वन्य जीव एवं जैव विविधता

भोजन की बढ़ती मांग के चलते संरक्षित क्षेत्रों पर पड़ रहा दबाव

शोधकर्ताओं द्वारा पहली बार दुनिया भर के संरक्षित क्षेत्रों में खेती के प्रभावों के बारे में पता लगाया है, 22 प्रतिशत खेती उन क्षेत्रों में होती है जहां संरक्षण के सबसे सख्त नियम लागू हैं।

Dayanidhi

प्रजातियों के विलुप्त होने से बचाने के लिए संरक्षित क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं, लेकिन आज बढ़ती आबादी के भोजन की आपूर्ति के लिए जमीन की मांग बढ़ रही है, जिससे इन जगहों पर अब संघर्ष हो रहे हैं। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि दुनिया भर के सभी स्थलीय संरक्षित क्षेत्रों के 6 प्रतिशत भाग में पहले से ही फसल उगाई जा रही है। कुछ संरक्षित क्षेत्र जहां अब भारी बदलाव कर उनको लोगों के रहने तथा खेती करने लायक बना दिया गया है ऐसे क्षेत्र अक्सर वन्य जीवों के रहने, जीने के लिए उपयुक्त नहीं होते है। इससे भी बुरी बात यह है कि 22 प्रतिशत खेती उन क्षेत्रों में होती है जहां संरक्षण के सबसे सख्त नियम लागू हैं।

यह शोध टेनेसी विश्वविद्यालय, मैरीलैंड विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सामाजिक-पर्यावरण संश्लेषण केंद्र (एसईएसवाईएनसी) और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैथमेटिकल एंड बायोलॉजिकल सिंथेसिस (एनआईएमबीआईओएस) के द्वारा कया गया है। शोधकर्ताओं द्वारा पहली बार दुनिया भर के संरक्षित क्षेत्रों में खेती (क्रॉपलैंड) के प्रभावों के बारे में पता लगाया है। अध्ययनकर्ताओं ने कई रिमोट सेंसिंग से क्रॉपलैंड के अनुमानों और अलग-अलग सामाजिक-पर्यावरणीय डेटासेट का विशलेषण किया है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

कई प्रजातियां जो कुछ विशेष जगहों पर निवास करते हैं उनके तथा दुर्लभ और खतरे वाली प्रजातियों के रहने के स्थानों को खेती (क्रॉपलैंड) में नहीं बदलना चाहिए। यदि बदला जाता है तो यह संरक्षित क्षेत्रों के संरक्षण लक्ष्य से समझौता होगा। संरक्षणर्ताओं की जरूरतों से प्रेरित होकर, शोधकर्ताओं ने ऐसे तरीकों का इस्तेमाल किया जो संरक्षित क्षेत्रों में क्रॉपलैंड की तेजी से निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण बेंचमार्क प्रदान करते हैं।

एनआईएमबीआईओएस के वैज्ञानिक और अध्ययनकर्ता वर्षा विजय कहते हैं बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के लिए क्रॉपलैंड का विस्तार किया जा रहा है, जिससे एक तरफ प्रजातियों के रहने वाली जगहों का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है।

अधिक जनसंख्या घनत्व वाले देश, कम आय, आय में असमानता और अधिक कृषि उपयोग, उनके संरक्षित क्षेत्र अधिक फसली होती हैं। भले ही मध्य-उत्तरी अक्षांशों में संरक्षित क्षेत्रों में क्रॉपलैंड सबसे अधिक प्रभावी है, लेकिन जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा के बीच के व्यापार उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय (सबप्रॉपिक्स) में सबसे तेज हो सकते हैं।

माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य पर्यावरण अधिकारी लुकास जोप्पा कहते हैं इस अध्ययन ने क्षेत्र-आधारित संरक्षण लक्ष्यों से अधिक और संरक्षित क्षेत्रों में संरक्षण के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए नापने योग्य उपायों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, विशेष रूप से अधिक खाद्य असुरक्षा और जैव विविधता के क्षेत्रों में।

2021 एक ऐतिहासिक "इम्पैक्ट ऑफ़ ईयर" है, जब कई देश और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां जैव विविधता संरक्षण और संरक्षित क्षेत्रों के लिए नए निर्णायक लक्ष्य तैयार कर रही हैं। जैसा कि देशों ने इन लक्ष्यों और 2030 सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, एक अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए इन लक्ष्यों के बीच तालमेल को समझने की आवश्यकता है। इस तरह के अध्ययन जैसे कि संरक्षित क्षेत्र योजना और प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, विशेष रूप से भविष्य के संरक्षित क्षेत्र एक कृषि वर्चस्व वाले मैट्रिक्स में विस्तार करते हैं। यद्यपि यह अध्ययन भविष्य के लिए कई चुनौतियों का खुलासा करता है, यह मध्य-उत्तरी अक्षांशों में बहाली के लिए और खाद्य असुरक्षा और जैव विविधता दोनों के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में संरक्षण और खाद्य कार्यक्रमों के बीच सहयोग के लिए संभावित परिदृश्यों के बारे में भी बताता है।

टेनेसी विश्वविद्यालय के सह-लेखक पॉल आर्म्सवर्थ कहते हैं खाद्य उत्पादन और जैव विविधता के बीच स्पष्ट संबंधों के बावजूद, संरक्षण और विकास की योजना को अभी भी अक्सर स्वतंत्र प्रक्रियाओं के रूप में माना जाता है। विजय कहते हैं डेटा उपलब्धता में तेजी से वृद्धि दोनों प्रक्रियाओं को एक साथ लाने के लिए अच्छा अवसर प्रदान करती है।