वन्य जीव एवं जैव विविधता

एसओई इन फिगर्स 2023: पर्यावरण संरक्षण में अव्वल रहा तेलंगाना, दूसरे नंबर पर गुजरात

तेलंगाना ने वन आवरण में अच्छी प्रगति की है और नगरीय अपशिष्ट उपचार के मामले में शीर्ष राज्यों में बना हुआ है

Bhagirath

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की वार्षिक रिपोर्ट “स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट इन फिगर्स 2023” ने पर्यावरण के क्षेत्र के तेलंगाना का प्रदर्शन सबसे बेहतर माना है। राज्य ने 10 अंकों में से 7.213 अंक हासिल कर 70 प्रतिशत से अधिक स्कोर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य ने वन आवरण में अच्छी प्रगति की है। साथ ही म्यूनिसिपल वेस्ट ट्रीटमेंट के मामले में शीर्ष राज्यों में शामिल है।

तेलंगाना के बाद दूसरे स्थान पर गुजरात, तीसरे स्थान पर गोवा, चौथे स्थान पर महाराष्ट्र और पांचवे स्थान पर हरियाणा है। सबसे कम स्कोर करने वाला राज्य राजस्थान है जिसे महज 2.757 अंक ही मिले हैं। राजस्थान 30 प्रतिशत से कम स्कोर करने वाला एकमात्र राज्य है। नागालैंड, बिहार और पश्चिम बंगाल निचले पायदान पर रहने वाले राज्यों में शामिल हैं।

रिपोर्ट में देश के सभी 29 राज्यों को पर्यावरण की कसौटी पर परखने के लिए 7 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया है। इन संकेतकों में वन आवरण में परिवर्तन, म्यूनिसिपल सोलिड वेस्ट ट्रीटमेंट का उपचार, उपचारित सीवेज, अक्षय ऊर्जा ग्रिड में बदलाव, प्रदूषित नदी के स्ट्रेच में सुधार/बदलाव, भूजल निकासी का चरण और उपयोग में नहीं जल निकायों को शामिल किया गया है।

रिपोर्ट में सर्वाधिक भारांक (3) वन आवरण में बदलाव को दिया गया। म्यूनिसिपल सोलिड वेस्ट ट्रीटमेंट के उपचार और उपचारित सीवेज को 1.5-1.5 का भारांक दिया गया। इनके अलावा शेष सभी संकेतकों के भारांक एक थे। डायमेंशनल इंडेक्स पद्धति से इन भारांक पर संकेतकों को परखने के बाद विभिन्न राज्यों को रैंकिंग दी गई है। सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश 4.795 अंकों के साथ 16वें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार 27 राज्यों का स्केार 30-70 प्रतिशत के बीच रहा। इनमें उत्तर प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। उत्तर पूर्व भारत के छह राज्य निचले पायदान पर रहे राज्यों में शामिल हैं। इनमें नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, असम और मिजोरम शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, पेड़ों की कटाई पर्यावरण क्षरण की एक प्रमुख वजह है। इस कसौटी पर राज्यों को परखने के लिए 2019 व 2021 की फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इसमें पाया गया कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा ने अपने वन आवरण में सबसे अधिक वृद्धि की है जबकि नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम ने सबसे अधिक वन आवरण गंवाया है। म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के ट्रीटमेंट के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गोवा चोटी पर हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल सबसे निचले पायदान पर हैं।

सीवेज उपचार के मामले में पंजाब, दिल्ली और हरियाणा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम खबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हैं। भूजल दोहन के मामले में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मेघालय का प्रदर्शन सबसे अच्छा है जबकि पंजाब, राजस्थान और हरियाणा की हालत सबसे खराब है।

प्रदूषित नदी स्ट्रेच पर सबसे अच्छा काम अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और त्रिपुरा का रहा, जबकि राजस्थान, बिहार और तमिलनाडु ने इस संकेतक पर सबसे खराब प्रदर्शन किया। इसी तरह अक्षय ऊर्जा की दिशा में गोवा, हरियाणा और झारखंड का काम सबसे अच्छा रहा। इस मामले में उत्तर पूर्व के राज्यों का प्रदर्शन सबसे खराब रहा।