डाउन-टू-अर्थ की टीम ने 12 नवंबर को झील के झपोक डैम और सांभर कस्बे से महज एक किमी दूर दादूदयाल महाराज की छतरी के पास भी हजारों की संख्या में मृत पक्षी देखे हैं।झपोक डैम के पास किनारे से करीब एक किमी अंदर तक मृत पक्षी दिखाई दे रहे हैं। दादूदयाल महाराज की छतरी के पास भी कई पक्षी मरे हुए पड़े हैं। यह एरिया नमक उत्पादन क्षेत्र में आता है, लेकिन यहां मानसून का पानी जमा होता है इसीलिए प्रवासियों पक्षियों का एक ठिकाना यहां भी है।
हैरानी की बात यह है कि झपोक डैम के पास जहां पक्षी मरे हुए पड़े हैं, वहां पर्यटन विभाग ने कई बर्ड वॉच सेंटर बनाए हुए हैं। इन सेंटर्स से विभाग यहां आने वाले पर्यटकों को प्रवासी पक्षियों के दर्शन करवाता है। फिर भी किसी को पक्षियों के मरने की सूचना नहीं पहुंची।
जांच रिपोर्ट में देरी, प्रशासन ने दफनाने को ही जिम्मेदारी समझा
प्रशासन ने 10 नवंबर को ही 7 प्रजातियों के पक्षी, पानी और अन्य जरूरी सैंपल भोपाल स्थित आईसीएआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज केंद्र भेजे हैं। अधिकारियों के मुताबिक रिपोर्ट आने में करीब एक हफ्ता लग सकता है। रिपोर्ट नहीं आने तक पक्षियों को मौत से बचाने और उसके कारणों का पता नहीं चल पा रहा है। वन विभाग, पशु पालन विभाग सांभर साल्ट लिमिटेड और नगर पालिका के करीब 25 लोग मृत पक्षियों को दफनाने में लगे हैं। अधिकारी कह रहे हैं कि 20 नवंबर को बरेली से आने वाली रिपोर्ट से ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा। तब तक मृत पक्षियों को झील क्षेत्र से हटाने का काम तेजी से किया जा रहा है।