वन्य जीव एवं जैव विविधता

विलुप्ति के कगार पर पहुंची 21 फीसदी से अधिक सरीसृप प्रजातियां: अध्ययन

अध्ययन में कम से कम 1,829 या 21 प्रतिशत या तो असुरक्षित, संकटग्रस्त या गंभीर रूप से संकटग्रस्त पाए गए।

Dayanidhi

दुनिया भर में अन्य प्राणियों के खतरों को अच्छी तरह से दर्ज किया गया है जिसमें 40 फीसदी से अधिक उभयचर, 25 प्रतिशत स्तनधारी और 13 प्रतिशत पक्षी विलुप्त होने के कगार पर हैं। लेकिन अब तक शोधकर्ताओं के पास सरीसृपों के खतरे में होने के अनुपात की व्यापक तस्वीर नहीं थी।

अब शोधकर्ताओं ने दुनिया के ठंडे खून वाले जीवों का पहला बड़ा वैश्विक आकलन किया। जिसके मुताबिक हर पांच में से कम से कम एक सरीसृप प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा है। इन प्रजातियों में आधे से अधिक में कछुए और मगरमच्छ शामिल हैं।

दुनिया भर में जैव विविधता में विनाशकारी गिरावट देखी जा रही है, इसके चलते तेजी से पृथ्वी पर जीवन को खतरे के रूप में देखा जा रहा है। कई कारणों में से एक जलवायु परिवर्तन भी इस खतरे के लिए जिम्मेवार है।

एक नए वैश्विक मूल्यांकन के आधार पर शोधकर्ताओं ने 10,196 सरीसृप प्रजातियों का आकलन किया। इनका इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के खतरे वाली प्रजातियों की रेड लिस्ट के मानदंडों का उपयोग करके उनका मूल्यांकन किया।

उन्होंने पाया कि कम से कम 1,829 या 21 प्रतिशत या तो असुरक्षित, संकटग्रस्त या गंभीर रूप से संकटग्रस्त पाए गए। आईयूसीएन-संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता आकलन इकाई का प्रबंधन करने वाले और सह-अध्ययनकर्ता का नेतृत्व करने वाले नील कॉक्स ने कहा यह उन प्रजातियों की संख्या से अधिक है जिन्हें हम खतरे के रूप में देखते हैं।

उन्होंने बताया कि अब हम प्रत्येक सरीसृप प्रजातियों के सामने आने वाले खतरों को जानते हैं, वैश्विक समुदाय अगला इनके संरक्षण के लिए कदम उठा सकता है।  मगरमच्छ लगभग 58 प्रतिशत और कछुए लगभग 50 प्रतिशत सबसे अधिक खतरे वाली प्रजातियों में पाए गए।

कॉक्स ने कहा कि यह अक्सर "अति-शोषण और उत्पीड़न" की वजह से ये खतरे में पड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि मगरमच्छों को उनके मांस के लिए और उन्हें मानव बस्तियों से निकालने के लिए मार दिया जाता है, जबकि कछुओं को पालतू व्यापार द्वारा निशाना बनाया जाता है और पारंपरिक चिकित्सा के लिए उपयोग किया जाता है।

जलवायु की वजह से खतरा

खतरे में एक और प्रसिद्ध प्रजाति भयानक किंग कोबरा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा जहरीला सांप है। यह भारत से दक्षिण पूर्व एशिया के विशाल क्षेत्र में जंगलों में अन्य सांपों की तुलना में लगभग पांच मीटर लंबा हो सकता है। कॉक्स ने कहा इसे कमजोर के रूप में वर्गीकृत किया गया है, यह दर्शाता है कि यह विलुप्त होने के बहुत करीब है।

यह एशिया में एक वास्तविक प्रतिष्ठित प्रजाति है और इस तरह की व्यापक प्रजातियां वास्तव में पीड़ित हैं और लगातार घट रही हैं। उन्होंने कहा, मनुष्यों द्वारा  जानबूझकर सांपों पर हमले के सबसे बड़े खतरों में से एक थे।

नेचरसर्व के मुख्य प्राणी विज्ञानी और सह-अध्ययनकर्ता ब्रूस यंग ने कहा कि खतरे वाले सरीसृप बड़े पैमाने पर दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी मेडागास्कर, उत्तरी एंडीज और कैरिबियन में पाए गए थे।

शोधकर्ताओं ने बताया कि सरीसृपों को रेगिस्तान, घास के मैदानों और सवाना जैसे शुष्क आवासों तक सीमित पाया, जो वन में निवास करने की तुलना में काफी कम खतरे में हैं ।

कृषि, लकड़ी काटने, आक्रामक प्रजातियां और शहरी विकास सरीसृपों के लिए खतरों में से पाए गए, जबकि लोग उन्हें पालतू व्यापार के लिए भी निशाना बनाते हैं या भोजन के लिए या डर से उन्हें मार देते हैं।

जलवायु परिवर्तन लगभग 10 प्रतिशत सरीसृप प्रजातियों के लिए एक सीधा खतरा पैदा करने के रूप में पाया गया था। हालांकि शोधकर्ताओं ने कहा कि इसकी संभावना कम थी क्योंकि यह समुद्र के स्तर में वृद्धि, या चीजों से अप्रत्यक्ष जलवायु में बदलाव से होने वाले वाले खतरों, रोगों पर ध्यान में नहीं दिया जाता है।

शोधकर्ताओं को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि स्तनधारियों, पक्षियों और उभयचरों के संरक्षण के उद्देश्य से सरीसृपों को भी कुछ हद तक लाभ हुआ है, हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि अध्ययन कुछ प्रजातियों के लिए विशिष्ट तत्काल संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

यंग ने कहा कि सरीसृपों का मूल्यांकन, जिसमें दुनिया भर के सैकड़ों वैज्ञानिक शामिल थे, उन्होंने बताया कि धन की कमी के कारण इसे पूरा होने में लगभग 15 साल लग गए।

उन्होंने कहा कि सरीसृप, कई लोगों के लिए, करिश्माई नहीं हैं। संरक्षण के लिए कशेरुकियों की कुछ अधिक प्यारे या पंख वाली प्रजातियों पर अभी बहुत अधिक ध्यान दिया गया है।

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि नए मूल्यांकन से जैव विविधता के नुकसान को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई में मदद मिलेगी।

लगभग 200 देश वर्तमान में प्रकृति की रक्षा करने की कोशिश करने के लिए वैश्विक जैव विविधता वार्ता में शामिल हैं, जिसमें 2030 तक पृथ्वी की 30 प्रतिशत सतह के महत्वपूर्ण जीव भी शामिल हैं।

यंग ने कहा कि इस तरह के काम के माध्यम से, हम इन प्राणियों के महत्व के बारे में जानकारी देते हैं। वे जीवन का हिस्सा हैं, किसी भी अन्य की तरह और समान रूप से ध्यान देने योग्य हैं। यह अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।