वन्य जीव एवं जैव विविधता

दुनिया में केवल 27,427 गैंडे रह गए हैं शेष, इन कारणों से अस्तित्व पर मंडराया खतरा

Lalit Maurya

दुनिया भर में गैंडे अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आज उनकी आबादी 27,427 के आसपास रह गई है। यदि 2021 की तुलना में देखें तो 2022 में इनकी आबादी में 4.4 फीसदी की वृद्धि जरूर हुई है। हालांकि देखा जाए तो उनकी आबादी में हुई यह वृद्धि गैंडों की गिरती आबादी को स्थिर करने के लिए काफी नहीं है।

बता दें कि अंतराष्ट्रीय संगठन सेव द राइनो के मुताबिक 2021 में दुनियाभर में मौजूद गैंडों की कुल आबादी 26,272 दर्ज की गई थी। इस बारे में जो नए आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक सुमात्रन गैंडों की आबादी को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि यह प्रजाति गंभीर रूप से खतरे में है।

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आज दुनिया भर में केवल 36 से 47 सुमात्रन गैंडे ही बचे हैं, इसी तरह जावा गैंडों की संख्या भी केवल 76 ही रह गई है। हालांकि इनमें से 12 की स्थिति और आवास के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि यदि इनके संरक्षण पर ध्यान न दिया गया तो जल्द ही यह प्रजातियां दुनिया से विलुप्त हो सकती हैं।

यह जानकारी इंटरनेशनल राइनो फाउंडेशन (आईआरएफ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट "2023 स्टेट ऑफ द राइनो" में सामने आई है, जिसे 22 सितम्बर को विश्व गैंडा दिवस के मौके पर जारी किया गया है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों और कानूनों को सख्ती से लागू करने के साथ-साथ प्राकृतिक आवासों में होते विस्तार के चलते भारत और नेपाल में एक सींग वाले गैंडों की आबादी लगातार बढ़ रही है।

यही वजह है आज दुनिया भर में एक सींग वाले गैंडों की आबादी बढ़कर 4,014 पर पहुंच गई है। वहीं यदि दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो यह देश अभी भी गैंडों के अवैध शिकार से निपटने के लिए जूझ रहा है।

इसी तरह दुनिया भर में सफेद गैंडों की आबादी 5.4 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 16,803 पर पहुंच गई है। इसी तरह दुर्लभ काले गैंडों की आबादी जो 2021 में 6,195 दर्ज की गई थी वो 2022 में 4.7 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 6,487 हो गई है। अच्छी बात यह रही की अवैध शिकार के लगातार दबाव के बावजूद काले गैंडों की आबादी बढ़ रही है।

अवैध शिकार, सिकुड़ते आवास और जलवायु परिवर्तन हैं बड़ा खतरा

रिपोर्ट  के मुताबिक भले ही गैंडों की कुछ प्रजातियों की आबादी बढ़ रही है, लेकिन अभी भी अवैध शिकार अफ्रीका और एशिया में पाई जाने वाली इनकी पांचों प्रजातियों (काले, सफेद, एक सींग वाले, सुमात्रा और जावा गैंडों) के लिए बड़ा खतरा है। इतना ही नहीं अवैध शिकार का यह खतरा उन क्षेत्रों तक फैल गया है, जहां पहले यह कोई समस्या नहीं था।

रिपोर्ट की मानें तो अवैध शिकार और इनके प्राकृतिक आवास को होता नुकसान इनकी घटती आबादी के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेवार है। लेकिन साथ ही जलवायु में आता बदलाव भी इनके जीवन के कई पहलुओं पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है।

देखा जाए तो यह गैंडे अपने सींगों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इनके लिए ही इनका सबसे ज्यादा शिकार किया जाता है। दुनिया भर में कभी पहले कम खतरे में समझी जाने वाली गैंडों की आबादी अब सुसंगठित, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक समूहों के निशाने पर आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार जहां पिछले साल इनके अवैध शिकार की कोई घटना नहीं सामने आई थी वहीं 2023 में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान में इनके अवैध शिकार के एक-एक मामले सामने आए थे।

इसी तरह इंडोनेशिया के उजांग कुलोन नेशनल पार्क, जो जावन गैंडों का एकमात्र आवास क्षेत्र है वहां पिछले साल घुसपैठ के प्रयासों में चिंताजनक रूप से वृद्धि देखी गई है। इंडोनेशिया का पर्यावरण और वन मंत्रालय हाल ही में हुई जावन गैंडे की अप्राकृतिक मौत की जांच कर रहा है।

