वन्य जीव एवं जैव विविधता

ओखला बर्ड सेंचुरी से गायब हुए पक्षी

Shagun

नोएडा का ओखला पक्षी अभयारण्य (बर्ड सेंचुरी) से यहां रह रहे पक्षियों के लिए पूरी तरह से निर्जन हो गया है। ऐसा लगभग 15 दिन तक रहेगा, क्योंकि ओखला बैराज के गेट की मरम्मत के लिए इस अभयारण्य की वेट लैंड (नम भूमि) को सुखा दिया गया है। इसने कई जल पक्षियों को अपने प्रजनन काल के बीच में इस जगह को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।

उत्तर प्रदेश सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग का कहना है कि ऐसा लगभग हर साल इन्हें दिनों किया जाता है। इसके लिए गौतम बुद्ध नगर के मंडल वन अधिकारी से इजाजत ली गई है, लेकिन मंडल वन अधिकारी का कहना है कि सिंचाई विभाग ने इसकी मंजूरी नहीं ली, बल्कि उनकी ओर से इस बारे में सिंचाई विभाग से जवाब मांगा गया है। 

सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता पी श्रीवास्तव ने कहा कि रिसाव व फिसलन को रोकने के लिए बैराज गेट की मरम्मत शुरू की गई है। यह सीजन इस काम के लिए अच्छा है, क्योंकि इस समय पानी की मांग कम है और फसल की बिजाई का काम पूरा हो चुका है। यह काम 15 दिन के भीतर पूरा कर दिया जाएगा। 

वहीं पर्यावरणविद् बैराज की सफाई पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी पैसा खर्च करने के लिए बैराज की सफाई की जा रही है। बैराज की मरम्मत के लिए पूरे वेट लैंड को सुखा देना सही नहीं है। पर्यावरणविद टीके रॉय, जो एशियन वाटरबर्ड सेंसस 2019 के दिल्ली कॉर्डिनेटर भी है ने कहा कि पिछले साल ही यहां कई पुराने गेट को हटा कर नए गेट लगाए गए हैं, इसलिए  अब इतनी जल्दी बैराज गेट की मरम्मत क्यों की जा रही है, यह समझ नहीं आ रहा है। 

रॉय कहते हैं कि अब अगर ये लोग हल्की मरम्मत करना चाहते हैं तो फिर वेट लैंड को पूरी तरह से सुखाने की जरूरत नहीं है। वैसे भी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के मुताबिक इस तरह के संरक्षित क्षेत्र में कम से कम जल स्तर तो होना ही चाहिए, जिसकी अनदेखी की रही है।

रॉय कहते हैं कि हर साल 15 दिन के लिए क्षेत्र को सुखाने की वजह से ओखला बर्ड सेंचुरी को नुकसान पहुंच रहा है। रॉय ने कहा कि इस बैराज की बार-बार मरम्मत की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि चार रेड लिस्टेड थ्रेटेड प्रजातियों सहित 25 से अधिक भारतीय शेड्यूल बर्ड प्रजातियां प्रभावित हुई हैं। रॉय ने कहा कि वेट लैंड सूखने के कारण पक्षी जगह छोड़ कर चले गए हैं।