इलेस्ट्रेशन: सोरित गुप्तो 
वन्य जीव एवं जैव विविधता

बैठे ठाले: अल्युमिनस मीट, मॉल में जीवंत हुई वस्तुओं की अनोखी सभा

फर्श से आवाज आई, “दोस्तों ध्यान से देखो, मैं पहाड़ हूं, मेरा मतलब है मैं पहाड़ था। मुझे परत-दर-परत छीलकर मॉल के फर्श, दीवारों, टॉयलेट पर बिछा दिया गया है”

Sorit Gupto

फिल्म का आखिरी शो खत्म हो गया। लोग जाने लगे तो मॉल की बत्तियां धीरे-धीरे बुझने लगीं। फूड कोर्ट में भी कोई कस्टमर नहीं था। अभी कुछ घंटे पहले तक जगमगाते माल में अंधेरा पसरने लगा जहां केवल कुछ ऊंघते चौकीदार ही बचे थे। अचानक खटर-पटर की आवाज से एक चौकीदार की नींद खुली। यह आवाज ऊपर की मंजिल से आ रही थी।

“कौन है वहां” चीखते हुए वह अपनी टॉर्च और लाठी को लेकर खामोश एस्केलेटर की सीढ़ियों से ऊपर भागा। पर वहां तो कोई नहीं था।

“कान बज रहे होंगे” मन ही मन बुदबुदाता हुआ वह अपनी कुर्सी के पास लौट आया।

उसके कान नहीं बज रहे दे।

माल की लॉबी में वाकई चहल पहल शुरू हो गई थी। एक बड़ा सा बैनर लगा था, “अल्युमिनस मीट।” अचानक एक नामी फैशन के शोरूम से एक बेहद खूबसूरत फर का लेडीज ओवरकोट हवा में तैरता हुआ आया और लॉबी की एक ओर टिक गया। उसके पीछे-पीछे कुछ कुर्सियां सरकती हुई आ गईं और अलग-अलग शोरूम से देखते ही देखते लॉबी में बैग, आभूषण और जाने क्या-क्या चीजें इकट्ठी हो गईं।

ओवरकोट ने माइक सम्भाला, “आप सभी का इस सालाना अल्युमिनस मीट में इस्तकबाल करती हूं। हां, आज बहुत दिनों बाद एक-दूसरे से मिल रहे हैं। हम लोगों में शायद ही कोई आज अपनी पुरानी शक्ल-ओ-सूरत में होगा। मैं चाहूंगी कि आज के कार्यक्रम को शुरू करने से पहले हम सभी अपना परिचय दें। शुरुआत मैं कर रही हूं। क्या आप लोगों ने मुझे पहचाना? मैं हूं एक लाल लोमड़ी, मेरा मतलब है मैं एक लाल लोमड़ी थी। आजकल मैं एक बहुत बड़े फैशन ब्रांड के साथ जुड़ी हुई हूं।”

इतना कहते हुए वह स्टेज से उतर गई। अब बारी थी एक लेदर शू और कोट की। माइक लेकर उसने कहा, “आप सभी को मेरा नमस्कार। आप शायद मुझे नहीं पहचान रहे होंगे। मैं मगरमच्छ हूं, सॉरी, मैं एक मगरमच्छ था। आजकल बैग, जूते, बेल्ट, जैकेट के रूप में मैं एक बहुत नामी लेदर प्रोडक्ट ब्रांड के साथ जुड़ा हूं। ठीक आपके सामने ही मेरा शोरूम है।”

इसके बाद एकाएक तांता सा लग गया। एक चमड़े के कोट ने अपना परिचय एक हिरन के रूप में दिया तो एक डेकोरेशन पीस से आवाज आई कि कभी वह हाथी था जिसको मारकर उसके दांतों से इस सजावटी सामान को बनाया गया था। एक आभूषण ने कहा कि वह कभी समुद्री कछुआ हुआ करता था जिसे मारकर उसके खोल से सजावटी सामान बनाया गया था। एक पंजे से बने आभूषण ने कहा कि कभी वह बाघ था। एक बैग बोला, वह तो सांप था।

इतने में आवाज आई, “आप हमें कैसे भूल सकते हैं!”

सभी उस ओर देखने लगे जिधर से आवाज आई थी। इधर कुर्सी, मेज और पलंग रखे हुए थे। एक कुर्सी बोली, “लगता है आप हमें नहीं पहचान रहे हो। हम साल-सागौन-देवदार के पेड़ हैं, मेरा मतलब है हम कभी लहलहाते पेड़ थे। हमारी दरख्तों में चिड़ियों के घोंसले होते थे।”

इसके बाद एकदम गजब हुआ। फर्श से आवाज आई, “दोस्तों ध्यान से देखो, मैं पहाड़ हूं, मेरा मतलब है मैं पहाड़ था। मुझे परत-दर-परत छीलकर माल के फर्श, दीवारों, टॉयलेट पर बिछा दिया गया है।”

शार्क मछली के फिन से बने एक सूप से आवाज आई, “हम सब कभी जंगलों, समुद्र और नदियों में होते थे पर इंसानी लालच के चलते आज हम यहां पर हैं। हम लोगों में बहुत से लोगों को अपनी बात रखनी है पर हमें यह सभा कल तक के लिए स्थगित करनी पड़ेगी।”

सुबह की किरणें मॉल में धीरे-धीरे फैल रही थीं। इससे पहले कि सुबह की शिफ्ट के चौकीदार, सफाई कर्मचारी वगैरह आते, सभी प्रोडक्ट अपने-अपने शोरूम में वापस चले गए।