगे।

डंक रहित मधुमक्खी का शहद अब लगभग 14,947 रुपए प्रति किलोग्राम बेचा जाता है, जो मनुका और रॉयल जेली शहद की कीमत के समान है।

अधिक व्यावसायिक मूल्य भी इसके लिए खतरनाक है, क्योंकि लोग अन्य शहद को डंक रहित मधुमक्खी के शहद के रूप में बेच सकते हैं या इसमे मिलावट कर सकते हैं। लेकिन इस शोध की मदद से हम इस नई शक्कर का परीक्षण कर सकते हैं, जो उद्योग को डंक रहित मधुमक्खी के शहद के लिए एक खाद्य मानक निर्धारित करने में मदद करेगा।

फ्लेचर के मुताबिक, लोगों ने एंजाइमों और जीवाणुओं के साथ ट्रेहुलुलोज को कृत्रिम रूप से बनाने के तरीकों का पेटेंट कराया है, लेकिन हमारे शोध से पता चलता है कि मधुमक्खी के शहद का उपयोग अपने स्वास्थ्य के लिए या अन्य खाद्य पदार्थों के रूप में किया जा सकता है।

सबसे ऊष्णकटिबंधीय और ऊपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में डंक रहित मधुमक्खी (मेलिपोनिनी) होती हैं, जिसकी 500 से अधिक प्रजातियां हैं। जाने-माने एपिस मेलिफेरा मधुमक्खी की तरह, डंक रहित मधुमक्खियां एक ही रानी और श्रमिकों से बनी स्थायी कॉलोनियों में रहती हैं, जो कॉलोनी के भीतर लार्वा को खिलाने के लिए पराग एकत्र करती हैं।

फ्लेचर ने कहा कि डंक रहित मधुमक्खियों को ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ दुनियाभर में उनकी भूमिका परागणकर्ताओं के साथ-साथ उनके अनूठे शहद के लिए लोकप्रिय हो रही है।

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ, डंक रहित मधुमक्खी के शहद को उसके स्वाद के लिए भी महत्व दिया जाता है।