मधुमक्खी की 20 हजार से अधिक प्रजातियां हैं, लेकिन ये दुनिया भर में कैसे फैली इसके बारे में सटीक आंकड़े मिलना मुश्किल हैं। हालांकि अब शोधकर्ताओं ने लगभग 60 लाख सार्वजनिक रिकॉर्ड के आधार पर पहचानी गई मधुमक्खी की प्रजातियों की पूर्ण वैश्विक चेकलिस्ट को मिलाकर मधुमक्खी विविधता का एक नक्शा बनाया है। आज दुनिया भर में अलग-अलत प्रजातियां दिखाई देती हैं। टीम ने बताया कि उत्तरी गोलार्ध में दक्षिणी, उष्णकटिबंधीय और शुष्क वातावरण की तुलना में मधुमक्खियों की अधिक प्रजातियां हैं।
सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के सहायक प्रोफेसर जॉन असचर कहते हैं कि पक्षियों और स्तनधारियों की तुलना में मधुमक्खियों की अधिक प्रजातियां हैं। अमेरिका में अभी तक मधुमक्खियों की सबसे अधिक प्रजातियां पाई गई हैं, लेकिन अफ्रीकी महाद्वीप और मध्य पूर्व के विशाल क्षेत्र भी हैं जिनमें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की तुलना में अनदेखे विविधता का स्तर अधिक है।
नक्शा बनाने के लिए सहकर्मियों ने डॉ असचर द्वारा संकलित 20 हजार से अधिक प्रजातियों की एक विशाल चेकलिस्ट के साथ आंकड़ों की तुलना की जो कि जैव विविधता पोर्टल पर ऑनलाइन उपलब्ध है। पहले के कई डेटासेटों को क्रॉस-रेफ़र करने के परिणामस्वरूप मधुमक्खियों की कई प्रजातियों को अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में बाटा गया है। यह मधुमक्खी आबादी के वितरण और संभावित गिरावट का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। यह रिपोर्ट जर्नल करंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुई है।
इनमें से कुछ पैटर्न चार्ल्स मिस्नर जैसे पिछले शोधकर्ताओं द्वारा डाले गए थे, जोकि गलत, अपूर्ण, थे जिसके कारण प्रजातियों के बारे में सही आकलन करना मुश्किल था। आंकड़ों का सही तरीके से मिलान करना शोधकर्ताओं के लिए एक बड़ी बाधा थी।
हालांकि मधुमक्खी विविधता क्या है, इसके बारे में बहुत कुछ सीखना अभी बाकी है, शोध टीम को उम्मीद है कि उनके काम से दुनिया भर में परागणकर्ताओं के रूप में मधुमक्खियों के संरक्षण में मदद मिलेगी।
एकेडमी ऑफ़ साइंसेज में संरक्षण जीव विज्ञान के एक एसोसिएट प्रोफेसर ऐलिस ह्यूजेस ने कहा मुझे आश्चर्य हुआ कि वास्तव में मधुमक्खी की विविधता के बारे में वैश्विक आंकड़ों को कितनी बुरी तरह से रखा गया था। आंकड़े बहुत ही कम या बहुत कम देशों पर केंद्रित थे।
ह्यूजेस कहते हैं कि दुनिया भर में कई फसलें, विशेषकर विकासशील देशों में देशी मधुमक्खी की प्रजातियों पर निर्भर रहती हैं। उनके बारे में पर्याप्त आंकड़े नहीं है। यदि भविष्य में हमें जैव विविधता और इन प्रजातियों से मिलने वाली सेवाओं को बरकरार रखना है तो इसका सही आधार प्रदान करना और सही से विश्लेषण करना आवश्यक है।