पराग सभी मधुमक्खी प्रजातियों के लार्वा के लिए प्रोटीन का एक आवश्यक स्रोत है, जिसमें भौंरे और अन्य देशी मधुमक्खियां शामिल हैं। पराग में पोषक तत्व लार्वा की वृद्धि और विकास को बहुत प्रभावित करते हैं। फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स एम. सी. कैवलकैंटे, एफ. एफ. ओलिवेरा, एम. एम. माउज़, और बी. एम. फ़्रीटास
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जानें कैसे, फूलों को परागणकों के लिए अधिक आकर्षक बनाते हैं मिट्टी के बैक्टीरिया

मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया पौधों में फूलों के परागणकों के लिए आकर्षण को बढ़ाते हैं। बैक्टीरिया या कवक जैसे सूक्ष्मजीव पौधों के साथ पारस्परिक संबंधों में अहम भूमिका निभाते हैं।

Dayanidhi

एक नए अध्ययन के अनुसार, मिट्टी में रहने वाले और जड़ों में नाइट्रोजन को स्थिर करने में मदद करने वाले बैक्टीरिया कुछ पौधों की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। जिसमें फैबेसी परिवार से संबंधित एक फलीदार पौधे चामेक्रिस्टा लैटिस्टिपुला में इस तंत्र का अध्ययन किया गया है, जिसमें बीन्स और मटर शामिल हैं।

मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया पौधों में फूलों के परागणकों के लिए आकर्षण को बढ़ाते हैं। बैक्टीरिया या कवक जैसे सूक्ष्मजीव पौधों के साथ पारस्परिक संबंधों में अहम भूमिका निभाते हैं और उनसे लाभान्वित होते हैं, जिससे दोनों पक्ष अधिक पोषक तत्व हासिल करते हैं।

सी. लैटिस्टिपुला जो ब्राजील के बोलीविया और उत्तर-पूर्व अर्जेंटीना में पाई जाने वाली एक झाड़ी है, जिस मिट्टी में यह उगती है, उसमें पोषक तत्वों की कमी होती है और प्रजनन के लिए यह एक विशिष्ट प्रकार के परागणकर्ता पर निर्भर करती है।

अध्ययनकर्ता ने अध्ययन के हवाले से कहा, नाइट्रोजन को स्थिर करने वाले बैक्टीरिया के साथ इसका पारस्परिक संबंध इसकी जड़ों को पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ाता है, जिसके बदले में उन्हें चीनी मिलती है।

पौधे का परागणकर्ता के साथ एक विशेष तरह का पारस्परिक संबंध भी होता है। इसके फूलों के परागकोषों में जमा पराग केवल तभी निकलता है जब उन्हें हिलाया जाता है, मुख्य रूप से बॉम्बस वंश की भौंरों की कुछ प्रजातियों की मादाओं द्वारा इन्हें हिलाया जाता है।

शोधकर्ताओं के द्वारा प्लांट-एनिमल इंटरेक्शन लेबोरेटरी में किए गए एक ग्रीनहाउस प्रयोग ने दिखाया कि ये बैक्टीरिया भौंरों के लिए फूलों को आकर्षक बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, खासकर पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी में उगने वाले पौधों के लिए। यह अध्ययन अमेरिकन जर्नल ऑफ बॉटनी में प्रकाशित किया गया है।

अध्ययनकर्ता ने अध्ययन में कहा कि उन्होंने एक ऐसा जबरदस्त प्रभाव देखा जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी। क्योंकि पौधे के लिए बैक्टीरिया के साथ जुड़ाव बहुत महंगा होता है, इसलिए मान लिया गया कि नाइट्रोजन युक्त मिट्टी में पौधे सीधे मिट्टी से नाइट्रोजन ले लेंगे, लेकिन प्रयोगों में पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी ने आकर्षक फूलों वाले स्वस्थ पौधे नहीं उगाए।

अध्ययन के मुताबिक, यह प्रयोग पौधों पर कई परस्पर क्रियात्मक प्रभाव: बैक्टीरिया, चींटियां और मधुमक्खियां फलियों की एक विविध वंशावली के विकास में कैसे योगदान करती हैं यह इस परियोजना का हिस्सा था।

मिट्टी के बैक्टीरिया, पौधे और कीट

प्रयोग में शोधकर्ताओं ने 60 सी. लैटिस्टिपुला पौधों की वृद्धि को बीज अंकुरण से लेकर 16 महीनों तक उन पर नजर रखी। आधे पौधे ज्यादातर रेत (90 फीसदी) से बनी मिट्टी में उगाए गए थे, जिसमें ऑर्गेनिक टॉपस्वाइल (10 फीसदी) की एक पतली परत और पोषक तत्वों, विशेष रूप से इनमें नाइट्रोजन की मात्रा कम थी।

अन्य आधे पौधे ऑर्गेनिक पदार्थ से भरपूर मिट्टी में उगाए गए थे और पोटेशियम नाइट्रेट जैसे थे, जो मिट्टी में नाइट्रोजन छोड़ते हैं। दोनों मामलों में मिट्टी की अम्लता की निगरानी छह महीने तक की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीएच सामान्य रहे और जड़ संबंधी बैक्टीरिया परस्पर होने वाले प्रभाव में अड़चन न डाल सके।

