दक्षिण अफ्रीका में जानवरों के हितों के लिए काम कर रहे सहयोगी नेटवर्क वाइल्डलाइफ एनिमल प्रोटेक्शन फोरम ऑफ साउथ अफ्रीका ने ग्रीन्स जूलॉजिकल, रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर यानी वनतारा को निर्यात किए जाने वाले तेंदुए, चीता, बाघ और शेरों की बड़ी संख्या पर चिंता जताई है।
अनंत अंबानी के स्वामित्व वाले वनतारा 26 फरवरी, 2024 को शुरू हुआ था और हाल ही में वन्यजीव दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया।
विशेषज्ञों ने वनतारा के स्थान की उपयुक्तता के बारे में चिंता जताई है, क्योंकि गुजरात राज्य जहां 3,000 एकड़ में वनतारा स्थित है, वो क्षेत्र देश के कई इलाकों की तुलना में अधिक गर्म है और चिड़ियाघर में रखी गई कई प्रजातियों के लिए यह क्षेत्र उपयुक्त नहीं है।
6 मार्च को वाइल्डलाइफ एनिमल प्रोटेक्शन फोरम ऑफ साउथ अफ्रीका ने दक्षिण अफ्रीका के वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग, दक्षिण अफ्रीकी कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन इनडेंजरड स्पीसिज ऑफ वाइल्ड फॉना एंड फ्लोरा (सीआईटीईएस) मैनेजमेंट अथॉरिटी, दक्षिण अफ्रीका की साइंटिफिक अथॉरिटी की अध्यक्ष टी फ्रांट्ज और सीआईटीईएस सचिवालय सहित संबंधित मंत्रालयों को लिखे पत्र में अपनी चिंता से अवगत कराया है।
वनतारा की साल 2023-24 वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका से 56 चीते वनतारा लाए गए थे। पत्र में कहा गया है, "हमने भारत को निर्यात किए गए 12 चीतों के संबंध में सभी आवश्यक चिंताओं और तर्कों को उठाया है। हम यह भी सवाल करते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में 56 चीते कहां से निर्यात किए गए थे?”
रिपोर्ट में कई प्रजातियों का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें उनकी संख्या भी शामिल है जो दक्षिण अफ्रीका से आई हैं। सूची में आर्डवार्क (4), चीता (56), कैराकल (52), जगुआर (6), तेंदुआ (19), शेर (70), अफ्रीकी जंगली कुत्ता (20), एलैंड (20), मार्मोसेट (10), बाघ (60), बैंडेड नेवला (30) और रिंग टेल्ड लेमुर (40) शामिल हैं।
अन्य जानवरों में न्याला, सेबल मृग, वॉर्थोग, वाइल्डबीस्ट, स्पॉटेड हाइना और स्प्रिंगबॉक शामिल हैं। पत्र में यह भी चिंता जताई गई है कि दक्षिण अफ्रीका से न केवल शेर व बाघ बल्कि उनकी ब्रीडिंग फेसिलिटी भी निर्यात की गई। हालांकि यह अलग बात है कि वनतारा में उनके रहने की स्थिति में सुधार हुआ।
इस पत्र में कहा गया है कि अब इन जानवरों को मशीन की भांति प्रजनन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और इन जानवरों को चिड़ियाघर से बाहर स्थित विभिन्न प्रजनन केंद्रों (नर्सरी) में रखा जाएगा, जहां उनका शोषण होगा। जो बिल्कुल भी सही नहीं है।
संगठन ने जानवरों को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र वैज्ञानिक जांच की अपील की है।
अधिकांश वन्यजीव विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि जानवरों को किसी भी बंदी वातावरण में रखना अपने आप में एक तरह का दुर्व्यवहार है।
विशेषज्ञों ने एक बयान में कहा कि चाहे चिड़ियाघर की सुविधाएं कितनी भी उन्नत क्यों न हों, चिड़ियाघर में कैद में जानवरों के लिए प्राकृतिक परिवेश में जीए गए जीवन के बराबर नहीं हो सकता। कैद में जंगली जानवरों पर ऐसी परिस्थितियां लागू होती हैं, जिनमें वे पनपने के लिए अनुकूल नहीं होते।