वहीं अफ्रीका में अवैध शिकार की प्रवृत्ति में बदलाव देखा गया है। पिछले वर्ष में, शिकारियों ने अपना ध्यान गैंडों की बड़ी आबादी से हटाकर, उन जगहों पर कर दिया है जहां गैंडों की संभावित रूप से अधिक कमजोर आबादी रह रही है। यदि 2017 से देखें तो सफेद गैंडों की आबादी में लगातार गिरावट आ रही है, जो गैंडों की पांचों प्रजातियों में सबसे अधिक संख्या में हैं। आंकड़ों के अनुसार जहां 2017 में इनकी कुल आबादी 18,067 दर्ज की गई थी वो 2022 में घटकर केवल 16,803 रह गई है।

गौरतलब  है कि जैसे-जैसे गैंडों की आबादी बड़े राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों में फैल रही है, शिकारियों के लिए उनका पता लगाना कठिन हो रहा है। उदाहरण के लिए दक्षिण अफ्रीका में क्रूगर नेशनल पार्क जैसे प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों में अवैध शिकार को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं। ऐसे में शिकारियों ने ह्लुहलुवे इम्फ़ोलोजी गेम रिजर्व जैसे छोटे क्षेत्रों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है, जहां पिछले साल दक्षिण अफ्रीका में गैंडों के अवैध शिकार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

क्या इतना मुश्किल है इन जीवों का संरक्षण

इसी तरह दुनिया की सबसे बड़ी काले गैंडों की आबादी वाले देश नामीबिया में 2021 से 2022 के बीच गैंडों के अवैध शिकार में 93 फीसदी की गंभीर वृद्धि देखी गई है। देखा जाए तो केवल अवैध शिकार ही नहीं जलवायु में आते बदलावों से भी गैंडों के लिए खतरा बढ़ रहा है। यह प्रजातियों के आधार पर उन पर अलग-अलग प्रभाव डालता है।

अफ्रीका में, जलवायु परिवर्तन से संबंधित सूखा इंसानी समुदायों और वन्य जीवन दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है। इससे जल संसाधनों को लेकर संघर्ष बढ़ सकता है, जिससे लोग और गैंडे निकट संपर्क में आ सकते हैं। इसी तरह जैसे-जैसे फसलों और पशुधन को नुकसान बढ़ रहा है, उससे गरीबी बढ़ सकती है, इसके चलते अपनी आय के लिए इन गैंडों का अवैध शिकार बढ़ सकता है। इसके साथ ही शुष्क परिस्थितियां जंगल में लगने वाली आग को बढ़ा सकती हैं, जिससे गैंडों का आवास और जीवन खतरे में पड़ सकता है।

वहीं दूसरी तरफ जलवायु में आते बदलावों से एशिया में बारिश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है साथ ही मानसून भी प्रभावित हो रहा है। नतीजन इसकी वजह से गैंडों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। बता दें कि पहले ही एशिया में कई जगहों पर बाढ़ गैंडों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। इसकी वजह से इनके डूबने के साथ-साथ बच्चों के अपनी माओं से अलग होने का खतरा भी बना रहता है।

वहीं जब शक्तिशाली तूफान आते हैं तो स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर हो जाती है। इसी तरह नियमित बाढ़ से न केवल इंसानों में बल्कि गैंडों में भी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। बदलता मौसम आक्रामक पौधों को भी बढ़ावा दे रहा है, जिसकी वजह से गैंडों के लिए भोजन उपलब्धता कर आवास पर असर पड़ सकता है।

हालांकि इसके बावजूद भारत और नेपाल में एक सींग वाले गैंडे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। भले ही इन देशों ने इस वर्ष इनके आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं लेकिन अधिकारियों का मानना है कि इनकी आबादी बढ़ रही है।

इसी तरह अफ्रीकी काले गैंडे भी एक सफलता की कहानी बया करते हैं, जो पिछले कुछ दशकों से जारी अवैध शिकार के बावजूद वापसी कर रहे हैं। इनके संरक्षण की यह सफलताएं दर्शाती हैं कि प्रतिबद्धता, समर्पण और स्थानीय समुदायों के सहयोग से बदलाव लाया जा सकता है और यदि हम इनपर ध्यान दें तो गैंडों की सभी पांचों प्रजातियां बदलती दुनिया में फिर से पनप सकती हैं।