प्रयोग में बीज बोने से पहले, उन्हें बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए अल्कोहल, सोडियम हाइपोक्लोराइट और हाइड्रोजन पेरोक्साइड से कीटाणुरहित बनाया गया था जो परिणामों को प्रभावित कर सकते थे। सूक्ष्मजीवों को खत्म करने के लिए मिट्टी को आटोक्लेव में उच्च तापमान पर कीटाणुरहित किया गया था।

फिर दोनों प्रकार की मिट्टी को अलग-अलग उपचारों के लिए भेजा गया। राइजोबिया (बैक्टीरिया जो पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन को स्थिर करते हैं) युक्त घोल को नाइट्रोजन की कमी वाली रेतीली मिट्टी वाले आधे गमलों में और नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थों वाले आधे गमलों में डाला गया। बाकी में कोई बैक्टीरिया नहीं था। प्रयोग में इस्तेमाल किए गए राइजोबिया को जंगली में सी. लैटिसिपुला पर पाए जाने वाले रूट नोड्यूल से सीधे अलग किया गया था।

नाइट्रोजन की कमी वाली रेतीली मिट्टी में बिना बैक्टीरिया के, पौधे बहुत कम बढ़े और नाइट्रोजन की कमी के कारण लगातार पत्ते पीले होते गए। राइजोबिया के साथ नाइट्रोजन की कमी वाली रेतीली मिट्टी में उगाए गए पौधे सही तरीके से विकसित हुए।

शोधकर्ता ने शोध में कहा, नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया वाली नाइट्रोजन-रहित रेतीली मिट्टी में, पौधे नाइट्रोजन वाली मिट्टी में उगाए गए पौधों की तुलना में लगभग दोगुने लंबे और तीन गुना बड़े थे, जिसमें कार्बनिक पदार्थ और राइजोबिया थे। दूसरी ओर रेतीली मिट्टी और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में राइजोबिया के बिना उगाए गए पौधे राइजोबिया के साथ उगाए गए पौधों की तुलना में बहुत छोटे थे।

शोधकर्ताओं ने एक सतह स्पेक्ट्रोफोटोमीटर का उपयोग करके फूलों का विश्लेषण किया, जो इस चीज को मापता है कि प्रकाश कैसे परावर्तित होता है। इस तरह से मापी गई फूलों की परावर्तन क्षमता के आधार पर, शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया के साथ और बिना अलग-अलग मिट्टी में भौंरों के लिए रंग को लेकर विरोधाभासों में बदलाव का परीक्षण किया।

केवल नाइट्रोजन की कमी वाली रेतीली मिट्टी में राइजोबिया के साथ उगाए गए पौधों में बहुत बड़ा अंतर पाया गया: उनके परागकोषों ने एक पैटर्न को दिखाया जो भौंरों के लिए विशेष रूप से आकर्षक माना जाता है, जो लोगों से अलग रंग स्पेक्ट्रम को समझते हैं।

परागकोशों में पराग होता है और केवल उन कीटों द्वारा ही पहुंचा जा सकता है जो उन्हें हिलने में सक्षम हैं, जो कि यूरोपीय मधुमक्खी एपिस मेलिफेरा जैसी विदेशी प्रजातियों द्वारा नहीं की जा सकती है।

पराग सभी मधुमक्खी प्रजातियों के लार्वा के लिए प्रोटीन का एक आवश्यक स्रोत है, जिसमें भौंरे और अन्य देशी मधुमक्खियां शामिल हैं। पराग में पोषक तत्व लार्वा की वृद्धि और विकास को बहुत प्रभावित करते हैं।

माप लेने के बाद, शोधकर्ताओं ने पौधों को गमलों से निकालकर उनकी जड़ों का विश्लेषण किया। जड़ों की गांठों की संख्या राइजोबिया के साथ परस्पर संकेत के रूप में काम करती है।

गांठें घुंडी जैसी संरचनाएं होती हैं जो नाइट्रोजन को स्थिर करने वाले बैक्टीरिया द्वारा सहजीवी संक्रमण के परिणामस्वरूप फलीदार पौधों की जड़ों पर बनती हैं। बैक्टीरिया के साथ पारस्परिक संबंध पौधों को उनके लिए आवश्यक अमीनो एसिड बनाने में सक्षम बनाता है।

अमीनो एसिड और उनके संबंधित पौधों में कई कार्य करते हैं, प्रोटीन संश्लेषण, विकास, पोषण और तनाव प्रतिक्रियाओं में योगदान देते हैं। बदले में पौधे ऊर्जा और विकास के लिए आवश्यक चीनी बैक्टीरिया की आपूर्ति करते हैं, जिससे उन्हें गांठों में बढ़ने में मदद मिलती है।

प्रयोग में नाइट्रोजन की कमी वाली रेतीली मिट्टी में उगाए गए और राइजोबिया की मदद से लगाए गए पौधों में सबसे अधिक गांठें पाई गईं।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा कि अब वे यह जानना चाहते हैं कि क्या यह पराग, जो केवल मादा देशी मधुमक्खियों के लिए सुलभ है, पौधों और बैक्टीरिया के बीच साझेदारी के कारण प्रोटीन और अमीनो एसिड से भरपूर है। फूलों का बढ़ा हुआ आकर्षण जड़ों की अत्यधिक नाइट्रोजन निर्धारण दर से प्रभावित उच्च गुणवत्ता वाले संसाधनों की बड़ी मात्रा से जुड़ा हो सकता है।